डर्टी क्लासेस और टूटे फर्नीचर कर रहे स्टूडेंट्स का वेलकम
बीसीबी में ट्यूजडे से क्लासेस शुरू पर नहीं हुई पढ़ाई
दो महीनों की धूल तक नहीं हटी है क्लासरूम्स से BAREILLY: बरेली कॉलेज में ट्यूजडे से क्लासेस स्टार्ट तो हो गई लेकिन इनमें ना तो कोई टीचर पढ़ाने गया और ना ही स्टूडेंट्स ने क्लासेज को देखने तक में इंट्रेस्ट दिखाया। दरअसल बीसीबी ने आनन-फानन में क्लासेज शुरू तो कर दीं लेकिन स्टूडेंट्स को पहले से इसकी कोई इंफॉर्मेशन नहीं दी। मंडे को ही कॉलेज ने क्लासेस शुरू करने का फरमान जारी किया, जिसकी इंफॉर्मेशन किसी को भी नहीं थी। जिन्हें ट्यूजडे को जानकारी मिली भी वे एडमिशन लेने में मशगूल थे। लिहाजा बीसीबी के क्लासेज का पहला दिन खाली ही बीता। सभी क्लासेस रहीं खालींकॉलेज ने ट्यूजडे से सभी बीकॉम, बीए, बीएससी, एमए, एमकॉम और एमएससी के फर्स्ट ईयर की क्लासेज शुरू करने का निर्देश जारी किया। सुबह सभी क्लासेस के ताले तो खुल गए लेकिन पूरा दिन बीत गया किसी भी क्लास में कोई भी टीचर और स्टूडेंट नहीं आया। टीचर आते भी कैसे, अधिकांश तो काउंसलिंग में बिजी हैं और वहीं स्टूडेंट्स एडमिशन कराने में। एक-दो डिपार्टमेंट को छोड़ दें तो बाकी किसी भी डिपार्टमेंट के बाहर टाइम टेबल नहीं चस्पा किया गया है। फिजिक्स में कुछ स्टूडेंट्स टाइम टेबल नोट करते दिखाई दिए। वहीं एडहॉक टीचर्स का तो उनका अभी तक अप्वॉइंटमेंट रिन्यू नहीं किया गया है, जिसके चलते वे क्लास लेने के लिए फिलहाल ऑथराइज्ड नहीं हैं।
गंदगी से पटे हैं क्लासेस एग्जाम खत्म होने के दो महीने बाद क्लासेज तो खोल दिए गए लेकिन उनकी सफाई नहीं की गई है। लिहाजा सभी क्लासेज गंदगी से पटे हुए हैं। यहां तक कि ब्लैकबोर्ड भी साफ नहीं किए गए हैं। उन पर एक पुरानी डेट लिखी हुई हैं। क्लासेस के अंदर के हालात काफी बुरे हैं। जगह-जगह कूड़ा बिखरा हुआ है। दीवारों पर पान के पीक के निशान हैं। फर्नीचर टूटे और उलटे-पुलटे पड़े हैं। वहीं पंखे गंदे और अस्त व्यस्त हालात में हैं। खिड़की, दरवाजे और बेंच पर पिछले दो महीनों की धूल जमी हुई है। ऐसी सिचुएशन में गंदगी से भरी क्लासेज व टूटे फर्नीचर स्टूडेंट्स का वेलकम कर रहे हैं। अभी काउंसलिंग चल रही है और त्यौहारों के चलते अवकाश भी होंगे इसलिए क्लासेस खोलने का डिसीजन तुरंत दिया गया, ताकि स्टूडेंट्स को धीरे-धीरे पता चल जाए कि क्लासेज खुल गए हैं। इस बीच जो भी कमियां होंगी वह पूरी हो जाएंगी। - डॉ। सोमेश यादव, प्रिंसिपल, बीसीबी