मौसम में बदलाव के साथ बढऩे लगे डायरिया के पेशेंट्स
बरेली(ब्यूरो)। सर्दी के बाद गर्मी का सीजन आने पर तरह-तरह की बीमारियां भी फैलने लगती है। इसका सीधा इफैक्ट हमारी सेहत पर पड़ता है। अप्रैल का महीना आते ही गर्मी भी पूरे तेवर दिखाने लगी है। ऐसे में हॉस्पिटल्स में सबसे अधिक पेशेंट्स डायरिया के आ रहे हैं। ओपीडी में आने वाला हर चौथा बच्चा डायरिया से पीडि़त मिल रहा है। बच्चों को उल्टी और दस्त होने के साथ ही पेट में ऐंठन की शिकायतें भी सामने आ रही हैं। इसको लेकर विशेषज्ञ पेरेेंट्स को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैंै। थोड़ी सी सावधानी से बच्चों को बीमार होने से बचाया जा सकता हैै।
अस्पतालों में बढ़ रही पेशेंटस की संख्या
जिला अस्पताल की ओपीडी में भी डायरिया से आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ गई है। यह ही नहीं, बच्चा वार्ड में भर्ती पांच मरीजों में से तीन केवल डायरिया से पीडि़त हैं। जबकि बीते पांच दिनों में डायरिया से पीडि़त छह बच्चों को जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराना पड़ा। डाक्टरों का कहना है कि इस मौसम में बच्चों के खानपान और स्वच्छता का ध्यान रखना होगा। जिला अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। करमेंद्र बताते हैं कि गर्मी की वजह से अक्सर बच्चों को पिलाया जाना वाला दूध जल्दी खराब हो जाता है। दूध पिलाने वाली बोतल साफ तरह से न धुलने, बाजार के खाद्य पदार्थ खाने, फास्ट फूड अधिक खाने की वजह से भी बच्चे डायरिया के शिकार हो रहे हैं। उनके अनुसार गर्मी बढऩे की वजह से डायरिया से पीडि़त बच्चों की संख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है। गर्मी की वजह से बच्चों को खांसी, जुकाम और बुखार भी हो रहा है। हालांकि, मलेरिया के लक्षण फिलहाल नहीं मिले हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार बचने के उपाय
-आसपास का वातावरण स्वच्छ रखें। बच्चे को स्वच्छ पानी पिलायें, दूषित हो तो उसे उबालकर पिलायें
-ऊपर का दूध कटोरी और चम्मच से पिलाएं, बोतल का प्रयोग करें तो बेहद सावधानी रखें
-बच्चों का दूध बनाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोयें
-बच्चों को बासी भोजन देने से बचें.बच्चों के हाथ दिन में तीन से चार बार साबुन से धुलवाएं। खिलौने भी दिन में एक बार साबुन से धोयें
-कीड़े मकोड़े, मक्खी, चूहों, तिलचट्टे, मच्छर आदि से बचाव करें।
-बच्चे को दस्त होने पर बरतें यें सावधानियां। दस्त होने के बावजूद बच्चे को मां का दूध देते रहें। जीवन रक्षक ओआरएस घोल बराबर पिलाएं।
-बच्चे को दही, लस्सी, चावल का मांड, नारियल पानी, म_ा, हल्की चाय आदि दें.बच्चों को पतली खिचड़ी, पिसा या मसला हुआ केला, इडली, दही, साबूदाना आदि खिलाएं।
-मां को नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग करने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए
-डायरिया से बचाव के लिए बच्चों को देने वाले खिलौनों को भी साफ कर लेना चाहिए।
-फोन को भी समय-समय पर टिशू पेपर पर सैनेटाइजर डालकर साफ कर लेना चाहिए
-दूध पिलाने के बाद शीशी को पानी में डुबाएं। हाथों को सैनेटाइज करें।
वर्जन बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए आसपास सफाई रखना बेहद जरूरी हैैं। इसके साथ ही बच्चों के खिलौनों को भी समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैैं।
-डॉ। अशोक मेंदीरत्ता, बाल रोग विशेषज्ञ छोटे बच्चों को मां का दूध ही पिलाना चाहिए, बच्चों को फलों का जूस न पिलाएं बल्कि फल ही खिलाएं। बाजार से कटे हुए फलों को न खरीदें। बाजार में बिकने वाले बर्फ के पानी को न पिएं। 6-7 महीने के बच्चों को वे ही खिलौने दें, जिन्हें प्रतिदिन धोया जा सके।
-डॉ। रवि खन्ना, बाल रोग विशेषज्ञ