धुएं में उड़ता ladakpan
स्कूलों के गेट पर गुटखा शॉपसुप्रीम कोर्ट से लेकर एजुकेशन बोर्ड भी समय-समय पर एंटी टौबेको रूल्स डिक्लेयर करता रहता है, मगर हालात ये हैं कि स्कूलों के बाहर ही खुलेआम टौबेको प्रोडक्ट की शॉप्स चल रही हंै। स्कूल की छुट्टी के बाद स्टूडेंट्स इन शॉप्स पर इकट्ठा होकर धुआं उड़ाते या फिर गुटखा चबाते देखे जा सकते हैं। वैसे तो स्कूल परिसर के आसपास पान मसाले और सिगरेट की बिक्री पूरी तरह से बैन है, पर रूल्स की परवाह किसे है। हर पांचवा छात्र करता है smoking
सिटी में एंटी टौबेको अभियान से जुड़ी एक एनजीओ के अकॉर्डिंग यूथ में बीते 5 सालों में तेजी से स्मोकिंग और टौबेको प्रोडक्ट को लेकर क्रेज बढ़ा है। निर्वाण के एनजीओ के प्रेसीडेंट प्रेम सिंह ने बताया कि समय-समय पर होने वाले कैंपेनिंग और सर्वे में हम दो नतीजों पर पहुंचे हैं। अगर यूथ की बात की जाए तो सिटी में हर पांचवा यूथ नशे की चपेट में है। वहीं स्कूली बच्चों की बात करें 100 स्टूडेंट्स में 5 स्टूडेंट्स टौबेको का खुलेआम सेवन करते हैं। पियर ग्रुप में दिखना चाहते है स्ट्रांग
स्मोकिंग कल्चर पर साइकोलॉजिस्ट डॉ। सुविधा शर्मा बताती हैं कि लड़के अपनी मेच्योरिटी शो करने के लिए ऐसा करते हैं। स्कूली लाइफ में पियर ग्रुप में स्ट्रांगनेस शो करने के लिए भी स्टूडेंट्स टौबेको प्रोडक्ट का यूज करते हैं। कुछ बच्चे इनफिरियारिटी कॉम्पलेक्स से बाहर निकलने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। अटैंशन के लिए स्मोकिंगसाइकोलॉजिस्ट के अकॉर्डिंग कम उम्र में क्यूरोसिटी से स्टार्ट होकर ये तलब का सवाल बन जाता है। स्टार्टिंग में टौबेको प्रोडक्ट को दूसरों को यूज करते देखकर बच्चे खुद यूज करना चाहते हैं। सोशल लाइक इसकी बड़ी वजह है। इससे बचने के लिए घर और स्कूल दोनों जगह डिसप्लिन मेनटेन होनी चाहिए। स्टूडेंट्स के केस में देखा गया है कि स्मोकिंग करके उन्हें लगता है कि उनका कॉन्संट्रेशन बढ़ जाता है। एक्चुअली स्मोकिंग के तुरंत बाद ब्लड सर्कुलेशन कुछ देर के लिए बढ़ता है, जिससे वो खुद को फ्रेस महसूस करते हैं, पर लांग टर्म में इसके खतरनाक असर सामने आते हैं। कई बार अटैंशन पाने लिए भी स्टूडेंट्स स्मोकिंग करते हैं।स्टेटस सिंबल बना हुक्का
सिटी में खुले क्लब और होटल्स में हुक्का का चलन जोर पकड़ रहा है। होटल्स के ओनर दावा तो करते हें कि हुक्का टौबेको रहित होता है, मगर असलियत बिल्कुल विपरित है। इन हुक्कों में भी टौबेको का यूज किया जाता है। बरेली में ये कल्चर दुबई के पैटर्न पर दिल्ली के रास्ते आया है। सोर्सेज के मुताबिक अब तो अमीर घरों के स्कूली बच्चे इसे फैशन सिम्बल मानते हैं। तो नहीं बनेंगी मसल्स टौबेको प्रोडक्ट के इस्तेमाल से हमारी बॉडी पर कई साइड इफेक्ट पड़ते हैं। सरन हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ। सुदीप सरन ने बताया कि टौबेको प्रोडक्ट के यूज से कई बीमारियां पैदा हो जाती हंै। छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम होती है। बच्चों की 16 साल की उम्र तक बॉडी डेवलपमेंट होता है। टौबेको प्रोडक्ट यूज करने से मसल्स का डेवपलमेंट रुकता है।गार्जियन समझें जिम्मेदारीस्कूली बच्चों में बढ़ रहे स्मोकिंग क्रेज के लिए गार्जियन भी कम जिम्मेदार नहीं है। साइकोलॉजिस्ट डॉ। हेमा खन्ना के अकॉर्डिंग ज्यादातर केसेज में बच्चे अपने पेरेंट्स को देखकर स्मोकिंग की हैबिट एडॉप्ट करते हैं। वर्किंग पेरेंट्स के केस में बच्चों में चोरी-छिपे स्मोकिंग और टौबेको प्रोडक्ट यूज करने का कल्चर सामने आया है। इसके लिए हर पहलू से पेरेंट्स ही रिस्पॉन्सिबल हैं। सिगरेट के साइड इफेक्ट्स
निकोटीन जब सिगरेट के रूप में ली जाती है तो फेफड़ों पर बुरा असर छोड़ती है। गला खराब रहना, खांसी की शिकायत बनी रहना, सांस फूलना, कभी- कभी खांसी के साथ ब्लड का आना इसके प्रारम्भिक लक्षण है। अगर सिगरेट का इस्तेमाल लंबे समय तक किया जाए तो यूजर को फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। तम्बाकू के नुकसान तम्बाकू के सेवन से मुंह में सफेद छल्ली पैदा हो जाती है। ऐसे लोगों में मुंह का न खुल पाना, मुंह में जख्म हो जाना, भूख का खत्म हो जाना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है। तम्बाकू के रेगुलर यूज से पायरिया या दातों से ब्लड आने की प्रॉब्लम बन जाती है। अगर टौबेको को लंबे समय से यूज किया जाए तो मुंह का कैंसर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। मेमोरी पर असर-टौबेको प्रोडक्ट का नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है। दिमाग के कई हिस्से निकोटीन के यूज से डेवलप नहीं होते। -मेमोरी पर भी इफेक्ट, ऐसे बच्चें अक्सर सामने वाले की बातों को समझने में वक्त लेते हैं। -सिर में दर्द के साथ चिड़चिड़ापन कॉमन। -कॉन्संट्रेशन में कमी का सीधा असर करियर पर पड़ता है।क्याकरेंपैरेंटस-गार्जियन को स्ट्रिक्ट रुख नहीं अपनाना चाहिए। वरना बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। सिचुएशन को प्यार से हैंडल करना चाहिए।-बच्चों की पॉकेट मनी को जरूरतन लिमिटेड रखें। -बच्चों को टोके नहीं बस उनपर निगाह रखे।
-अगर पता चले कि वह टौबेको प्रोडक्ट यूज करता है तो टोकें जरूर मगर समझाने के लहजे में। -बच्चों के साथ फ्रेंडली एटमॉशफियर रखें। -उसके फ्रेंड से संपर्क में रहे। -आपके निगेटिव कमेंट मामले को बिगाड़ सकते हैं।