शहर से ले कर देहात तक कुत्तों बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है. इससे बचाव के लिए लोग तरह-तरह के साधन अपना रहे हैैं लेकिन इनके हमलों से राहत नहीं मिल रही है.

बरेली(ब्यूरो)। शहर से ले कर देहात तक कुत्तों, बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। इससे बचाव के लिए लोग तरह-तरह के साधन अपना रहे हैैं, लेकिन इनके हमलों से राहत नहीं मिल रही है। हमलावर पशु इतना खंूखार हो रहे हैैं कि व्यक्ति का मांस भी निकाल ले रहे हैैं। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद एंटी रेबीज सीरम ही कारगर साबित होती है। बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला अस्पताल द्वारा 100 सीरम मंगाए जा रहे हैैं।

सीरम का क्या है उपयोग
एंटी रेबीज सीरम का इस्तेमाल कुत्ते, बंदर, सियार व अन्य पशुओं के हमले में घायल (मांस निकलने की स्थिति) में किया जाता है। वहीं अगर पशु काटता है या फिर उसके नाखून लग जाते हैैं तो ऐसी स्थिति में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है। सीरम की मात्रा व डोज मरीज के बॉडी वेट पर निर्भर करता है।

स्टॉक है कम
जिला अस्पताल में एंटी रेबीज सीरम का इस्तेमाल इमरजेंसी में आए डॉग बाइट ( जिसका मांस निकल लिया हो) के गंभीर मरीजों के जीवन को बचाने के लिए किया जाता है। बाइट के गंभीर मामले अपेक्षाकृत कम आते हैैं, लेकिन अब संख्या में कुछ हद तक इजाफा हुआ है। जानकारी के अनुसार अस्पताल में मात्र 10 सीरम ही मौजूद हैैं। वहीं एहतियात को तौर पर 100 सीरम मंगाने के लिए एडीएसआईसी द्वारा निर्देश दिए गए हैैं। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मौजूदा समय में डॉग बाइट से घायल बच्चा एडमिट है, जिसे सीरम लगाया गया है।

बच्चे को लगाया गया सीरम
सीबीगंज के बंडिया मथुरापुर निवासी आठ वर्षीय विष्णु पर स्कूल से वापस आते वक्त आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया, जिसमें बच्चों को गंभीर चोटें आई थीं। चिकित्सक ने बताया कि कुत्तों ने इतना आक्रमक तरीके से हमला किया कि बच्चे के गाल से मांस तक निकाल लिया था। जिसके उपचार में एंटी रेबीज सीरम लगाया गया। इस ही तरह पहले भी कई मरीज जख्मी हालत में आए थे, जिन्हें एआरएस लगाया गया था।

लगातार बढ़ रहे मामले
300 बेड अस्पताल में रोजाना कुत्ता, बंदर, बिल्ली आदि काटने के 100 से अधिक लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैैं। वहीं जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भी डॉग बाइट के गंभीर हालत में मरीज पहुंच रहे हैैं, जिन्हें सीरम लगाया जा रहा है।

बोले अधिकारी
सामान्य रूप से कुत्ते के नाखून या काटने से खरोंच आई है तो उसे एआरवी लगाई जाती है। वहीं जिन मरीजों का हमले में शरीर के हिस्से से मांस तक निकल गया है, ऐसे में मरीज के घाव की कंडीशन देखते हुए उसे सीरम लगाया जाता है।
डॉ। मीसम अब्बास, जिला एपीडेमियोलॉजिस्ट

आवारा पशुओं के बढ़ते हमलों को देखते हुए एंटी रेबीज सीरम मंगवाने के निर्देश दिए गए हैैं।
डॉ। अलका शर्मा, एडीएसआईसी, जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive