सडक़ों पर खुलेआम बिक रही मौत, जिम्मेदार मौैन
फैक्ट एंड फिगर
200 से लेकर 800 रुपए तक में बेचते हैं एक हेलमेट
600 रुपए तक बचत होती है एक हेलमेट पर
1500 से 300 रुपए कीमत होती है स्टेंडर्ड कंपनी के हेलमेट की
(बरेली ब्यूरो)। दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट लगाना अनिवार्य है। आए दिन होने वाले सडक़ हादसों में कई ऐसे लोगों की मौत का कारण हेलमेट न होना ही होता है। कई बार हेलमेट होने के बाद भी लोगों की जान नहीं बच पाती है। इसका कारण होता है वह सस्ता लोकल हेलमेट, जिसे उन्होंने सिर्फ चालान से बचने के लिए सडक़ के किनारे से खरीदकर पहना होता है। वहीं जिम्मेदारों की हालत यह है कि वे जानबूझकर इस ओर से नजरें फेरे रहते हैं, जिसका परिणाम भयंकर रूप से सामने आता है। हादसा होने पर हेलमेट बाइकसवार के जीवन की रक्षा नहीं कर पाता और वेकाल के गाल में समा जाते हैं, जिसमें कहीं न कहीं विभागीय अफसर भी जिम्मेदार हैं।
सडक़ों किनारें सजीं दुकानें
शहर के पीलीभीत बाईपास, बरेली-दिल्ली हाईवे व बरेली-लखनऊ हाईवे किनारे लोकल हेलमेट की तमाम दुकानें सजी हंै। केंद्र सरकार द्वारा नया कानून लागू करने के बाद भी खुलेआम सडक़ों पर मौत बेची जा रही है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। इस विषय में बात करने पर वे दूसरे विभागों पर ठीकरा फोडऩे में लगे हंै।
10 वर्ष से बेच रहे हेलमेट
पीलीभीत बाईपास पर लोकल हेलमेट बेचने वाले नौसे ने बताया कि वह 10 वर्ष से इसी जगह पर हेलमेट बेच रहा है। दिन भर में 20-25 हेलमेट बेच देता है। उसके अनुसार 200 रुपए से 500 रुपए तक के हेलमेट उसके पास रहते हंै, जिन्हें बेचकर वह परिवार का पालन-पोषण करता है। कानून की नहीं जानकारी
कई दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे दिल्ली से माल लाकर यहां बेचते हैं। साथ ही शहर के ही कई डिस्ट्रीब्यूटर भी उन्हें माल सप्लाई करते हैं। जब लोकल हेलमेट बेचने पर प्रतिबंध की बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें सरकार के नए कानून की कोई जानकारी ही नहीं है।
500 रुपए तक हो जाती है बचत
सडक़ किनारे हेलमेट बेचने वाले एक दुकानदार ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि वह एक हेलमेट पर 200 रुपए से 500 रुपए तक कमा लेता है। बताया कि दिल्ली से माल लाते हैं तो सस्ता पड़ जाता है। यदि शहर के ही डिस्ड्रीब्यूटर से माल लेते हैं तो वह अपना कमीशन जोड़ देता है, जिससे कम बचत होती है।
लोकल हेलमेट फाइबर, फोम व हल्की प्लास्टिक से बनाए जाते हैं। बाजार में यह हेलमेट 200 रुपए से लेकर 500 रुपए तक में मिल जाते हैं। वहीं सडक़ों के किनारे जहां-तहां दुकानें सजीं रहती हैं। लोग लालच में आकर इन्हें खरीद लेते हैं। हादसा होने पर ये हेलमेट टूटकर बिखर जाते हैं और बाइक सवार हादसे का शिकार हो जाता है। आईएसआई मार्क वाला हेलमेट महंगा
इस्लामिया मार्केट में दुकान चलाने वाले गुड्डू व कमाल ने बताया कि स्टड्स, वेगा और स्टील वर्ड कंपनी के आईएसआई मार्क वाले हेलमेट ओरिजनल होते हैं। ये हेलमेट मजबूत कार्ड बोर्ड व प्लास्टिक से निर्मित होते हैं। हादसा होने के बाद भी इन पर खरोच तक नहीं आती है। बाजार में इनकी कीमत एक हजार से शुरू होकर तीन हजार रुपए तक होती है। कीमत ज्यादा होने के चलते लोग इन्हें खरीदने से बचते हैं।
पहनने पर 1000 जुर्माना
केंद्र सरकार ने लोकल हेलमेट लगाने और बनाने को प्रतिबंधित करने के लिए नया कानून भी लागू कर दिया है। खराब गुणवत्ता का हेलमेट पहनने वालों पर 1000 हजार रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है। इसी तरह लोकल हेलमेट निर्माता पर भी दो लाख रुपए जुर्माना और जेल भेजने का प्रावधान है.उसके बाद भी ऐसे हेलमेट का धंधा खुलेआम जोरों पर संचालित किया जा रहा हैै।
छह वर्ष से बाइक चला रहा हूं। बाइक के साथ ही ब्रांडेड कंपनी का हेलमेट लिया था। तब से अब तक वह ही चल रहा है। यह काफी मजबूत है। जीवन अनमोल ह, इसकी रक्षा अपने हाथ होती है, इसलिए सावधन रहना चाहिए।
पंकज -हमने शुरूआत में लोकल हेलमेट खरीद लिया था। वह कुछ ही दिनों में टूट गया। इसके बाद आईएसआई मार्क वाला ब्रांडेड हेलमेट खरीदा। कफी समय से उसका ही प्रयोग कर रहा हूं।
सुनील -जबसे बाइक खरीदी है, तबसे ही सिर्फ ब्रांडेड कंपनी का हेलमेट ही प्रयोग किया है। यह हेलमेट महंगा जरूर होता है। लेकिन, जान से ज्यादा कीमती नहीं। चालान से बचने के लिए नहीं अपनी लाइफ के लिए हेलमेट खरीदें।
कुनाल वर्मा वर्जन
लोकल और ब्रांडेड हेलमेट के मानक जीएसटी वालों के पास होते हैं। उन्हें ही देखना चाहिए कि लोकल हेलमेट बाजार में न आएं। हमारे पास इसके कोई मानक नहीं हैं। अत: हम कुछ नहीं कर सकते।
राममोहन सिंह, एसपी ट्रैैफिक