ठेले पर 'कायदों' की लाश
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शो पीस बना सरकारी लाश वाहन
मॉच्र्युरी से ठेले पर ले जायी जा रही हैं लाशें BAREILLY: जिंदगी खत्म हो जाए, तो क्या संवेदनाएं भी खत्म हो जानी चाहिए। अंत होने के बाद इंसान के साथ ही क्या इंसानियत भी मुर्दा हो जाती है। इन सवालों का जवाब शहर के अंदर हां में दिखाई देता है। मौत के बाद लाशों के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को भी कफन पहनाते दिख रहे हैं। लाशों को परिजनों के घर और पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने के लिए सरकारी शव वाहन सुविधा होने के बावजूद उन्हें ठेले पर लादकर खुलेआम भेजा जा रहा है। यह तब हो रहा है जबकि शव वाहन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मौजूद है, लेकिन लाश ढोने के लिए ठेलों का ही यूज हो रहा है। लाश पर घूस की मजबूरीलाशों को खुलेआम ठेलों पर लादकर ले जाने की व्यवस्था खत्म करने को शासन की ओर से सितंबर में मुफ्त शव वाहन सुविधा शुरू की गई है। लेकिन सरकार की इस संवेदनशीलता का एक बार फिर अधिकारियों ने मखौल उड़ाया है। शासनादेश के तहत जिले में एनजीओ या अन्य संस्थाओं की मदद से भी अन्य शव वाहनों की लिस्ट तैयार की जानी थी। वहीं शव ले जाने के लिए कोई भी फीस नहीं ली जानी है। लेकिन सुविधा के बावजूद परिजनों से लाश ढोने के लिए शव वाहन मुहैया नहीं हो पा रहा। वहीं ठेले वाले लाश घर या पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने को 100-200 रुपए वसूल रहे।
जिम्मेदारियों पर पर्दा जनता तक इस सुविधा के संचालन के लिए एक नोडल अधिकारी भी तैनात किया गया है। साथ ही जनता तक इस सुविधा की जानकारी के लिए नोडल अधिकारी के नम्बर समेत एक इमरजेंसी नम्बर का प्रचार प्रसार करना था। जिससे परिजन शव वाहन के लिए सीधे कॉल कर सके। लेकिन यह नहंी हो सका। वहीं सरकारी हॉस्पिटल्स में मरीज की मौत के बाद शव को परिजनों के घर तक पहुंचाने के साथ ही लावारिस शवों को हॉस्पिटल से पोस्टमार्टम हाउस तक और फिर पोस्टमार्टम के बाद श्मशान तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी तय की गई है। यदि सरकारी शव वाहन किसी वजह से मुहैया न हो सके तो सीएमएस व सीएमओ को जिम्मेदारी दी गई है कि वह अन्य संस्था की मदद से शव वाहन का इंतजाम करें। -------------------------इस बाबत पूरी गाइडलाइंस मेरे पास नहीं है। शव वाहन होने के बावजूद लाश को ठेले पर ढोना, बेहद संवेदनशील है। इस संबंध में रिपोर्ट मांगी जाएगी और खामियों को दूर किया जाएगा - डॉ। मनोज शुक्ला, प्रभारी अधिकारी, शव वाहन