हाफिज सईद इस्लाम से खारिज
बरेलवी सुन्नियों के सबसे बड़े मरकज आला हजरत दरगाह का फतवा
हाफिज की सईद की तकरीर सुनना और उसे मुसलमान मानना भी हराम >BAREILLY: मुंबई में हुए 26/11 हमले के मास्टर माइंड और भारत के सबसे बड़े दुश्मन में से एक जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद इलाम से खारिज है। यह फतवा बरेलवी सुन्नियों के सबसे बड़े मरकज आला हजरत दरगाह से आया है। एक सवाल के जवाब में दरगाह ने फतवा जारी किया है कि हाफिज सईद को मुसलमान मानना और उसकी तकरीर सुनना भी हराम है। क्या था सवालराजस्थान के जयपुर निवासी मो। मोइनुद्दीन ने दरगाह आला हजरत से सवाल किया था कि आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का चीफ हाफिज सईद रसूल की शान में गुस्ताखी वाली पंक्तियां लिखने वालों को मुसलमान मानता है, गुमराह अकीदे और विचारधारा का प्रचारक है, लोगों को खून-खराबे, आतंकी वारदातों के लिए उकसाता है, क्या ऐसे शख्स को मुसलमान माना जा सकता है? ऐसे शख्स की बातों और तकरीरों (भाषणों) को सुनना जायज है?
दरगाह से आया बड़ा फतवाजवाब में दरगाह के मुफ्ती सलीम नूरी ने फतवा जारी करते हुए कहा कि अल्लाह और रसूल की शान में गुस्ताखी करने वाले इस्लाम से खारिज हैं। जो उनको मुसलमान माने और उनके काफिर होने और अजाब में शक करे तो वह भी काफिर है। ऐसे में उसकी नमाम-ए-जनाजा भी पढ़ना हराम है। हाफिज सईद इसी तरह का अकीदा रखने वाला है। इसलिए वह इस्लाम से खाजिर है। ऐसे में आम लोगों को का उसकी तकरीर सुनना और उसे मुसलमान मानना भी जायज नहीं है। वह एक आतंकी विचारधारा रखने वाला शख्स है। वह इस्लाम और मुसलमान को पूरी दुनिया में बदनाम कर रहा है। इसलिए मुसलमानों पर लाजिमी है कि ऐसे शख्स को न तो मुसलमान मानें और न ही उसकी किसी बात पर यकीन करें। खुद भी दूर रहें और दूसरों को दूर रखें।
हाफिज सईद इस्लाम से खारिज है। वह आतंकी विचारधारा रखता है और उसने इस्लाम और मुसलमान को बदनाम किया है। मुफ्ती सलीम नूरी, दारूल इफ्ता मंजरे इस्लाम, दरगाह अाला हजरत पिछले दिनों जारी हुए फतवे पोकेमान गो गेम खेलना हराम, क्योंकि इस गेम से जान, माल इज्जत आबरू का खतरा है। तिरंगा फहराना जायज है। इंडिपेंडेंस डे पर तिरंगा फहराना वतन परस्ती है। केएफसी का नॉनवेज नाजायज, केएफसी का नॉनवेज शक के दायरे में है उससे बचा जाए।