एनवॉयरंमेंट में जहर घोल रहें हैं होटल्स
- बिना कंसेंट चला रहे हैं जनरेटर, एक्शन लेने में पीसीबी नाकाम
- महज नोटिस भेजने तक सीमित हैं विभाग के अधिकारी ajeet.singh @inext.co.in BAREILLY: शहर की आबोहवा को होटल्स जहरीला बना रहे हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर अवैध तरीके से चल रहे हैं। जिन होटल्स ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से जनरेटर चलाने की इजाजत ली है, वह भी रूल्स फॉलो नहीं कर रहे हैं। नतीजा यह है कि शहर में एयर और साउंड पॉल्यूशन का लेवल मानक से कहीं ज्यादा है, जो न सिर्फ एनवॉयरंमेंट के लिए खतरनाक साबित हो रहा है, बल्कि, हेल्थ पर बढ़ते प्रदूषण का बुरा असर पड़ रहा है। सिर्फ क्0 होटल्स ने लिया है कंसेंटशहर में छोटे व बड़े होटल्स की संख्या तकरीबन दो सौ है, लेकिन इनमें से महज क्0 होटल्स ने ही जनरेटर लगाने का कंसेट लिया है। एयर पल्यूशन एक्ट क्98क् की धारा ख्क् में जनरेटर यूज करने से पहले एनओसी व कंसेट लेने का प्रावधान है। पांच केवीए या अधिक क्षमता के जनरेटर में कैनोपी लगे रहने की भी शर्त है। छोटे होटल्स जहां भ्-7 केवीए के जनरेटर लगे हैं, उनमें कैनोपी लगी ही नहीं है, बड़े जनरेटरर्स में कैनोपी लगी है, लेकिन पीसीबी से परमीशन नहीं लिया है।
ख्द्धड्डह्ल ह्मह्वद्यद्गह्य ह्यड्डब्ह्यशहर में जितने भी होटल्स ने जनरेटर लगाये हैं, वहां ग्राउंड फ्लोर पर ही जनरेटर हैं। नियम है जनरेटर बिल्डिंग की छत पर रखे जाएं। जनरेटर का साइलेंसर छत से ऊंचाई पर रहे। शहर में एक भी होटल इस मानक का पालन नहीं कर रहे हैं। भ्0 केवीए क्षमता के जनरेटर का साइलेंसर छत से डेढ़ मीटर हाइट पर होना चाहिए। इसी प्रकार भ्0 से क्00 केवीए के जनरेटर का साइलेंसर ख् मीटर, क्00-क्भ्0 केवीए का साइलेंसर ढाई मीटर, क्भ्0 से ख्00 केवीए का साइलेंसर फ् मीटर, दो से ढाई सौ केवीए के लिए फ्.क्भ् मीटर तथा ढाई सौ से तीन सौ केवीए जनरेटर का साइलेंसर साढ़े तीन मीटर हाइट पर होना चाहिए।
तो हवा में ऊपर िनकल जाते पॉल्यूटेड कण बिल्डिंग की छतों पर जनरेटर लगाने और उनका साइलेंसर तय ऊंचाई पर किये जाने से कैनोपी लगाने का फायदा मिलता है। ग्राउंड फ्लोर पर जनरेटर होने एयर व साउंड पल्यूशन का स्तर कम नहीं होता है। ढाई गुना अधिक निकल रहा एसपीएमसस्पेंडेड पार्टीकुलेट मैटर (एसपीएम) धूल-धुएं में छिपे कण को कहते हैं। कण की मोटाई पीएम में मापते हैं। एसपीएम में पीएम क्0 कहें तो क्0 माइक्रोग्राम से छोटे साइज के कण होते हैं। ख्ब् घंटे में एसपीएम का स्टैंडर्ड मानक म्0 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होता है। जबकि एसपीएम चार गुना अधिक ख्भ्0 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर निकल रहा है। पीसीबी के अधिकारियों की मानें तो जनरेटर का रखरखाव बेहतर न होने की वजह से कैनोपी व फिल्टर ढंग से काम नहीं करते हैं। लिहाजा, जनरेटर से प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में निकलते हैं और निकल भी रहे हैं।
एसपीएम में छिपे होते हैं खतरनाक तत्व एसपीएम में धूल के अलावा मर्करी, लेड, कैडमियम व आर्सेनिक जैसे तत्व पाये जाते हैं। इनमें से किसी एक भी तत्व का शरीर पर असर हो जाए तो फिर गम्भीर बीमारी तय हैं। मेडिकल रिपोर्ट की मानें तो मर्करी का एक्सपोजर होने पर पेट, किडनी व सांस की बीमारी हो सकती है। इसी प्रकार लेड का एक्सपोजर होने पर किडनी फेल्योर व एनिमिया हो सकता है। कैडमियम से लंग्स में खिंचाव पेट व किडनी की बीमारी होती है। आर्सेनिक के एक्सपोजर से लिवर, नर्व सिस्टम, किडनी के डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं कैंसर व स्किन की बीमाि1रयां भी हो सकती हैं। सल्फर व नाइट्रोजन अभी खतरे से हैं दूरसल्फर व नाइट्रोजन का स्टैंडर्ड क्रमश: भ्0 व ब्0 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। शहर के वातावरण में सल्फर क्0.भ् व नाइट्रोजन ख्फ्.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। पीसीबी के अधिकारी सल्फर व नाइट्रोजन के लेवल को फिलहाल संतोषजनक बता रहे हैं। हालांकि पीसीबी का कहना है कि यदि मानकों की अनदेखी हुई तो स्थिति खतरनाक हो सकती है।
कोट होटल्स को नोटिस भेजी गयी थी। कुछ होटल्स ने कंसेंट होसिल किया, लेकिन ज्यादातर कंसेंट लेने आफिस नहीं पहुंचे। इनके खिलाफ एक्शन के लिए हेड आफिस रिपोर्ट भेजा जाएगा। आरके त्यागी, रीजनल ऑफिसर यूपीपीसीबी बरेली जनरेटर रूल्स के मुताबिक ही लगाये जाने चाहिए। पाल्यूशन से हम सभी को नुकसान है। सच है कि रूल्स फॉलो नहीं हो रहा है। इसके लिए अवेयरनेस की कमी और लापरवाही दोनों को जिम्मेदार क हेंगे। -पुनीत सक्सेना, सदस्य बरेली लग्जरी टैक्सपेयर एसोसिएशन