कैंपस में ही तैयार होंगे साइबर एक्सपट्र्स
इंटरनेट ने बढ़ाई समस्या सन् 80 के दशक से देश में कम्प्यूटराइजेशन की फील्ड में जबरदस्त क्रांति आई। इसी समय से देश में ई गवर्नेंस योजना को जोर-शोर से लागू करने पर बल दिया गया। समूचे देश के सभी प्राइवेट और गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स के सभी डाटा का कम्प्यूटराइजेशन होने लगा। ऐसे में इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग से साइबर क्राइम का भी ग्राफ लगातार बढ़ता गया। इस तरह के क्राइम करने वाले पकड़ से दूर हैं. इंटरनेट के जरिए कई विभागों में सेंधमारी होने लगी। देश की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा।डिफेंस पर भी साइबर अटैक
साइबर क्राइम न केवल आम पब्लिक को बल्कि डिफेंस जैसे अहम डिपार्टमेंट को भी अपने चपेट में ले चुका है। इससे निपटने के लिए कंट्री को जबरदस्त साइबर एक्सपट्र्स की कमी महसूस की जा रही है। इसी के मद्देनजर जुलाई 2011 में पीएम के निर्देश पर फॉर्मर कैबिनेट सेक्रेट्री नरेश चंद्रा की अध्यक्षता में नेशनल सिक्योरिटी पर 13 मेंबर्स की टास्क फोर्स गठित की गई, जिसमें काफी संख्या में आम्र्ड फोर्सेज के रिटायर्ड ऑफिसर्स और साइबर एक्सपट्र्स शामिल थे।साइबर सिक्योरिटी में पारंगत एक्सपट्र्स की भारी कमी
टास्क फोर्स को देश की मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को नए सिरे से समीक्षा करनी थी। साथ ही लूपहोल्स पता करने और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के सजेशन भी देने थे। पीएम को सौंपी रिपोर्ट में टास्क फोर्स ने साइबर सिक्योरिटी में पारंगत एक्सपट्र्स की भारी कमी महसूस की है। उन्होंने इस संबंध में देश के सभी यूनिवर्सिटीज और टेक्निकल कॉलेजेज में साइबर व इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी को एज ए सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाए जाने का सजेशन दिया है। टास्क फोर्स ने अपने रिकमेंडेशन में कहा है कि यूजीसी और एआईसीटीई इस बात को इंश्योर करे कि यूनिवर्सिटीज और टेक्निकल कॉलेजेज में साइबर व इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी पर सब्जेक्ट इंट्रोड्यूस किया जा सके।तेजी से चेंज हो रही है टेक्नोलॉजी
साइबर सिक्योरिटी पर सब्जेक्ट लागू हुआ तो मार्केट को ऐसे साइबर एक्सपट्र्स मिल पाएंगे जो इंटरनेट की सेंधमारी को पकड़ सकेंगे और साइबर क्राइम पर बहुत हद तक लगाम लग सकेगी। इंटरनेट ओपन वल्र्ड है। इस पर बहुत सी ऐसी इंफॉर्मेशन डाल दी जाती हैं जो प्रॉब्लम्स क्रिएट कर देती हैं। वायरलेस के जरिए दूसरे का लिंक हैक कर आपत्तिजनक मेल करने की वारदात कर देते हैं। इसमें असल आरोपी साफ बच निकलता है। आरयू में भी मेल हैक करने का केस हो चुका है। वहीं बरेली में ही रॉ और आईबी ने छापा मारकर कुछ लोगों को आपत्तिजनक वेबसाइट ऑपरेट करते हुए पकड़ा था। पुलिस और दूसरी सिक्योरिटी एजेंसीज में साइबर एक्सपट्र्स की भारी कमी है। ऐसे सब्जेक्ट्स से यह कमी बहुत हद तक पूरी हो सकती है।- डॉ। रविंद्र सिंह, एचओडी, कम्प्यूटर साइंस, आरयूसाफ बच निकलता है आरोपीअमेरिका जैसे मजबूत सिक्योरिटी वाले कंट्रीज भी साइबर क्राइम से अछूते नहीं हैं। यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में ऐसे कोर्सेज लागू होने से कैंपस में ही साइबर क्राइम पर वॉच रखने वाले साइबर एक्सपट्र्स तैयार हो सकेंगे। इंटरनेट पर मौजूद डाटा में सेंधमारी आम हो गई है। साइबर एक्सपट्र्स तैयार होने से इसकी सिक्योरिटी को और पुख्ता बनाया जा सकता है। टेक्नोलॉजी बहुत जल्दी से चेंज हो रही है। ऐसे में यह आज की जरूरत है कि इस एरियाज के लिए अलग से एक्सपट्र्स तैयार हों। इस संबंध में ऐसे सब्जेक्ट्स काफी सहायक सिद्ध होंगे। स्टूडेंट्स को साइबर वल्र्ड की टेक्निकली जानकारी हासिल होगी। साथ ही सिक्योरिटी एजेंसीज को जो एक्सपट्र्स की कमियां महसूस हो रही है वह भी पूरी हो जाएगी।- डॉ। एके गुप्ता, डीन, आईईटी, आरयूReport by:Abhishek Singh