गोकाष्ठ कम करेगा पेड़ों का कटान
बरेली (ब्यूरो)।। नगर निगम की ओर से साफ सफाई को लेकर कई बार नई-नई कवायद करने के बारे में बहुत बार सुना होगा, लेकिन अब नगर निगम की ओर से गोबर का उपयोग करते हुए गोकाष्ठ बनाने वाला है। इसका इस्तेमाल शमशान भूमि में किया जाएगा। साथ ही इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इसको लेकर निगम की टीम प्लान तैयार कर रही है।
मिलेगा रोजगार
शहर में नगर निगम के कान्हा उपवन में पशुओं के गोबर का निस्तारण आसान काम नहीं। निगम एक प्रयोग कर रहा हैं, ताकि गोबर निस्तारण भी हो जाए और संसाधन के तौर पर इसका इस्तेमाल भी हो सके। निगम अब गोबर के ल_े बनवाना शुरू करने वाला है। इन ल_ों का उपयोग श्मशान घाटों में किया जाएगा। गोबर से लट्ठ बनाने से रोजगार का साधन भी उपलब्ध होगा साथ ही लेबर, मशीन से ल_े बनाकर रुपए पाएंगे। निगम का यह प्रयोग प्रदेश के अन्य शहर के लिए नजीर बनेगा।
नालियों में नहीं बहेगा गोबर
शहर की डेयरियों से निकलने वाले गोबर के सीवरेज लाइन में गिरने से सीवरेज जाम की समस्या का लोगों को सामना नहीं करना पड़ेगा। निगम की इस पहल से पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। अधिकारियों के मुताबिक निगम गाय का गोबर, गंगाजल, गोमूत्र, हवन सामग्र्राी, चंदन की लकड़ी का बुरादा, पेड़ों के सूखे पत्ते को मिलाकर गोकाष्ठ बनाएगा। इसमें से चंदन की लकड़ी के बुरादे से बने गोकाष्ठ की कीमत सामन्य गोकाष्ठï से अधिक रखी जाएगी। साथ ही इसके इस्तेमाल से लकड़ी के कटान में भी कमी आएगी।
दिया जाएगा प्रशिक्षण
नगर निगम के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट ने बताया कि इसके पहले चरण में निगम अधिकृत आठ समूह की 20 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त करेंगी। साथ ही एक्सपर्ट ने बताया कि गोबर से बने हुए गोकाष्ठ के दाम सामान्य लकड़ी से कम ही रखे जाएंंगे। इस समय शमशान भूमि में लकड़ी का रेट 600 रुपए प्रति कुंटल चल रही हैं, हम इससे भी कम दाम में गोबर से बने गोकाष्ठ मुहैया कराएंगे। इसके लिए निगम के कर्मचारी घर-घर जाकर गोकाष्ठ को इस्तेमाल करने के लिए पब्लिक को प्रेरित करेंगे। कान्हा उपवन नदौसी में करीब 1200 गायों से 60 कुंतल गोबर प्रतिदिन निकलता है, जिससे खाद तैयार होती है।
निगम की ओर से छह मशीनों को खरीदने का निर्णय लिया गया है। इनसे बनने वाली गोबर के लठ्ठे का उपयोग सिटी शमशान भूमि, गुलाबबाड़ी, मॉडल टाउन व शमशान भूमि के साथ ही अन्य कार्यो के लिए किया जाएगा।
ये होंगे फायदे
-आठ से 10 प्रतिशत तक लकड़ी के मुकाबले कम होगा कार्बन उत्सर्जन
-पेड़ों की हो रही कटाई में कमी आएगी
-लकड़ी से कम दाम में मिलेगी गोबर से बनी लकड़ी
-कम कार्बन उत्सर्जन से काफी हद तक वायु प्रदुषण से राहत मिलेगी
-महिलाओं को मिलेगा रोजगार