Case 1नीरज गंगवार के इंटर में 71 परसेंट माक्र्स हैं. वह बीए में एडमिशन लेना चाहती है. काउंसलिंग वाले दिन जब तक उसका नंबर आया तब तक कॉलेज ने यह कहकर उसे वापस कर दिया कि काउंसलिंग का टाइम खत्म हो चुका है. दूसरे दिन जब वह दोबारा गई तो काउंसलिंग कराने से मना कर दिया.Case 2मनीषा के इंटर में 67.8 परसेंट माक्र्स हैं. उसे भी बीए में एडमिशन लेना है. काउंसलिंग के दिन डॉक्यूमेंट्स में कमी की बात कह कर दोबारा आने को कहा. जब उसने डॉक्यूमेंट्स पूरे कराकर दाखिला लेना चाहा तो यह कहकर वापस कर दिया कि अब उसकी दोबारा काउंसलिंग नहीं हो सकती.Case 3पूनम के 66.8 परसेंट माक्र्स हैं. नॉर्मलाइजेशन के बाद परसेंटेज 70 से पार कर रही है. पूनम ने बताया कि ऑफिस की लिस्ट में उसका नाम है लेकिन मेरिट लिस्ट में उसका नाम नहीं है. जबकि मेरिट लिस्ट में उससे भी कम परसेंट माक्र्स वाले स्टूडेंट्स के नाम हैं.Bareilly : वीरांगना रानी अवंतीबाई गल्र्स डिग्री कॉलेज में थर्सडे को जो गदर कटा वह महज एक दिन का रिजल्ट नहीं है. इसकी बिसात तो उसी दिन बिछ गई थी जब कॉलेज ने फस्र्ट मेरिट लिस्ट डिक्लेयर कर काउंसलिंग शेड्यूल जारी किया था. रही सही कसर काउंसलिंग में पूरी हो गई. कमियां बताकर स्टूडेंट्स को लौटाया जाने लगा. बाद में एडमिशन देने से ही मना कर दिया गया. स्टूडेंट्स ने जब देखा कि उनसे कम माक्र्स वालों को एडमिशन दिया जा रहा है तो गुस्सा फूट पड़ा. इस हंगामे का अंदेशा आई नेक्स्ट पहले ही जता दिया था.


गड़बड़ reservation policyजो मेरिट लिस्ट जारी की गई थी वह रिजर्वेशन पॉलिसी के अनुसार नहीं थी। बीए में तो जनरल और ओबीसी की कंबाइंड लिस्ट जारी कर दी गई थी। एससी व एसटी कैटेगरी की लिस्ट अलग दिख रही थी। जनरल और ओबीसी कैटेगरी की लिस्ट कंफ्यूजिंग थी। हंगामा करने वालों में भी इसी कैटेगरी के स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा थी। फस्र्ट काउंसलिंग 23 से 26 जुलाई तक चली लेकिन कॉलेज ने 'पहले आओ पहले पाओ' की तर्ज पर एडमिशन लिया। पर्सेंटाइल के अकॉर्डिंग स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के लिए बुलाने का प्रोसेस फॉलो नहीं हुआ। Adjust करने की कोशिश
रिजर्वेशन कोटे को भले ही कॉलेज फॉलो नहीं कर रहा हो लेकिन हिडन कोटे को एडजस्ट करने की कॉलेज भरसक कोशिश कर रहा है। 31 जुलाई को हंगामे के दौरान सत्तापक्ष के एक पदाधिकारी अपने कुछ कैंडीडेट्स की पैरवी करने साथियों के साथ पहुंचे थे। सत्तापक्ष की यूथ विंग के नेता और पदाधिकारी भी बैकडोर से अपने कोटे की मांग रखकर कई कैंडीडेट्स की पैरवी कर चुके हैं। स्टूडेंट्स यूनियन के रिपे्रजेंटेटिव्ज अपने कैंडीडेट्स की लिस्ट सामने रख चुके हैं। दवाब में ही सही पर इस हिडन कोटे को एडजस्ट करने की कोशिश की गई।अंदर कुछ, बाहर कुछ


स्टूडेंट्स ने कॉलेज कैंपस में चस्पा की गई लिस्ट और ऑफिस में मौजूद लिस्ट में बड़ा फर्क होने का आरोप लगाया। स्टूडेंट्स ने बताया कि ऑफिस में रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स की लिस्ट और उनके पर्सेंटाइल की लिस्ट है। बाहर जो लिस्ट चिपकाई गई है, उसमें एक पर्सेंटाइल से दूसरे पर्सेंटाइल वाले स्टूडेंट्स के बीच काफी गैप है। साफ है कि बीच में कई स्टूडेंट्स के नाम गोल किए गए हैं। मसलन बायो की फस्र्ट मेरिट लिस्ट में जनरल में 88.2 पर्सेंटाइल से 61.8 पर्सेंटाइल तक महज 15 स्टूडेंट्स ही शामिल थे। वहीं मैथ्स की लिस्ट में 87.6 से 68.8 पर्सेंटाइल तक महज 20 स्टूडेंट्स ही शामिल थे। बीकॉम में 90.6 से 79.4 पर्सेंटाइल के बीच महज 29 स्टूडेंट्स शामिल थे।Merit list में ही था पूरा झोल

अवंतीबाई की मेरिट लिस्ट किसी अबूझ पहेली से कम नहीं थी। बीए की 720, बीकॉम की 160 और बीएससी की 160 सीटों के लिए 22 जुलाई को फस्र्ट मेरिट लिस्ट डिक्लेयर की गई। ये न तो स्टूडेंट्स को समझ आई और न ही कॉलेज ने समझाने की जहमत उठाई। तीनों सब्जेक्ट्स के लिए करीब 4,000 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन कॉलेज ने सीटों के अनुसार लिमिटेड स्टूडेंट्स की लिस्ट जारी की थी। यही नहीं कोई कट-ऑफ लिस्ट भी जारी नहीं की थी। लिस्ट के अलावा बाकी स्टूडेंट्स कहां स्टैंड करते हैं उनका कुछ अता-पता नहीं था।कुछ ऐसे सवाल जिनके clear answer college नहीं दे सका-सभी रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स की मेरिट लिस्ट क्यों नहीं डिक्लेयर की गई।-कट-ऑफ लिस्ट भी क्यों छिपा कर रखी गई।-कॉलेज ने सीटों के अनुसार खुद ही स्टूडेंट्स सेलेक्ट कर लिस्ट क्यों जारी की।-जनरल और ओबीसी की लिस्ट के कंफ्यूजन को क्लियर क्यों नहीं किया गया। कंबाइंड लिस्ट क्यों जारी की गई।-जब स्टूडेंट्स ज्यादा हैं तो रैंक के अनुसार स्टूडेंट्स को क्यों नहीं बुलाया।-हाथ से बनाई हुई मेरिट लिस्ट क्यों डिक्लेयर की गई।-काउंसलिंग के दौरान किसी वजह से स्टूडेंट्स को बाहर किया तो दूसरे दिन कमी पूरा करने का अवसर क्यों नहीं दिया गया।'काउंसलिंग में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है। स्टूडेंट्स काउंसलिंग कराने नहीं आईं थी। वे बीसीबी के मेरिट लिस्ट का वेट कर रहीं थीं। वहां पर एडमिशन मिलने की उम्मीद खत्म हुई तो यहां आकर हंगामा करने लगीं, वाह भी तब जब दो लिस्ट की काउंसलिंग खत्म हो गई। इन स्टूडेंट्स के लिए डिसीजन तीसरी मेरिट के बाद लिया जाएगा.'- एसपी खरे,  प्रिंसिपल अवंतीबाई कॉलेज
'इस पूरे प्रकरण पर मेरी नजर है। अवंतीबाई कॉलेज में गल्र्स के हंगामे के बाद इस प्रकरण को गंभीरता से लिया गया है। संबंधित अधिकारियों को एडमिशन के पूरे मामले को देखने के लिए कहा गया है और व्यवस्था न बिगड़े इसके भी निर्देश  दिए गए हैं.'- अभिषेक प्रकाश, डीएम

Posted By: Inextlive