टेक्निकल क्वेश्चंस ने किया परेशान
-सीटीईटी एग्जाम में अधिकांश क्वेश्चंस नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 की थ्योरी से पूछे गए थे
BAREILLY: सीबीएसई के सीटीईटी एग्जाम ने हर बार की तरह इस बार भी कैंडीडेट्स को खूब छकाया। उन्होंने माना कि जिस तरह के क्वेश्चंस इसमें पूछे जाते हैं वह सामान्य कैंडीडेट्स के लिए हल करना काफी मुश्किल होता है। क्वेश्चंस को वही हल कर सकता है जो किसी स्कूल में काफी समय से पढ़ाता हो। काफी टेक्निकल क्वेश्चंस पूछे गए थे। जिनके बारे में कैंडीडेट्स ने पढ़ा नहीं था। अधिकांश कैंडीडेट्स ने बताया कि जिस हिसाब से उन्होंने तैयारी की थी क्वेश्चंस उस तरह से नहीं आए। व्यवहारिक क्वेश्चंस ने ज्यादा तंग कियाकैंडीडेट्स ने बताया कि जहां तक लैंग्वेज पोर्शन का सवाल था उसमें क्वेश्चंस काफी ईजी पूछे गए थे। हिंदी या फिर इंग्लिश कैंडीडेट्स का ज्यादा सरल लगी। वहीं जिन कैंडीडेट्स का सब्जेक्ट मैथ्स व साइंस थी उनके व्यहारिक क्वेश्चंस ने काफी तंग किया। न्यूमेरिकल काफी कम पूछे गए थे। अधिकांश क्वेश्चंस नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ख्00भ् की थ्योरी से पूछे गए थे। जिनकी तैयारी कैंडीडेट्स को नहीं थी। क्वेश्चंस इतने व्यवहारिक थे कि उनके आंसर मिलते-जुलते थे। जिनमें से एक सही आंसर को चूज करना काफी कठिन हो रहा था।
मैने सब्जेक्ट के रूप में मैथ्स लिया था। न्यूमेरिकल काफी कम पूछे गए थे। एनसीएफ ख्00भ् में से क्वेश्चंस काफी पूछे गए थे। इन्हें हल करना काफी मुश्किल लग रहा था।
-अखिलेश, कैंडीडेट मेरा दूसरा अटेंप्ट था। पेपर वैसे ठीक था, फिर भी व्यवहारिक क्वेश्चंस को हल करना काफी कठिन लग रहा था। पिछले एग्जाम की तरह ही क्वेश्चंस पूछे गए थे। - उदयवीर सिंह, कैंडीडेट मैंने सब्जेक्ट में सोशल साइंस और लैंग्वेज में हिंदी चूज किया था। जो काफी हद तक मुझे समझ में आया। लेकिन बाकी पोर्शन के सवाल तो काफी कठिन थे। - चेतन, कैंडीडेट