- सरकारी भूमि पर बने अस्पताल की खत्म हो चुकी लीज, कोर्ट से भी जीता निगम

- मरीजों व डॉक्टरों की फरियाद पर पहुंचे मेयर,ए खाली करने को दिए दस दिन

बरेली : नगर निगम की टीम ने फ्राईडे को धर्मदत्त सिटी अस्पताल पहुंचकर सीलिंग की कार्रवाई कर दी। इस पर वहां मौजूद डॉक्टरए स्टाफ और तीमारदारों ने विरोध कर हंगामा किया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक मरीज को निजी अस्पताल में शिफ्ट करा दिया। मरीजों और डॉक्टरों की गुहार पर महापौर अस्पताल पहुंचे और दस दिन का समय दे दिया।

अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में नगर निगम की टीम, प्रवर्तन दल और स्वास्थ्य विभाग की टीम फ्राईडे दोपहर करीब दो बजे धर्मदत्त सिटी अस्पताल पहुंची। टीम ने वहां पहुंचते ही मुख्य गेट पर सील लगाकर उसे कब्जे में ले लिया। इसके बाद अंदर मेडिकल, जनरल वार्ड, रिशेप्शन काउंटर, डॉक्टर चैंबर में भी सील लगा दी। नगर निगम की कार्रवाई से वहां का स्टाफ और मरीजों के तीमारदार भड़क गए। नगर निगम की टीम के साथ तीखी नोकझोंक हुई। एसीएमओ डॉ। अशोक कुमार ने मरीजों को जिला अस्पताल में शिफ्ट करवाने की व्यवस्था किए जाने के बारे में तीमारदारों को बताया, लेकिन वहां से जाने को मरीज राजी नहीं हुए। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। बमुश्किल एक मरीज को वहां से शिफ्ट कराया गया। दो मरीज खुद ही चले गए। इसके बाद भी वहां एक मरीज प्राइवेट और दूसरा जनरल वार्ड में भर्ती रहे। सूचना पर अपर नगर आयुक्त भी वहां पहुंचे। उन्होंने जबरन सीलिंग करने को कहा तो तीमारदार और स्टाफ विरोध करने लगे।

मेयर ने लिया जायजा

देर शाम करीब छह बजे मेयर डॉ। उमेश गौतम वहां पहुंचे। उन्होंने आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर से सील खुलवा दी। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों से अस्पताल के बाहर निगम का बोर्ड लगाकर दस दिन का समय देने को कहा। इसके बाद निगम की टीम वहां से लौटी।

2003 में निरस्त हो चुकी लीज

अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह ने बताया कि नगर निगम बोर्ड ने 2003 में ही अस्पताल की लीज को निरस्त कर दिया है। उसके बाद से निगम सरकारी भूमि पर कब्जा लेने का प्रयास कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन हाईकोर्ट से केस हार चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने उसी आदेश को सही बताया है। वहां सरकारी भूमि के कुछ भाग पर कब्जा लिया जा चुका है। करीब साढ़े तीन हजार वर्ग मीटर भूमि पर फ्राईडे को कब्जा लिया गया।

वर्जन

। अस्पताल से तीमारदार और डॉक्टरों के फोन आए थे। उनका कहना है कि निगम ने कोई नोटिस नहीं दिया। इस पर वहां जाकर मरीजों के इलाज को देखते हुए ओटी और आईसीयू की सील खुलवाई गई। निगम अफसरों को दस दिन का समय देते हुए बोर्ड लगाने को कहा गया है। उसके बाद निगम वहां अपना कब्जा लेगा।

डॉ। उमेश गौतम, मेयर

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। निगम ने कब्जा लेने का प्रयास किया था। सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारे पास हैए जिसमें उन्होंने टाइटल तय करने के लिए डिस्ट्रिक जज के पास भेजा है। सिविल जज के यहां केस चल रहा है। नगर निगम की सभी आपत्तियां कोर्ट ने खारिज कर दी है। केस अभी लंबित है।

डॉ। अनुपम शर्मा, डायरेक्टर, धर्मदत्त सिटी हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive