-बिल नहीं करा सके पास, मूल्यांकन का 61 लाख रुपया डीआईओएस की लापरवाही से हुआ लैप्स

-खबर खुलने के बाद डीआईओएस को झेलना पड़ सकता है भारी विरोध

BAREILLY: डीआईओएस की लापरवाही के चलते मूल्यांकन ग्रांट का म्क् लाख रुपये लैप्स हो चुका है। अधिकारी ने 8 महीनें पहले आयी ग्रांट को रिलीज कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी, जिससे बीते फ्क् मार्च को फाइंनेशियल ईयर खत्म होने के साथ ये ग्रांट लैप्स हो गई। तीन साल से लटके मूल्यांकन मानदेय के लिए पिछले दिनों भारी विरोध करने पर मजबूर हुए शिक्षकों के लिए ये खबर उनके साथ हुऐ बड़े विश्वासघात की तरह है।

क् करोड़ में से म्क् लाख लैप्स

बोर्ड एग्जाम में इंवीजिलेट, फ्लाइंग स्कावाइड और एग्जामिनर के रूप ड्यूटी करने वाले टीचर्स का मानदेय पिछले तीन साल से लटका था। इस पूरे मानदेय की ग्रांट बीते साल सिंतबर में ट्रेजरी भेज दी गई। जिसका टोटल अमाउंट क्,क्ख्,ख्ख्,भ्क्ख् रुपये था। इस पूरी ग्रांट में से विभाग मात्र भ्क् लाख रुपया ही रिलीज करा सका, जबकि बाकी का बचा म्क्,09,7भ्7 रुपया लापरवाही की बलि चढ़ गया। मार्च के आखिरी दिनों में बिल बनाकर ट्रेजरी भेजे गए। इन बिल्स में कई फॉल्ट्स होने के चलते ट्रेजरी से इसे डीआईओएस ऑफिस को वापस कर ि1दया गया।

चेताने पर भी लापरवाह रहे डीआईओएस

ग्रांट लैप्स होने का मामले पर डीआईओएस ने ट्रेजरी को जिम्मेदार ठहराया। जबकि ट्रेजरी ऑफिसर अमितोष का कहना है कि फ्क् मार्च को उन्होंने डीआईओएस को फोन पर बचे हुए बिलों में करेक्शन कराकर इन्हें ट्रेजरी भेजने की बात कही थी.असल में डीआईओएस विभाग से बचे हुए क्म्7 बिल्स ट्रेजरी भेजे, ये अलग-अलग दिन फ्क् मार्च तक भेजे गए, जिसमें गलतियां होने के चलते ट्रेजरी ने इनमें करेक्शन कराने को कहा। लेकिन अधिकारी ने आखिरी दिन भी कोई करेक्शन कराने के लिए एक्शन नहीं लिया। इससे पहले मुख्य कोषाधिकारी ने शासनादेश के एकॉर्डिग ख्भ् मार्च तक फाइनेंशियल ईयर ख्0क्ब्-क्भ् के संबंधित बिल क्लीयर कराने के लिए डीआईओएस विभाग को एक लेटर भ्ोजा था।

खुद की गलती और चपरासी दोषी

डीआईओएस म्क् लाख रुपये लैप्स होने के लापरवाही पर अपनी गर्दन बचाने के लिए दफ्तर के चपरासी की बलि चढ़ा रहे हैं। फ्क् मार्च को बिल लेकर ट्रेजरी भेजे गए चपरासी को वहां के बाबू ने ये बिल मे गलतियों के चलते लौटा दिये। इसको गलती मानते हुए डीआईओएस दफ्तर के इस चपरासी ओमशंकर गुप्ता को डीआईओएस ने ख् अप्रैल को एक लेटर भेजकर जबाव मांगते हुए दोषी बनाया है। जिसमें डीआईओएस ने इस कर्मचारी से प्रश्न किया है कि वो ट्रेजरी से बिल वापस लेकर क्यों आया।

छुपाने की कोशिश में डीआईओएस

मूल्यांकन के लिए आये रुपये में से म्क् लाख रुपये की बड़ी रकम लैप्स होने की खबर को डीआईओएस ने दबाने की कोशिश की। ग्रांट लैप्स होने की बात डीआईओएस स्वीकारने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद इन्होंने गुमराह करते हुए लैप्स हुई अमाउंट ख्भ् लाख रुपये बतायी। जिसके लैप्स होने के पीछे इन्होंने ट्रेजरी विभाग को जिम्मेदार माना है।

सिर्फ ख्भ् लाख ग्रांट लैप्स हुई है, जिसको मंगाने का प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। लैप्स होने में कोई लापरवाही हमारे स्तर से नहीं हुई। ट्रेजरी ने ही बिल पास नहीं किये।

- आशुतोष भारद्वाज, डीआईओएस

ग्रांट आये काफभ् टाइम हो चुका था, ऐसे में फ्क् मार्च तक बिल बनाकर भेजना पूरी तरह से लापरवाही है। डीआईओएस हमें जिम्मेदार कैसे ठहरा सकते है, उन्हें ख्भ् मार्च तक भेजने का लेटर भेजा गया और फिर फोन पर फ्क् मार्च को भी सूचना भेजी गई।

- पीडी उपाध्याय, मुख्य कोषाधिकारी

Posted By: Inextlive