स्क्रीनिंग के आदेश को डीआईओएस का ठेंगा
-30 मार्च को लखनऊ से कॉपियों की चेकिंग के संबंध में जारी हुआ आदेश नहीं पहुंचा
-सचिव बोले आदेश भेजा, डीआईओएस कहे रहे मुझे पता ही नहीं -गणित में 95 परसेंट व अन्य विषय में 90 परसेंट मार्क्स लाने वाली कॉपियों की होनी थी स्क्रीनिंग -कॉपियों की चेकिंग का काम पूरा, अब इसका सीधा नुकसान भरेंगे स्टूडेंट्सBAREILLY: यूपी बोर्ड के निदेशक ने फ्0 मार्च को एक आदेश जारी किया था। आदेश था कि जिन भी स्टूडेंट्स के गणित में 9भ् फीसदी व अन्य सब्जेक्ट में 90 प्रतिशत से ज्यादा मार्क्स आते हैं, उन स्टूडेंट्स की कॉपियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। मकसद था स्टूडेंट्स को उनकी मेहनत के हिसाब से सही मार्क्स मिले और गलती की संभावना न हों। अब तस्वीर का दूसरा पहलू आप देखिए। सिटी में कॉपी चेकिंग का काम लगभग खत्म हो गया है, लेकिन डीआईओएस कह रहे हैं कि उनको यह आदेश ही नहीं मिला है। वहीं क्षेत्रीय सचिव कहते हैं कि आदेश भेजा जा चुका है। अंदाजा आप खुद ही लगा लीजिए की बोर्ड कितना गंभीर है।
अब नहीं चल पाएगा गड़बड़ी का पताकॉपियों में नंबर देते वक्त एग्जामिनर ने किस तरह की गड़बडि़यां की होंगी, या फिर अपनी कलम का इस्तेमाल किस स्टूडेंट को 'फायदा' पहुंचाने के लिए किया होगा, इसका पता अब नहीं चल सकेगा। डीआईओएस ने परिषद के एक महत्वपूर्ण आदेश को मूल्यांकन केंद्रों तक सर्कुलेट करने की जहमत तक नहंीं उठाई। ये आदेश ऐसी कॉपियों की स्क्रीनिंग पर दिया गया था, जिनके मार्क्स 90 फीसदी या इससे अधिक आये हों। अब जबकि मूल्यांकन खत्म हो चुका है तो डीआईओएस की इस लापरवाही का सीधा नुकसान स्टूडेंट्स को ही होगा।
आदेश से बेखबर डीआईओएस मूल्यांकन शुरू होने के दो दिन पहले यानि ख्8 मार्च को कॉपियों की स्क्रीनिंग का आदेश जारी किया गया था, जिसे सभी जिलों को ईमेल के जरिए भेजा गया। आदेश में मैथमेटिक्स सब्जेक्ट में 9भ् परसेंट जबकि बाकी सब्जेक्ट्स में 90 परसेंट अंक लाने वाली कॉपीज की रीचेकिंग की बात कही गई। जिसका जिम्मा मूल्यांकन केंद्र के डिप्टी एग्जामिनर को सौंपा गया। लेकिन डीआईओएस ने इस आदेश को मूल्यांकन सेंटर्स तक भेजा ही नहीं। इस आदेश के बाबत पूछने पर डीआईओएस ने ऐसे किसी आदेश की जानकारी से साफ मना किया है। क्या कहते हैं उपनियंत्रकशहर के पांचों मूल्यांकन केंद्र के उपनियंत्रक इस स्क्रीनिंग के आदेश से बेखबर हैं। जीआईसी प्रिंसिपल व मूल्यांकन सेंटर उपनियंत्रक आरके सिंह का स्क्रीनिंग के सवाल पर जवाब था, कि कोई नया आदेश हम तक नहीं पहुंचा, हालांकि हमारी एक टीम ने हाईएस्ट व लोएस्ट मार्क्स वाली कॉपियों में से क्भ् परसेंट कॉपियों को पुराने नियम के आधार पर रेंडमली चेक किया। इसके अलावा चारों मूल्यांकन केंद्र एफआर इस्लामियां इंटर कॉलेज, केडीएम इंटर कॉलेज, विष्णु इंटर कॉलेज व विशप इंटर कॉलेज में भी उपनियंत्रकों को इस आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं था।
मूल्यांकन पूरा, डिब्बे में आदेश वेडनसडे का लगभग सभी केंद्रों का मूल्यांकन काम पूरा हो गया, ऐसे में 90 फीसदी अंक वाली कॉपियों की रीचेकिंग होना असंभव है। क्योंकि अधिकारी ने पहले आये आदेश पर ही एक्शन नहीं लिया। वेडनेसडे तक विशप इंटर कॉलेज से अलावा चारों केंद्रों का काम पूरा हो चुका है। बरेली में लगभग 7 लाख कॉपियां चेक हुई हैं। अब इन कॉपियों में बंद बच्चों की किस्मत राम भरोसे ही है। क्या है साइड इफेक्ट - इसका बड़ा नुकसान ब्रिलियंट बच्चों को होगा, क्योंकि पिछले सालों में नकल माफियों की पहुंच के चलते ऐसे बच्चों को 90 से ज्यादा मार्क्स बांटे गए हैं, जो डिजर्ब ही नहीं करते। जिससे चलते ब्रिलियंट बच्चे मेरिट में मात खा जाते हैं।- इस आदेश का अगर पालन होता तो ऐसे एग्जामिनर्स को ब्लैक लिस्ट किया जा सकता था जो नॉन डिजर्बिग कॉपीज को फायदा पहुंचा रहे थे।
मुझे ऐसे किसी आदेश की जानकारी नहीं है, आदेश के बारे में क्षेत्रीय सचिव जानें। - आशुतोष भारद्वाज, डीआईओएस स्क्रीनिंग का आदेश डीआईओएस व जेडी को फ्0 मार्च से पहले ही भेजा गया था, अगर ये आदेश ही मूल्यांकन केंद्रों तक नहीं पहुंचा तो मूल्यांकन नियंत्रक होने के नाते डीआईओएस दोषी हैं। - संजय उपाध्याय, क्षेत्रीय सचिव