College ‘A’, campus ‘C’
कैंपस में हंगामा खड़ा करना ही 'मकसद'
बीसीबी कॉलेज ने भले ही नैक से 'ए' ग्रेड का तमगा हासिल कर लिया हो लेकिन कैंपस में स्टडीज का माहौल 'सी' ग्रेड से ऊपर नहीं उठ पा रहा है। पहले से अपनी इमेज के फ्रंट पर जूझ रहे कैंपस को छात्र संघ और पलीता लगा रहा है। कई गुटों में बंटे स्टूडेंट्स यूनियन की दबंगई ने कॉलेज एडमिनस्ट्रिेशन और स्टूडेंट्स की नींद उड़ा रखी है। इसके अलावा पिं्रसिपल और टीचर्स यूनियन के बीच छिड़ा विवाद भी पठन-पाठन पर असर डाल रहा है। ऐसे में सिटी में शिक्षा के इस सबसे बड़े मंदिर की कंडीशन लोगों को फिर चिंतित करने लगी है। एग्जाम सिर पर हैं पर प्रॉपर एकेडमिक फैसिलिटीज तो दूर की बात हालात इतने खराब हैं कि पेरेंट्स अपनी बेटियों को कॉलेज भेजने से कतराने लगे हैं। आई नेक्स्ट ने बीसीबी के बिगड़ते हालातों पर कॉलेज से जुड़े स्टूडेंट्स, टीचर्स और छात्र संघ के पदाधिकारियों से इसकी वजह जानने की कोशिश की।परपज से भटका छात्र संघ
छात्र संघ का फॉर्मेशन स्टूडेंट्स के वेलफेयर की एक्टिविटीज को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है पर बीसीबी का छात्र संघ तो खुद ही विवादों से घिरा है। चाहे इंटरनल पॉलिटिक्स हो या फिर कोई बाहरी ईश्यू। कुल मिलाकर छात्र संघ अपने परपज से भटक चुका है। अंदाजा लगाइए कि जिस छात्र संघ को बने तीन महीने हो चुके हैं, उसके खाते में अब तक स्टूडेंट्स वेलफेयर का एक भी काम दर्ज नहीं हो पाया है। संघ बनते ही सबसे पहले ओथ सेरेमनी पर ग्रहण लग गया। विवाद इतना बढ़ गया कि छात्र संघ अध्यक्ष के साथ ही मारपीट की गई। हाल ही में छात्र संघ पदाधिकारियों ने टीचर्स से अभद्रता में भी कोताही नहीं की।गल्र्स फील कर रहीं इनसिक्योरकॉलेज के बिगड़ते माहौल में कॉमन स्टूडेंट्स को ही सबसे ज्यादा प्रॉब्लम्स हो रही है। माहौल इतना अनहेल्दी हो गया है कि गल्र्स को कॉलेज में आना भी सिक्योर नहीं लग रहा। आए दिन होने वाले विवादों से गल्र्स के पेरेंट्स सिचुएशंस पर गौर करके उन्हें कॉलेज भेजते हैं। वहीं स्टूडेंट्स को आए दिन यही पता लगता है कि कुछ बवाल हो गया है, क्लासेज नहंीं लगेंगी। पहले तो नहीं होता था ऐसा
एक्सपट्र्स की मानें तो पहले कभी कॉलेज का माहौल खराब नहीं हुआ। पांच साल तक जब छात्र संघ चुनाव नहीं हुए, तब भी कॉलेज के हालात कहीं ज्यादा हेल्दी बने रहे। स्टूडेंट्स में समानता की भावना थी, कॉलेज में पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस भी उतना नहीं था, जितना कि छात्र संघ चुनाव होने के बाद सामने होने लगा है। उस समय यही छात्र नेता स्टूडेंट्स वेलफेयर के लिए ही काम करते थे पर अब वह पदाधिकारी बनकर अपने काम कर रहे हैं।मोरल वैल्यूज का डाउनफॉलएक्सपट्र्स के मुताबिक, आए दिन होने वाले विवाद, एडजेस्टमेंट की कमी, टीचर्स के साथ अभद्रता की वजह समाज में मोरल वैल्यूज में आने वाली कमी ही है। समाज में जो व्यक्तिवादी सोच बढ़ती जा रही है, यह उसी का नतीजा है। हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। स्टूडेंट्स में भौतिकवादी विचारधारा बढ़ती जा रही है। ऐसे में छोटी सी बात भी अहम का प्रश्न बन जाती है। हालात खराब हैं, जल्द सुधर जाएंगेयह तो परिस्थितियों की बात है। कभी परिस्थितियां अच्छी होती हैं और कभी प्रतिकूल भी हो जाती हैं। पर हमारा मकसद हमेशा कॉलेज का माहौल हेल्दी बनाना ही होता है। कुछ बदलाव लाने के लिए उथल-पुथल तो होती है, पर उसे सक ारात्मक रूप में लिया जाना चाहिए। आज हालात कुछ खराब हैं, तो कल सुधर भी जाएंगे।-डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल, बीसीबीपढ़ाई का तो माहौल ही नहीं रह गया है
हालात तो बिगड़ ही चुके हैं, छात्र संघ चुनाव के बाद से तो स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। चुनाव जीतने के बाद तो स्टूडेंट्स टीचर्स से भी अभद्रता करने में पीछे नहंीं हैं। ये कभी क्लास में डिस्टर्बेंस क्रिएट करते हैं तो कभी कैंपस में हंगामा करते हैं. इस बार के एकेडमिक सेशन में कॉलेज में चुनाव की वजह से ही पूरा समय ही नहीं मिल पाया। पहले भी छात्र संघ बना है पर तब स्थितियां ऐसी नहंीं होती थी। -डॉ। वीपी सिंह, महामंत्री, शिक्षक संघ, बीसीबीस्टूडेंट्स में संस्कारों का हो रहा है हृासटीचर्स संग अभद्रता, आए दिन विवाद, कॉलेज के बिगड़ते हालात के पीछे समाज के बदलते मूल्य हैं. नैतिक मूल्यों में आने वाली गिरावट, संस्कारों का हृास ही ऐसी घटनाओं के पीछे सबसे बड़ी वजह है। हमारा समाज आध्यात्मिकता से भौतिकवाद की ओर बढ़ता जा रहा है, यह उसी का एक नजारा है। इसके लिए जरूरी है कि समाज में मूल्यों का प्रचार-प्रसार हो। इसकी शुरुआत परिवार और स्कूलों से होनी चाहिए। तभी हालात सुधर सकते हैं।-डॉ। नवनीत कौर आहूजा, सोशियोलॉजिस्टपहले ऐसा नहीं था कैंपस का माहौल
राजनीति में जो देशव्यापी समस्याएं हैं, वही कॉलेज में भी सामने आ रही हैं। बढ़ता पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस ही छात्र राजनीति को बदनाम कर रहा है। वास्तव में, छात्र राजनीति का उद्देश्य बहुत उम्दा है पर इसके सही स्वरूप को समझने की जरूरत है। इससे पहले भी छात्र संघ चुनाव होते रहे हैं और उनके कार्यकाल में विकास कार्य भी कराए गए हैं पर इस समय कॉलेज के जो हालात हैं, उन्हें सुधारने की जरूरत है। छात्र संघ चुनाव तो इससे पहले भी हुए हैं पर उस समय कॉलेज के हालात इतने खराब नहीं हुए थे।-डॉ। आईसी कश्यप, रिटायर्ड वाइस प्रिंसिपल, बीसीबीकॉलेज में अराजकता नहीं चाहतेहम जब भी छात्र हित में कोई बात करते हैं तो उस पर कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई सपोर्ट नहीं मिलता है। हम कॉलेज में अराजकता नहीं, वरन व्यवस्था बनाना चाहते हैं। यह व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो सभी के लिए समान रूप से लागू हो जाए। जब तक भेदभाव किया जाता रहेगा, तब तक शांति नहीं हो सकती है।-जवाहर लाल, पे्रसीडेंटशांति से बात सुनी नहीं जातीजब हम छात्र हित में कोई भी डिमांड करते हैं तो उसे पूरा कराने के लिए हंगामा करना ही पड़ता है। शांति के साथ कॉलेज में कोई बात सुनी नहीं जाती। ऐसे में अगर हम कु छ भी करने की कोशिश करते हैं तो विवाद हो जाता है। वास्तव में कॉलेज प्रशासन माहौल सुधारना ही नहीं चाहता है।-हृदेश यादव, जनरल सेक्रेट्रीछात्र संघ में मतभेद नहीं स्टूडेंट्स ने हमें अपना लीडर चुना है, हमारी जवाबदेही स्टूडेंट्स के प्रति है। पर जब हम कॉलेज में प्रिंसिपल से स्टूडेंट्स वेलफेयर की बात करते हैं, तो हमें आश्वासन मिलते हैं पर अमल नहीं किया जाता है। हम छात्र हित की बात करते हैं तो उसे विवाद का स्वरूप दे दिया जाता है। छात्र संघ में कोई मतभेद नहीं है।-विनोद जोशी, वाइस प्रेसीडेंटछात्र नेता बिगाड़ रहे माहौलकॉलेज में हम पढऩे के लिए आते तो हैं पर स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के बाद से तो कॉलेज का हाल और भी बदतर हो गया है। आम तौर पर तो क्लासेज लगती ही नहीं हैं, कई बार लीडर्स की ओर से डिस्टर्बेंस क्रिएट किया जाता है। माहौल और भी ज्यादा खराब हो रहा है। इससे अच्छा माहौल तो लास्ट ईयर था, जब इलेक्शंस नहीं थ-संध्या सिंह, बीए पार्ट टूस्टडीज पर पड़ रहा असरकॉलेज कैंपस में रोज-रोज नया हंगामा होने से पेरेंट्स को कॉलेज भेजने में डर लगता है। प्रैक्टिकल्स का टाइम चल रहा है और इन विवादों की वजह से प्रैक्टिकल नहीं हो पा रहे हैं। कई स्टूडेंट्स माहौल खराब होने से ही कॉलेज नहीं आते। सबसे बड़ी वजह छात्र नेता ही हैं। प्रिंसिपल सर भी कुछ भी करने की परमीशन दे रहे हैं। -प्रीती जोशी, बीए पार्ट टूदूर रहे पॉलिटिक्समुझे लगता है स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन से पॉलिटिकल पार्टीज को बिल्कुल अलग रहना चाहिए, बीसीबी में जो चुनाव हुए हैं उनमें पदाधिकारी ही आए दिन आपस में विवाद करते हैं। इससे ही कॉलेज का माहौल खराब हो जाता है। जरूरत इस बात की है कि स्टूडेंट्स यूनियन में एक ही सर्वोच्च पदाधिकारी हो, जिससे उनके पैनल के मतभेद का असर कॉलेज के रूटीन पर न पड़े। -अजय पाल, बीएससी पार्ट वन