-शहर के कई वार्ड और पुराने इलाके सफाई से अब भी कोसों दूर

-निगम का झाड़ू नहीं हटा सका शहर की गंदगी , पब्लिक भी कसूरवार

-गांधी जी को याद किया लेकिन सफाई अभियान से रही दूर रहा नगर निगम

BAREILLY: गांधी जयंती पर शुरू किया गया पीएम मोदी का स्वच्छ भारत अभियान बेशक गंदगी के खिलाफ एक सार्थक पहल हो। लेकिन शहर के ज्यादातर इलाके इस अभियान के दायरे में शायद ही कभी आ सकें। क्योंकि शहर की सफाई और विकास के लिए जिम्मेदार सबसे बड़ी सरकारी मशीनरी नगर निगम की तमाम कोशिशों के बावजूद कई वार्ड और इलाके सफाई की असलियत से वाकिफ नही। एक ओर शहर के प्रतिष्ठित व गणमान्य लोग झाड़ू लगाकर स्वच्छ भारत का नारा चमकाने में व्यस्त रहे, तो दूसरी ओर आधे से ज्यादा शहर खुद में इस अभियान की बानगी भर देखने को तरस गया। हालांकि इस अभियान ने अपने पहले ही दिन स्कूलों-कॉलेजों में छात्रों की हिस्सेदारी पाकर एक उम्मीद तो जरूर दिखाई।

न गंदगी हटी न सफाई

शहर के पॉश एरिया से इतर पुराने इलाके गंदगी और कूड़े की चपेट में ज्यादा हैं, क्योंकि निगम का स्वास्थ्य विभाग तमाम कोशिशों के बाद भी पुराने इलाकों को गंदगी से निजात दिलाने में फेल्योर रहा। इसकी एक बड़ी वजह विभाग के सफाई कर्मचारियों का जरूरत के मुताबिक कम होना और दूसरा मौजूद कर्मचारियों व सफाई नायकों में से भी कइयों का ड्यूटी पर अक्सर गैर हाजिर रहना है। हालांकि जिन इलाकों में स्वच्छता की कवायद चली भी तो वह ज्यादा असरदार न रहा। शहर में रेलवे स्टेशनों, डलावघर और मुख्य सड़कों के अलावा आमतौर पर खुले में दिखने वाली गंदगी अपनी जगह पर बरकरार दिखी।

कूड़े ने दिखाया सच

शहर में कई वार्ड व इलाकों में खुले में पड़े कूड़े व गंदगी से चोक नाले-नालियों ने स्वच्छ भारत अभियान की जरूरत और इसकी असलियत दोनों को दिखाया। शहामतगंज से आगे बढ़ते ही शाहदाना, गंगापुर, लोधीटोला, हरूनगला, हजियापुर और जगतपुर के इलाकों में सड़क किनारे कूड़े के ढेर लगे दिखे। कहीं कई महीनों से नाले-नालियां साफ न होने की बात मालूम हुई तो कहीं कूड़े का निस्तारण न होने के चलते खाली प्लाटों को ही डलावघर में तब्दील कर दिया गया।

जिम्मेदारी से दूर भागती जनता

अपने घर को साफ सुथरा रखने की कोशिशों पर शहर की जनता अपने मोहल्ले, इलाके और वार्ड को साफ रखने की जिम्मेदारी में सबसे ज्यादा दोषी है। सफाई के मामले में निगम को अक्सर निशाने में लेने वाली जनता, गंदगी फैलाने में कम गुनाहगार नहीं है। क्योंकि सरकारी मदद में होने वाली देर जाहिर है लेकिन खुद से जिम्मेदारी उठाकर अपने ही मोहल्ले की सफाई तक की मेहनत करने में जनता और उनके नुमाइंदे गैर जिम्मेदार हैं।

निगम भी रहा पीछे

स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों में सफाई की जागरुकता और गंदगी के खिलाफ अलख जगाने की पहल से नगर निगम दूर ही रहा। शासनादेश न होने की मजबूरी कहे या राजनीतिक विरोध, शहर को साफ रखने में अहम भूमिका निभाने वाला निगम इस अभियान से अलग ही खड़ा रहा। निगम के जिम्मेदार अन्य विभागों की तरह अगल थलग रहे, वहीं मेयर ने भी गांधी जयंती पर गांधी जी को याद कर लोगों को उनके आदर्शो की याद दिलाई। वहीं आम पब्लिक के लिए भी ख् अक्टूबर का दिन छुट्टी से ज्यादा नहीं रहा। सफाई अभियान से आम लोगों का सरोकार न के बराबर ही रहा।

बस दिखावा न रह जाए अभियान

पीएम की पहल पर देश भर में स्वच्छ भारत की छवि बनाने में हजारों-लाखों लोगों के हाथों में झाड़ू दिखी। यह कोशिश और इसकी पीछे की सोच साफ सुथरे देश की उम्मीद भले ही जगाएं, लेकिन अगले एक साल तक इन कोशिशों में क्00 फीसदी चोखी ईमानदारी जरूरी है। ख् अक्टूबर जैसे खास दिन कैमरों की नजर में इस अभियान का आगाज करना भर उपलब्धि नहीं। आम लोगों को भी इस अभियान से जोड़ना और इसका सड़कों से लेकर सभी सार्वजनिक जगहों पर असर दिखना बड़ी चुनौती है।

Posted By: Inextlive