सिटी में ट्रैफिक का 'red signal'
अस्सी के दशक का इंतजाम बरेली का ट्रैफिक सिस्टम अस्सी के दशक के बेस पर चल रहा है। असल में ट्रैफिक स्टाफ की संख्या तब के बेस पर ही तय की गई थी। उस समय बरेली में गिने चुने व्हीकल हुआ करते थे। प्रजेंट टाइम में व्हीकल्स की संख्या तीन लाख के करीब पहुंच चुकी है. स्टाफ के लिए बरेली ट्रैफिक पुलिस द्वारा मुख्यालय को कई बार गुहार लगाई भी गई पर सुनवाई नहीं हुई।आधे से भी कम स्टाफबरेली में कम से कम 200 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की नीड है। फिलहाल एक टीआई, 3 टीएसआई, 16 हेड कांस्टेबल और 59 कांस्टेबल को लेकर यह आंकड़ा 79 तक ही पहुंचता है। इनमें कांस्टेबल की ही संख्या मानक से आधी है। टीआई और टीएसआई की संख्या में कमी से ट्रैफिक रूल्स तोडऩे वालों के चालान काटने में भी प्रॉब्लम होती है। पर जो हैं उनका क्या
भले ही ट्रैफिक पुलिस स्टाफ की कमी से जूझ रहा है, लेकिन मौज्ूदा स्टाफ भी अगर ईमानदारी से डयूटी निभाएं तो शायद हालात इतने बदतर नहीं होते। एक-दो को छोड़ दें तो शायद ही कोई चौराहा हो जहां टै्रफिक का जवान अपनी डयूटी पर मुस्तैद दिखता हो। हां, सिपाहियों की मुस्तैदी अगर किसी में दिखती है तो वह उगाही में, जाम लगे उनकी बला से।कुछ ही जगह देते हैं ड्यूटीबरेली के कुछ ही चौराहों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी डयूटी निभाते दिखेंगे बाकी जगह कोई नजर ही नहीं आता है। चौकी चौराहा, सैटेलाइट चौराहा, श्यामगंज चौराहा और चौपुला चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है लेकिन और चौराहे राम भरोसे रहते हैं। ट्रैफिक सिस्टम का टेंशनबरेली ट्रैफिक पुलिस की ही मानें तो ट्रैफिक सिस्टम में कई खामियां हैं। स्टाफ की कमी के साथ-साथ यहां के चौराहों पर कहीं भी ट्रैफिक सिग्नल नहीं है। कई वर्षों पहले ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे लेकिन उसी समय से सभी खराब पड़े हैं। चौपुला, नावल्टी, सैटेलाइट, अय्यूब खां सहित कई चौराहों पर टै्रफिक सिग्नल पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। इसके अलावा चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के खड़े होने की जगह ही नहीं है। चौकी चौराहा पर आई लैंड लगा है लेकिन वो भी साइड में है।आई लैंड नहीं हैं
चौकी चौराहा पर आई लैंड पर खड़े होकर ट्रैफिक पुलिसकर्मी एक साइड से ही चारों तरफ का ट्रैफिक सिस्टम हैंडल करते हैं। इसके चलते लोग ट्रैफिक रूल तोड़कर बीच चौराहे पर खड़े हो जाते हैं, नतीजा जाम। चौराहों पर कहीं भी जेब्रा लाइन तक नहीं है। ट्रैफिक सिग्नल व स्टॉप लाइन के बारे में बरेली ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि इसके लिए वो मुख्यालय को कई बार लिख चुके हैं। मुख्यालय से रिपोर्ट शासन को जाती है और उसके बाद नगर निगम की जिम्मेदारी होती है कि वो इस प्रॉब्लम को दूर करें। प्लान बना पर दिखा नहींबरेली ट्रैफिक पुलिस की मानें तो करीब दो माह पहले ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के लिए एक प्लान तैयार किया गया था। इसके तहत चौराहों से सौ मीटर पहले ऑटो को साइड में रोकने के लिए पीली पट्टी बनाई जानी थी। इसके साइड में ऑटो रोककर सवारियों को बैठाया जाता या उतारा जाता ताकि ट्रैफिक स्मूथ चलता रहे। वन वे का पालन करवाना था। ऑटो स्टैंड भी बनवाने की भी योजना थी। ट्रैक्टर वाली क्रेन की भी कमी है, जिस कारण रोड साइड खड़े वाहनों को उठाने में प्रॉब्लम होती है। इसके लिए हेड ऑफिस प्रस्ताव भेजा गया है। जाम जोन
सिविल लाइंस के कुछ एरिया को छोड़ दिया जाए तो सभी इलाके जाम से जूझत हैं। सबसे ज्यादा जाम से जकड़े रहने वालों में श्यामगंज चौराहा, सेटेलाइट चौराहा, चौकी चौराहा, अय्यूब खां चौराहा, चौपुला चौराहा, कुतुब खाना, मिनी वाईपास, इज्जत नगर, पीलीभीत वाईपास, संजय नगर, डेलापीर, बीसलपुर वाईपास जैसे इलाके हैं। इन एरियाज में पीक आवर में तो वाहनों को रेंगना पड़ता है। आलम यह कि श्यामगंज से बारादरी थाना तक के दो मिनट के रास्ते को पार करने में बीस मिनट लग सकते हें। कुतुबखाना से कोहाड़ापीर तक जाने में कम से कम आधा घंटा जाना तय हे। इसके अलावा किला पुल पर तो हमेशा ही ट्रैफिक जाम रहता है। ट्रैफिक सिस्टम सुधारने के लिए सभी ट्रैफिक सिग्नल ठीक करने तथा जेब्रा लाइन बनाने के लिए जल्द ही नगर निगम से बात की जाएगी। इसके अलावा ट्रैफिक रूल्स तोडऩे वाले ऑटो के खिलाफ फ्राइडे से अभियान चलाया गया है। इन पर होने वाली कार्रवाई के बारे में भी टीआई व टीएसआई से रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। जल्द से जल्द ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के व्यापक प्रयास किए जाएंगे।- डी पी श्रीवास्तव, एसपी ट्रैफिक बरेली हर क्रॉसिंग पर ट्रैफिक लाइट का अरेंजमेंट हो, जिससे लोगों में कुछ अनुशासन हो और लोग ट्रैफिक रूल्स का पालन करने लगें। श्यामगंज एरिया में अगर एक फ्लाई ओवर का निर्माण हो जाए तो पूरी बरेली की प्रॉब्लम समाप्त हो जाएगी. इसके अलावा बरेली में ट्रेंड सिपाही भी होने चाहिए, - आर पी सिंह, प्रिंसिपल, बरेली कॉलेज
शहर का पूरा ट्रैफिक सिस्टम ही ध्वस्त है। कोई व्यवस्था नहीं है। श्यामगंज के शहदाना से हैवी व्हीकल की एंट्री नौ बजे करने से काफी लंबा जाम लग जाता है। इसके लिए एंट्री रात दस बजे के बाद खोलनी चाहिए। इससे कंडीशन बेहतर होने की उम्मीद है- डॉक्टर अंशु, प्रेसीडेंट आईएमए रोड किनारे एनक्रोचमेंट व व्हीकल खड़े करने की वजह से प्रॉब्लम होती है। जिस कारण चौड़ी रोड भी कम हो जाती है और जाम की प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। रोड किनारे अतिक्रमण हटाने के लिए व्यापार मंडल की मदद लेनी चाहिए। - किशोर कटरू, प्रेसीडेंट चेंबर ऑफ कामर्स आवारा पशुओं की वजह से शहर में जाम लगता है। इसके अलावा डग्गा मार वाहनों, ऑटो व सड़कों के किनारे दुकानदारों द्वारा एनक्रोचमेंट की वजह से भी जाम की प्रॉब्लम होती है। शहर में किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी नजर नहीं आते हैं जो व्यवस्था सुधार सकें। - देवेंद्र जोशी, अखिल भारतीय युवा उद्योग मंडल