बंद हो रही मेंटल हॉस्पिटल की तीसरी आंख
बिना निदेशालय की जानकारी व मंजूरी के लगाए गए सीसीटीवी कैमरे
ठेकेदार को पेमेंट नहीं, डेढ़ साल में आधे से ज्यादा कैमरे खराब BAREILLY: मेंटल हॉस्पिटल में मरीजों की सुरक्षा, देखभाल और व्यवस्था पर नजर रखने के लिए लगाई गई तीसरी आंख की रोशनी खत्म होने लगी है। हॉस्पिटल में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे खराब हो धूल फांकने लगे है। लेकिन इन्हें सही कराने की कोशिशों से भी जिम्मेदार बच रहे हैं। वजह हॉस्पिटल में लगवाए गए सीसीटीवी कैमरों की खरीद फरोख्त पर सवाल। मेंटल हॉस्पिटल में करीब भ् लाख के बजट से लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की खरीद बिना आधिकारिक अप्रूवल और प्रपोजल के पूरी गई। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को इस बात की खबर ही नहीं कि कैसे और किसके फैसले पर हॉस्पिटल कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। बिना टेक्निकल अप्रूवल लगे कैमरेसोर्सेज के मुताबिक हॉस्पिटल में डेढ़ साल पहले पहले एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। उस समय डाइरेक्टर के तौर पर डॉ। सईद फामिता अपना कार्यकाल पूरा करने वाली थी। हॉस्पिटल कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से पहले इंजीनियरिंग विभाग की ओर से इसकी टेक्निकल मंजूरी ली जानी चाहिए थी। विभाग के इंजीनियर्स की मंजूरी के बाद ही इस कवायद को आगे बढ़ाया जाना था। लेकिन ऐसा न करके सीधे संबंधित संस्था को सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की परमिशन दे दी गई।
नहीं पास हुआ वर्कऑर्डर जानकारों ने बताया कि हॉस्पिटल में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने के लिए सबसे पहले इसकी जरूरत निदेशालय भेजी जानी चाहिए थी। वहां से इसकी मंजूरी मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होती। टेंडर मिलने वाली संस्था को ही सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने का ठेका मिलता। पूरी प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट रहती। लेकिन इनमें से कुछ भी न हुआ। आरोप हैं कि उस समय डाइरेक्टर रही डॉ। सईद फातिमा ने बिना किसी लीगल प्रोसीजर के सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की मंजूरी दी। इसके लिए न तो टेंडर हुए और न ही बाद में वर्कऑर्डर पास हुआ। कुल मिलाकर बिना हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की लीगल मंजूरी के सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए। ठेकेदार कर रहा तकादाहॉस्पिटल कैंपस को तीसरी आंख की जद में लाने के लिए की गई कवायद में इसे लगवाने वाले ठेकेदार को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा है। उस समय बिना टेंडर के ठेका पाने का फायदा देख रहे ठेकेदार को पूर्व डाइरेक्टर के जाते ही लाखों की चपत लगी है। ठेकेदार को सीसीटीवी कैमरे व पूरा सेटअप लगवाने के लिए करीब भ् लाख रुपए का भुगतान किया जाना था। लेकिन सीसीटीवी कैमरे लगने के बाद न तो डॉ। फातिमा बतौर डाइरेक्टर रही और न ही ठेकेदार को उसका भुगतान हुआ। ठेकेदार अब नए डाइरेक्टर से अपने बकाए की डिमांड कर रहा है। लेकिन बिना वर्कऑर्डर कराए गए इस काम के लिए हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन किसी भी तरह के भुगतान के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं मान रहा।
डेढ़ साल में खराब हुए कैमरे सीसीटीवी कैमरों की खरीद में हुई गड़बड़ी से ही मेंटल हॉस्पिटल के जिम्मेदार हैरान नहीं है, बल्कि वर्किंग के दौरान आई कैमरों में आई खामी ने भी उन्हें परेशान किया है। महज डेढ़ साल पहले खरीदे गए सीसीटीवी कैमरों में से आधे खराब हो बंद पड़ गए हैं। लेकिन जरूरत के बावजूद हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन इन्हें सही न करा पा रहा। वजह जिस संस्था से कैमरे खरीदे गए, उसे भुगतान ही नहीं किया गया है। सीसीटीवी कैमरों में आई खामी के चलते कैंपस में अनजान लोगों की निगहबानी और मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी में दिक्कतें आ रही हैं। ------------------------------- हॉस्पिटल में लगे आधे से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे खराब हो गए हैं। सीसीटीवी कैमरों की खरीद बिना वर्कऑर्डर के ही पूरी की गई। कैमरे लगाने वाली संस्था को भुगतान भी नहीं किया गया.अब ठेकेदार बकाए पेमेंट के लिए तकादा कर रहा है। - डॉ। एसके श्रीवास्तव, डाइरेक्टर,मेंटल हॉस्पिटल