चिराग हवा में जलते रहे
बीमारी को दी मात
टीचर बनने की ख्वाहिश रखने वाली संध्या क ो हाईस्कूल करते हुए तीन मेजर ऑपरेशंस से गुजरना पड़ा। इसकी वजह उसकी एक किडनी का काम न करना है। संध्या के पापा सिक्योरिटी गार्ड हैं। अपनी मां आशा आर्या के साथ स्कूल पहुंची संध्या ने बताया कि उनकी एक किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। वहीं घर की माली हालत अच्छी नहीं है। इस वजह से चार भाई-बहनों के परिवार में सुख-सुविधाएं मिलना बहुत मुश्किल था। एक बार तो लगा कि वह इस साल हाईस्कूल के एग्जाम्स दे ही नहीं पाएंगी और साल खराब हो जाएगा। पर इस मुश्किल की घड़ी में भी संध्या ने हिम्मत न हारते हुए पढ़ाई जारी रखी। उसके इस जज्बे ने गंभीर बीमारी को भी मात दे दी। संध्या ने बताया उसे आगे पढ़ाई करने की प्रेरणा अपनी मां और टीचर्स से मिली है।
67% संध्या आर्या, साहू गोपीनाथ कन्या इंटर कॉलेज
सलमा-सितारे से सजी प्रतिभा
सलमा-सितारे से कपड़े को सजाने वाली नेहा की किस्मत भी फ्राइडे क सितारे सी चमकी। खुशी इतनी कि मां-बेटी की आंखों से खुशियों के मोती गिरते ही जा रहे थे। पापा की आंखें भी नम हुए बिना नहीं रह पाईं। बहनों की खुशी तो छुपाए नहीं छुप रही थी। नेहा के पापा का चाय का खोखा है। और उनकी मां हाउस वाइफ हैं। वहीं दोनों बड़ी बहनें भी कारचोबी का काम करती हैं। इतना ही नहीं पढ़ाई के साथ-साथ नेहा भी कारचोबी का काम करती थी। नेहा बड़ी होकर टीचर बनना चाहती हैं। जो स्टूडेंट्स अभावों में पढ़ाई छोड़ देते हैं, वह उनके लिए काम करना चाहती हैं। नेहा को पढ़ाई की प्रेरणा उनकी मां ने दी। मां आज्मा खान ने बताया कि नेहा काम के साथ, देर रात तक पढ़ाई भी करती थी। उसने पढ़ाई के लिए कोई कोचिंग नहीं की है।
80.6% नेहा खान, केपीआरसी कला केंद्र कन्या इंटर कॉलेज
मेहनत का है ये नतीजा
धारा प्रतिकूल हो तो उसमें कैसे बहा जाए यह कोई सायमा से सीखे। सायमा के पापा कार ड्राइवर हैं। वह एक जरी कारीगर भी हैं। वह अकेले ही नहीं वरन उनके भाई-बहन भी घर में ही दिन-रात कारचोबी का काम करके घर खर्च चलाते हैं। ऐसे में पढ़ाई करना बहुत ही मुश्किल है। पर सायमा ने सभी मुसीबतों को मात देते हुए सफलता का स्वाद चखा। इस सक्सेस ने पूरे घर में खुशियां ही खुशियां दी हैं। मां ने घर में मिठाइयां बांटीं। वहीं घर में रिजल्ट निकलने के बाद से ही बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। सभी सायमा की इस कामयाबी पर काफी खुश हैं। रात में लैंप की रोशनी में पढ़ाई करने वाली सायमा को इतने अच्छे माक्र्स का तो अंदाजा भी नहीं था। टीचर बनने का सपना देखने वाली सायमा अब अपनी पढ़ाई को जारी रखना चाहती हैं और इसमें पूरा परिवार उनके साथ है।
79.18% सायमा खान, केपीआरसी कला केंद्र कन्या इंटर कॉलेज
बन गई परिवार की शान
प्रियंका को हाईस्कूल अच्छे माक्र्स मिलने का यकीन तक नहीं था। वह तो बस दिन-रात मेहनत ही करती जा रही थी। मां का आशीर्वाद, बहनों का प्यार ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी है। पापा के गुजर जाने के बाद तो सिर पर हाथ रखने वाला तक नहीं मिला। मामा ने रहने के लिए एक कमरा जरूर दे दिया था। मां ने आसपास के कुछ घरों में खाना बनाने का काम शुरू कर दिया। इससे घर का काम भी प्रियंका के ऊपर पडऩे लगा। पर वह अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटी। बस उसकी इसी लगन ने आज उसे घर में ही नहीं, मोहल्ले में भी सम्मान की नजर से देखा जा रहा है। सभी उसे बधाई देने पहुंच रहा है। लोग तो उसे मोहल्ले की शान कहने से भी नहीं चूक रहे हैं।
बहनों ने दिया साथ
अशना की पढ़ाई पूरी करने के लिए बहनों ने पढ़ाई छोड़कर छोटी-मोटी नौकरियां ज्वाइन कर लीं। भाई भी जो काम मिलता उसे कर लेते, पर अशना की पढ़ाई पर आंच नहीं आने दी। अशना ने भी हाईस्कूल में अच्छे माक्र्स पाकर बहनों की कुर्बानी और भाइयों के विश्वास को और बढ़ा दिया। अशना के पापा अक्सर बीमार रहते हैं, इसलिए वह कोई काम नहीं करते और मां को तो आठ लोगों के परिवार में घर के कामों से ही फुर्सत ही नहीं मिलती। फ्र ाइडे को जब अशना का रिजल्ट आया तो पूरे परिवार में त्योहार जैसा माहौल रहा। अशना बड़े होकर क्या बनेंगी यह तो डिसाइड नहीं है, पर वह इतना जानती हैं कि वह परिवार वालों का विश्वास कभी टूटने नहीं देंगी।
78.17 अशना, केपीआरसी कला केंद्र कन्या इंटर कॉलेज