Bareilly: मार्केट तो पहले ही चाइनीज आइटम्स की गिरफ्त में हैं. अब चाइनीज ड्रैगन ने एजूकेशन सिस्टम पर भी अपनी छाप छोड़ दी है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन सीबीएसई ने अपने कोर्स में चाइनीज लैंग्वेज को भी इंट्रोड्यूज कर दिया है. नए एकेडमिक सेशन से इसे स्कूल्स के कोर्स में इंकल्यूड कर दिया जाएगा. हालांकि लास्ट ईयर ही सीबीएसई ने चाइनीज लैंग्वेज को मजंर करने का मन बना लिया था. लेकिन इस बार बोर्ड ने इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी है. सभी स्कूल्स को नोटिफिकेशन भेज दिया है. बोर्ड के काउंसलर्स स्कूल्स के टीचर्स को लैंग्वेज पर कमांड के लिए ट्रेंड करेंगे. कोर्स मैटीरियल भी बोर्ड प्रोवाइड कराएगा. ऑडियो वीडियो और टेक्स्ट मैटीरियल की सहायता से स्टूडेंट्स को चाइनीज पढ़ाई और सिखाई जाएगी.

मैंडरीन सबसे पॉपुलर
बोर्ड ने फिलहाल नए सेशन से चाइनीज लैंग्वेज को क्लास 6 में लागू करने का डिसीजन लिया है। बोर्ड का मानना है कि दुनिया में 'मैंडरीन' सबसे ज्यादा प्रचलित है और सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है। भारत और चाइना के बीच बढ़ते कारोबार की वजह से भारत में भी 'मैंडरीन' लैंग्वेज तेजी से प्रचलित हो रही है। असल में 'मैंडरीन'  चाइनीज लैंग्वेज का ही एक प्रकार है। जिसे स्टैंडर्ड चाइनीज लैंग्वेज कहा जाता है।

कोर्स में हैं 34 लैंग्वेजेस
सीबीएसई ने पहले ही अपने कोर्स में 34 लैंग्वेजेस इंकल्यूड कर रखी हैं। इसमें से 12 फॉरेन लैंग्वेज हैं। चाइनीज 35वां हो जाएगी। बोर्ड हिंदी और इंग्लिश के अलावा आसामीज, बंगाली, कन्नड़, गुजराती, कश्मीरी, मराठी, मनीपुरी, मलायम, उडिय़ा, पंजाबी, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, लेपचा, भूटिया, संस्कृत, अरेबिक, पर्शियन, लिंबू, फ्रेंच, जर्मन, पार्टूगीज, रशियन, स्पैनिश, नेपाली, तिŽबतन और मिजो भी पढ़ाता है।

ऑपशनल होते हैं
सीबीएसई स्कूल्स के क्लास 8 तक इंग्लिश और हिदी दोनों ही लैंग्वेज कंपलसरी होती हैं। इसके अलावा एडिशनल सŽजेक्ट भी लेना कंपलसरी होता है। जिसमें स्टूडेंट्स या तो कोई तीसरा लैंग्वेज या फिर कॉमर्स, म्यूजिक, पेंटिंग, होम साइंस और इंट्रोडक्टरी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में से कोई एक सŽजेक्ट चुन सकता है। हालांकि, बोर्ड का मानना है कि क्लास 8 तक स्टूडेंट्स को इंग्लिश और हिंदी के अलावा तीसरी लैंग्वेज भी पढऩी चाहिए।

बोर्ड देगा ट्रेनिंग
स्कूल्स में चाइनीज पढ़ाने के लिए बोर्ड टीचर्स को ट्रेनिंग देगा। बोर्ड इसके लिए चाइनीज लैंग्वेज के एक्सपट्र्स की मदद से काउंसलर्स भी तैयार कर रहा है। जो टीचर्स को बाद में ट्रेंड करेंगे। ये टीचर्स अपने-अपने स्कूल में स्टूडेंट्स को चाइनीज पढ़ाएंगे। पढ़ाई लिस्टिनिंग, रीडिंग, राइटिंग और स्पीकिंग सभी मोड में कराई जाएगी। इसके लिए बोर्ड ऑडियो, विजुअल और टेक्स्ट मैटीरियल भी प्रोवाइड कराएगा। स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ-साथ स्पोकन चाइनीज में प्रैक्टिस भी कराई जाएगी।

इंग्लिश और हिंदी के अलावा भी दूसरे लैंग्वेज को सीखना बच्चों के लिए ज्यादा फ्रूटफुल होता है। जो करियर में आगे चलकर काफी काम आते हैं। यह डिपेंड करता है कि बच्चा किस फील्ड में करियर बनाना चाहता है। चाइना के बढ़ते बाजार को देखते हुए बोर्ड ने चाइनीज को इंट्रोड्यूस किया। वैसे यूपी में बच्चे तीसरी लैंग्वेज के रूप में संस्कृत पढऩा ज्यादा पसंद करते हैं।
- राजीव ढींगरा, प्रेसीडेंट, इंडीपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन

Posted By: Inextlive