-सिटी में कुल 134 प्राइमरी स्कूल, इनमें 48 स्कूल किराये के मकान में -जर्जर बिल्डिंग में 48 प्राइमरी स्कूल, खतरे के प्रति लापरवाह बीएसए

-23 सौ बच्चों की जान को है खतरा, महज नोटिस भेजकर खानापूर्ति

सिटी में कुल क्फ्ब् प्राइमरी स्कूल, इनमें ब्8 स्कूल किराये के मकान में -जर्जर बिल्डिंग में ब्8 प्राइमरी स्कूल, खतरे के प्रति लापरवाह बीएसए

-ख्फ् सौ बच्चों की जान को है खतरा, महज नोटिस भेजकर खानापूर्ति

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BAREILLY:

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BAREILLY: प्राइमरी शिक्षा की क्वालिटी में सुधार के लिए सरकार ने भले ही तमाम योजनाएं लागू की हों, लेकिन एजुकेशन डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स की लापरवाही सब पर भारी पड़ रही है। बदहाली का आलम यह कि स्कूलों में न टॉयलेट है और न ही टीचर्स। चौंका देने वाली खबर यह है कि अर्बन एरिया के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहे दो हजार से अधिक स्टूडेंट्स के सिर पर मौत लटक रही है। आई नेक्स्ट ने अर्बन एरिया में चल रहे ऐसे ही स्कूलों की निगहबानी की तो बेसिक शिक्षा का कुरूप चेहरा दिखाई पड़ा। अगले कुछ दिनों आई नेक्स्ट बेसिक शिक्षा के जिम्मेदारों के दावों का सच आपकाे दिखाएगा।

जर्जर भवनों में चल रहे स्कूल

शहर में टोटल क्फ्ब् प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें से ब्8 स्कूल किराये के मकान में चल रहे हैं। जिन भवनों में स्कूल चल रहे हैं, उनकी स्थिति यह है कि कब ढह जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। किराये के भवनों में चल रहे इन स्कूलों में ख्फ् सौ क्क् बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूलों में पढ़ रहे मासूम भी सिर पर लटक रही मौत से वाकिफ है। लिहाजा, वह स्कूल के बाहर बैठते हैं। स्थिति यह है कि किसी स्कूल की दीवार ढह रही है तो किसी का प्लास्टर गिर रहा है। कहीं तो छत का एक हिस्सा गिर चुका है।

खतरे से मुंह मोड़े अधिकारी

बेसिक शिक्षा परिषद बनने के पहले यानि क्97ख् से शहर के ये प्राइमरी स्कूल किराये के मकान में चल रहे हैं। परिषद बनने के बाद किराये सभी स्कूलों की मॉनीटरिंग बेसिक शिक्षा अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन इन अधिकारियों की निगाह जर्जर हो चुके भवनों पर नहीं पड़ रही है। यही नहीं, किराये के भवनों में चल रहे स्कूलों के बारे में कोई प्रावधान भी नहीं तय किया गया है। नतीजा यह है कि देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

बिल्डिंग की मरम्मत में किराया बाधक

बेसिक शिक्षा परिषद बनने के पहले से चल रहे इन प्राइमरी स्कूलों का किराया परिषद गठन से पहले का ही निर्धारित है। उस समय के मानदंडों के हिसाब से किराये की राशि हर बिल्डिंग के लिए अलग- अलग थी। म्7 स्कूलों के लिए ये राशि बीस रुपये से सौ रुपये तक दी जाती थी। लिहाजा, बिल्डिंगों के मालिकों को दशकों पहले तय हुआ किराया ही मिलता है। इस भवन स्वामियों की ओर से कई बार विभाग को किराया बढ़ाने की बात कहीं लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में भवन स्वामियों भी भवन की मरम्मत नहीं करा रहे हैं।

मात्र क्ब् को मिल सकी बिल्डिंग,

अर्बन एरिया में वैसे तो कुल म्7 स्कूल किराये में चल रहे थे, जिनमें से क्ब् डूडा के भवन में चल गये, पांच रिजर्व में रख दिये गये। शेष किराये के भवन में चल रहे हैं। बीएसए ने इन जर्जर बिल्डिंगों में पढ़ रहे स्कूलों की सुध नही ली, लेकिन साल ख्0क्0 में इन स्कूलों को दूसरी सुरक्षित बिल्डिंग में शिफ्ट कराये जाने को लेकर हल्ला मचाया गया। तब जाकर तत्कालीन डीएम ने म्7 में से क्ब् स्कूलों को डूडा द्वारा बनाये गए सामुदायिक केंद्रों में शिफ्ट कराया। इसके अलावा बचे पांच स्कूलों की किराए की बिल्डिंग पूरी तरह से ढह जाने के बाद इन्हे रिजर्व कैटेगरी में डाल दिया गया। रिजर्व कैटागिरी में डालते समय इन पांच स्कूलों के स्टूडेंट को निकटतम प्राइमरी स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया था।

कोट

एडी बेसिक लेवल से पॉलिसी मैटर डिसाइड नहीं किये जाते इस लिए इस मामले में ज्यादा कुछ नही कह सकती। मेरे स्तर से किराये के स्कूलों के संबंध में बीएसए को निर्देश भेजे गए, जिसमें इस बिल्डिंगों की मरम्मत या फिर इन स्कूलों को किसी दूसरी सुरक्षित जगह स्थानांतरित करने की बात कही गई।

- शशि देवी शर्मा, एडी बेसिक

Posted By: Inextlive