न्यूरोसिस्टिसकॉर्सोसिस यानी मिर्गी एक ऐसी बीमारी जिसका प्रभाव ब्रेन पर पड़ता है. मिर्गी से पीडि़त व्यक्ति के दिमाग में कीड़े पहुंचने के कारण हेडेक होता है जो दवा लेने से भी ठीक नहीं होता है.

बरेली (ब्यूरो)। न्यूरोसिस्टिसकॉर्सोसिस यानी मिर्गी एक ऐसी बीमारी, जिसका प्रभाव ब्रेन पर पड़ता है। मिर्गी से पीडि़त व्यक्ति के दिमाग में कीड़े पहुंचने के कारण हेडेक होता है, जो दवा लेने से भी ठीक नहीं होता है। यदि लंबे समय तक ये कीड़े दिमाग के अंदर बने रहते हैं तो वहां पर गांठें बन जाती हैं और रोगी को दौरे पडऩे लगते हैं। बच्चे फिजिकली और मेंटली वीक होने लगते हैैं, इससे उनकी कॉग्नीशन (सोचने और समझने की क्षमता) लगातार डाउन होती रहती है।

ब्रेन पर प्रभाव
जिला अस्पताल में हर माह 400 से 500 न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस (मिर्गी) के मरीज पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही मेंटल हॉल्पिटल में भी हर माह 300 से 400 मरीज बीमारी से पीडि़त मरीज पहुंचते हैैं। मेंटल हॉस्पिटल के साइकेट्रिस्ट डॉ। आलोक शुक्ला बताते हैैं कि मिर्गी का असर सीधे ब्रेन पर पड़ता है। इससे उनकी फिजिकली एक्टिविटी प्रभावित होती हैैं। स्कूल में पढ़ाई से लेकर स्पोट्र्स में भी उनका इंट्रेस्ट गिरता जाता है। मिर्गी की प्रॉब्लम होने पर ब्रेन में कीड़े पहुंच जाते हैैं। डॉ। आशीष ने बताया उनके पास ओपीडी में प्रतिमाह 150 से 200 बच्चे आते हैैं। इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। इसका इलाज लक्षणों के आधार पर तीन से पांच साल तक भी चलता है

डेथ का भी खतरा
डॉ। आशीष कुमार बताते हैैं कि मिर्गी का एक पेशेंट उनके पास आया था, सीटी स्कैन किया तो पता चला कि उसके सिर के अंदर एस्कारियासिस ( राउंडवॉर्म) हैं। मिर्गी का दौरा पडऩे के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन भारत में 70 पर्सेंट पेशेंट्स के दिमाग में कीड़े होना मुख्य कारण हैं। जिला अस्पताल में इस बीमारी से पीडि़त 11 से 40 वर्ष की उम्र तक के लोग आतेे हैं। उन्होंने बताया यह कीड़ा फलों और सब्जी के अंदर पाया जाता है। यदि आप उनको ठीक से धोकर या हर बार खाने से पहले हाथ नहीं धोते हैं तो यह पेट के अंदर पहुंच जाते हैं। बाद में रक्तवाहिनी की मदद से दिमाग के अंदर पहुंच जाते हैं। एक्सपट्र्स बताते हैैं कि पहले तो दिमाग में कीड़े होने का पता नहीं चलता। बाद में ये भयंकर सिरदर्द पैदा करते हैं, जो दवा लेने के बाद भी ठीक नहीं होता। यदि लंबे समय तक ये कीड़े दिमाग के अंदर बने रहते हैं तो दिमाग मे गांठें बन जाती हैं और रोगी को दौरे पडऩे लगते हैं। यदि समय पर रोगी का उपचार नहीं करवाया जाता तो उसकी मौत भी हो सकती है।

एस्कारियासिस करते हैैं नुकसान
सभी के पेट मे कीड़े होते हैं, लेकिन बहुत से ऐसे होते हैं जो कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। एस्कारियासिस (राउंडवॉर्म) ऐसा कीड़ा है जो नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों में पेट में दर्द, उल्टी आना, कब्ज, शौच के समय खून आना जैसी समस्याएं इससे हो सकती हैैं। सिटी की अपेेक्षा ग्रामीण इलाकों में आज भी हाईजीन पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है। इससे पेट में गोल कृमि, फीता कृमि जैसे कीड़े पनपने लगते हैं। जब संक्रमित व्यक्ति खुले में शौच करता है तो यह कीड़े जमीन या पानी में चले जाते हैं। सफाई न रखने से कभी गंदे हाथों या गंदे पानी द्वारा यह कीड़े पेट में जाकर आंतों से चिपक जाते हैं। कभी-कभी कीड़ा दिमाग और शरीर के किसी भी अंग में चला जाता है। खून चूसने के कारण बच्चों के शरीर को पोषण नहीं मिल पाता है।

हाइजीन है इंपॉर्टेंट
कृमि संक्रमण से बचाव के लिए हमेशा हाथ धोकर खाना खाना चाहिए या छोटे बच्चों को खिलाना चाहिए।
हरी पत्तेदार सब्जियां या फल को अच्छी तरह धोने के बाद ही खाना चाहिए।
घर के आस-पास साफ-सफाई का ध्यान रखें
नाखून साफ और छोटे रखें
साफ और स्वच्छ पानी पिएं
शौच जाने के बाद हाथ साबुन से जरूर धुलें
खुले में शौच न करें

लक्षण
सिरदर्द, मिर्गी का दौरा, बोलने में परेशानी, जुबान लडख़ड़ाना, आंखों की रोशनी, कमजोर होना, बुखार, शरीर के कुछ अंग कमजोर महसूस होना

किया जा सकता है ठीक
बच्चों में मिर्गी की समस्या के कई कारण हो सकते हैैं। इसमें जेनेटिक, सिर में चोट, राउंडवॉर्म, ऑटिज्म के अलावा अन्य वजह भी हो सकती हैैं। समय पर उचित इलाज से इसे ठीक भी किया जा सकता है।
-डॉ। आलोक शुक्ला, साइकेट्रिस्ट, मेंटल हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive