Bareilly: एक जनवरी 2013 से चेक फ्रॉड पर ब्रेक लग जाएगा. जी हां चेक फ्रॉड पर ब्रेक लगाएगा सीटीएस-2010. सीटीएस यानी चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम की नई चेक बुक की सीरीज. यह बेहद मॉडर्न सिक्योरिटी से लैस होगी. इसे कॉपी कर पाना फ्रॉड करने वालों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा. इतना ही नहीं सीटीएस-2010 के बाद से चेक का क्लीयरिंग टाइम भी शॉर्ट हो जाएगा. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन पर सभी बैंकों ने इस नई तकनीक से लैस चेक बुक कस्टमर्स को उनके एड्रेस पर भेजना शुरू कर दिया है. 15 दिसंबर तक जिन कस्टमर्स के पास नई चेक बुक नहीं पहुंचेगी वे खुद बैंक से जाकर इसे कलेक्ट कर सकते हैं. एक जनवरी से सिर्फ सीटीएस-2010 वाले चेक की ही क्लीयरिंग हो पाएगी.


क्या है CTS-2010 सीटीएस मतलब चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम-2010. आरबीआई द्वारा सभी बैंकों को यह निर्देश दिया गया था कि वह सीटीएस-2010 तकनीक पर बेस्ड चेक बुक ही कस्टमर को जारी करें। इस चेक की साइज, डिजाइन व सिक्योरिटी फीचर्स आरबीआई द्वारा जारी की गई थी। इसे सभी बैंकों को फॉलो करना था। यह चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम एडवांस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। इसमें बैंकों द्वारा फिजिकली चेक को न भेजकर पेयी बैंक को चेक की इमेज भेजी जाएगी। इमेज के बेस पर चेक का भुगतान पेयी बैंक द्वारा किया जाएगा। बैंक ऑफिसर्स का कहना है कि चेक फ्रॉड के लगातार बढ़ते केसेज देखते हुए आरबीआई ने इस सिस्टम को लॉन्च किया है। बेहतरीन सिक्योरिटी फीचर्स से लैस सीटीएस के स्टार्ट हो जाने के बाद चेक फ्रॉड के केस पर कंट्रोल होगा। Ultimate security features


बैंक ऑफिसर्स ने बताया कि सीटीएस में पेपर चेक उसी ब्रांच के रिकॉर्ड में रहेगा जिस ब्रांच में कस्टमर द्वारा उसको जमा किया जाएगा। जबकि अन्य पूरी प्रोसेसिंग चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज पर ही की जाएगी। सीटीएस चेक में सिक्योरिटी फीचर्स बेहद हाई क्लास के रखे गए हैं। बैंक ऑफिसर्स ने बताया कि ऐसे सिक्योरिटी फीचर्स से लैस चेक की डुप्लीकेट तैयार करना असंभव है। दूसरी बात यह है कि चेक का मूवमेंट भी खत्म हो जाएगा। मिनटों में हो जाएगी cheque clearing सीटीएस-2010 के स्टार्ट होने के बाद चेक की क्लीयरिंग मिनटों में  संभव है। जबकि अभी तक चेक क्लीयर होने पर एक दिन से हफ्ते भर तक का टाइम लग जाता है। जबकि इस सिस्टम में एक बैंक से दूसरे बैंक या ब्रांच को चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज भेजी जाएगी। इसी इलेक्ट्रॉनिक इमेज पर ही पेयी बैंक द्वारा प्रोसेसिंग करके कस्टमर को भुगतान कर दिया जाएगा। जबकि अभी तक फिजिकली चेक को एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर कुरियर, रजिस्ट्री जैसी फैसिलिटी का इस्तेमाल बैंक एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा किया जाता है। इसमें जहां टाइम लगता है वहीं दूसरा फैक्टर रिस्क का भी होता है। इससे बैंक की ट्रांजेक्शन कॉस्ट भी कम हो जाएगी। Copy करना impossible-हर चेक पर खास तौर से एक लोगो पब्लिश होगा। जो अल्ट्रा वायलेट इंक से पब्लिश किया जाएगा।-चेकबुक में वाटर मार्क ठीक उसी तरह पब्लिश किया जाएगा, जिस तरह से 500 के नोट पर गांधी जी की फोटो पब्लिश रहती है। इसे लाइट सोर्स में देखा जा सकता है। -सीटीएस में बेहद स्पेशल क्वालिटी का पेपर यूज किया जाएगा। इस पर एसिड व केमिकल रिएक्शन का असर अपेक्षाकृत कम होगा।

-सभी बैंक के चेक एक जैसे ही रहेंगे।-बैंक में किसी तरह की ओवरराइटिंग व करेक्शन स्वीकार नहीं किया जाएगा। जरा सा करेक्शन में बैंक द्वारा चेक लौटा दिया जाएगा। ऐसे हैं पुराने चेक-चेक बुक पेपर की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है।-चेक की कॉपी कर फ्रॉड के चांसेज ज्यादा।-चेक की क्लीयरिंग में दो से तीन दिन का समय लगना।-प्रत्येक बैंक के चेक डिफरेंट।एक जनवरी से सभी बैंकों में सीटीएस-2010 सिस्टम की चेक बुक ही चलेगी। 15 दिसम्बर तक जिन कस्टमर्स को चेक नहीं मिल पाएगा, वे बैंक से आकर ले सकते हैं। चेक की इमेज इलेक्ट्रॉनिक होने की वजह से फ्रांड के चांसेज बहुत कम होंगे। साथ ही कस्टमर्स को भी इससे फायदा होगा। क्लीयरिंग प्रोसेस की स्पीड बढ़ जाएगी।-सुनील कुमार, चीफ मैनेजर, पर्सनल एंड सर्विस बैंकिंग डिवीजन, एसबीआई मेन ब्रांच

Posted By: Inextlive