नहाय-खाय के साथ ही छठ पूजा शुरू
- अस्तांचल सूर्य को 29 को व्रती देंगे अर्घ्य
- बाहरी कलाकार बिखरेंगे लोकगीत का जादूBAREILLY: दीपावली व भइया दूज त्योहार मनाने के बाद अब बरेलियंस छठ पूजा की तैयारी में लग गए हैं। शास्त्रों में सूर्यषष्ठी नाम से बताए गए चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत मंडे से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गयी। कार्तिक शुक्ल पक्ष तृतीया से छठ पूजा शुरू हो जाती है। लोक आस्था के इस पर्व को सेलिब्रेट करने में बरेलियंस कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। सूप, बहंगी, डगरा, फल और फूल आदि की दुकानें भी सज गई हैं। मार्केट में पूजन सामग्री खरीदने के लिए छठ व्रतियों की भीड़ लगने लगी है। कुछ लोग पीतल के सूप और पतीले का भी इस्तेमाल करते हैं। वहीं अस्तांचल व उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए शहर के मैक्सिमम छठ घाट की साफ-सफाई अपने अंतिम चरण में है।
नहाय-खाय के साथ छठ शुरूपहले दिन नहाय-खाय में सफाई से बनाए गए चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का व्रती द्वारा प्रसाद के तौर लेने से इसकी शुरुआत होती है। दूसरे दिन लोहंडा या खरना में शाम की पूजा के बाद सबको खीर का प्रसाद मिलता है। अगले दिन वेडनसडे को शाम में डूबते हुए भगवान सूर्य को छठ व्रतधारी अर्घ्य देंगे। फिर अगली सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन होगा। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि आखिर के दोनों दिन ही नदी, तालाब या किसी जल स्त्रोत में कमर तक पानी में जाकर सूर्य को अर्घ्य देना शुभ है। सच्चे मन पर व्रत रखने पर व्रतियों की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
खरना से फ्म् घंटे का व्रत सुंदर सजे घाटों पर छठ व्रती पश्चिम में क्षितिज पर डूबते सुनहरे सूरज और फिर उषाकाल में पूर्व में उगते सूर्य को अर्घ्य देते छठव्रती पूरे फ्म् घंटे तक के कठिन व्रत रखते हैं। छठी मैया के आशीर्वाद से व्रतियों का मन डगमगाता नहीं है। ख्8 अक्टूबर लोहंडा या खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद फ्म् घंटे का व्रत उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पारन तक चलेगा। सुनाई देंगे पारंपरिक लोकगीतसूर्य के उपासना का पावन पर्व छठ अपने धार्मिक, पारंपरिक, और लोक महत्व के साथ के ही लोकगीतों की वजह से भी जाना जाता है। घाटों पर भक्तों के जयकारों से गूंजता छठि मैया की जय, जल्दी-जल्दी उगी हे सूरज देव, कईली बरतिया तोहार हे छठि मैया, दर्शन दीहीं हे आदित देव, कौन दिन उगी छई हे दीनानाथ, जैसे गीत भी सुनायी देंगे। छठ समितियों द्वारा बाहरी कलाकार बुलाए गए हैं। आरयू कैंप स्थित श्री शिव शक्ति पीठ मंदिर छठ पूजा स्थल पर वाराणसी से कलाकार बुलाए गए हैं। ये कलाकार बिरहा और पारंपरिक लोकगीत प्रजेंट करेंगे।
सज गए छठ घाट शहर के मैक्सिमम छठ घाट सज चुके हैं। आरयू कैंपस, कुदेशिया फाटक के पास रेलवे कॉलोनी स्थित शिव मंदिर, छपरा कॉलोनी, सुभाषनगर स्थित श्री तपेश्वर मंदिर, इज्जतनगर में एयरफोर्स के पास, कैंट में श्री धोपेश्वर मंदिर, आलोक नगर स्थित श्री शिव पार्वती मंदिर और रामगंगा घाट सहित अन्य छठ घाटों पर साफ-सफाई का काम अपने अंतिम चरण में है। दिनों-दिन छठ व्रतियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस बार शहर के कुछ छठ घाटों का कुंड बढ़ाया भी गया है। ख्7 अक्टूबर नहाय खाय- लौकी और चने की सब्जी खायी जाएगी। ख्8 अक्टूबर खरना - फ्म् घंटे का उपवास शुरू होगा। सूर्यास्त के बाद व्रती विशेष रूप से तैयार भोजन करेंगे। ख्9 अक्टूबर संध्या अर्घ्य - छठ घाटों पर पानी में खड़े होकर व्रती डूबते हुए सूर्य की आराधना करेंगे। फ्0 अक्टूबरसूर्योदय अर्घ्य और परना - उगते हुए सूर्य की आराधना के बाद व्रती अपना उपवास तोड़ेंगे।
छठ का व्रत पिछले ख्भ् साल से कर रही हूं। छठ को लेकर गेहूं और बहंगी मैंने खुद बनायी है। व्रत रखने से मन को एक अजीब सा सुकून मिलता है। आशा देवी, छठ व्रती मैं व्रत नहीं रखती, मगर छठ की तैयारियों में अपनी फैमिली का पूरा साथ देती हूं। पूजा तैयारियों और अर्घ्य देने तक। चंद्र किरण, आरयू कैंपस हम लोग गोपालगंज बिहार के रहने वाले हैं। क्भ् साल से बरेली में रह रहा हूं। रमाकांत गुप्ता, सम्राट आशोक नगर छठ को लेकर घाट तैयार कर लिए गए हैं। इस बार घाट का कुंड भी बढ़ा दिया गया है। पहले भ् फैमिली के लोग छठ पूजा करते थे। आज की डेट में ख्भ् फैमिली से ज्यादा लोग छठ पूजा करते हैं। -देवेंद्र राम, प्रबंधक, छठ घाट आरयू