थिएटर फेस्ट के अंतिम दिन चाचा छक्कन की कॉमेडी
बरेली (ब्यूरो)। एसआरएमएस रिद्धिमा में थिएटर फेस्टिवल के अंतिम दिन रविवार को पाइरेट्स ट्रुप नई दिल्ली की ओर से चाचा छक्कन इन एक्शन का मंचन किया गया। तीन दृश्यों में मंचित इस नाटक ने दर्शकों को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में सेना मेडल चीफ आफ स्टाफ हेड क्वार्टर यूबी एरिया मेजर जनरल राजीव छिब्बर और सिद्धि विनायक अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ। बृजेश्वर सिंह मौजूद रहे। इनका स्वागत एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति और सचिव आदित्य मूर्ति ने किया।
दर्शकों ने लिया आनंद
डा.एम सईद आलम द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक का आरंभ दरवाजे पर जोरदार दस्तक से होता है। जिसे सुन कर सैयद अकील अशरफ उर्फ चाचा छक्कन जाग जाते हैं। दरवाजे पर दस्तक देने वाला उनके पड़ोसी खां साहब का नौकर है। चाचा छक्कन उससे देर रात में आने की वजह पूछते हैं। वह खां साहब के पेट में दर्द की बात कह कर सिकाई के लिए गर्म पानी वाली बोतल मांगता है। बोतल देने के साथ ही आधी रात में जगाने पर चाचा उससे नाराजगी जताते हैं। नौकर बोतल लेकर चला जाता है और तुरंत ही बोतल वापस दे जाता है। अगले सीन में चाचा के आठ बेटों में से एक बेटा बीमार दिखता है। बुखार की वजह से उसके पैरों की मालिश बेगम कर रही होती हैं। उनमें और चाचा के बीच तनातनी होती है और वह उन्हें बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी सौंप कर चली जाती हैं। बेटे को दवा पिलानी के चक्कर में परिस्थितियां मनोरंजक होती हैं और दर्शक इसका आनंद लेते हैं। तीसरे सीन में चाचा के घर धुले हुए कपड़े लेकर धोबन आती है लेकिन बेगम साहिबा आराम फरमाने की वजह से गंदे कपड़े लेने के लिए उसे बाद में आने को कहती हैं। लेकिन चाचा बेगम को विश्वास दिलाते हैं कि वह गंदे कपड़े ढूंढ़ कर धोबन को दे देंगे। घर से गंदे कपड़े ढूंढने में फिर से परिस्थितियां हास्य की बनती हैं। दर्शक तालियां बजा कर इसका आनंद लेते हैं। अंत में एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करते हैं इस मौके पर आशा मूर्ति, ऋचा मूर्ति, इंजीनियर सुभाष मेहरा, डा। प्रभाकर गुप्ता, संजीव गुप्ता सहित शहर के सभ्रांत लोग मौजूद रहे।