Campus became ‘hi-tab’
‘Campus’ crazy for Palmtop & Tabबुक्स अब सीडीज में सिमट रही हैं, रिसर्च पेपर्स और जर्नल्स महज एक क्लिक पर सामने होते हैं। दरअसल एजुकेशन वल्र्ड तेजी से बदल रहा है, ऐसे में कैंपस स्टूडेंट्स भी इससे कदमताल करते हुए हाईटेक हो चले हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कैंपस में स्टूडेंट्स के हाथ में बुक्स कम टैबलेट व पामटॉप ज्यादा दिखते हैं। हाईटेक होती स्टडीज इस ख्याल को सिरे से नकारती हैं कि यूथ महंगे गैजेट्स सिर्फ शौक के लिए रखते हैं। वास्तव में, गैजेट्स सिर्फ स्टेटस सिंबल ही नहीं बल्कि जरूरत बन चुके है। प्रोजेक्ट वर्क के लिए नेट मस्ट
स्टूडेंट्स मानते हैं कि किसी भी सब्जेक्ट में हर सेमेस्टर में प्रोजेक्ट वर्क करना होता है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए टेबलेट या पामटॉप बेहद हेल्पफुल होते हैं। असल में लैपटॉप को घर या फिर हॉस्टल में रखकर तो काम किया जा सकता है, पर इसे क्लास में ले जाना आसान नहीं है। वहीं इंटरनेट के जरिए तो हमें ऐसी जानकारी भी मिल जाती है जो लेटेस्ट हों। कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट्स के मुताबिक , उनके प्रोजेक्ट्स तो न्यू टेक्नोलॉजी पर ही बेस्ड होते हैं, ऐसे में उन्हें क्लास में भी इंटरनेट फैसिलिटी चाहिए होती है।
सिर्फ बुक्स से नहीं बनती बात स्टूडेंट्स के मुताबिक, इंजीनियरिंग और एमबीए के सिलेबस को बुक्स में ढूंढना तो बहुत मुश्किल टास्क है। सिलेबस के जो टॉपिक्स बुक्स में नहीं मिलते उन्हें इंटरनेट पर आसानी से सर्च किया जा सकता है। ऐसे टॉपिक्स के नोट्स भी इंटरनेट से ही रेडी कर लिए जाते हैं। टीचर्स भी हर सेशन में सिलेबस में एड होने वाले न्यू टॉपिक्स को पढ़ाने के लिए गैजेट्स की ही हेल्प लेते हैं। उनका कहना है कई बार तो क्लास में स्टूडेंट्स कुछ क्वेरी करते हैं तो नेट पर देख टॉपिक को क्लियर करना होता है।सिक्योर रहता है डाटामहंगे गैजेट्स रखने से डाटा सिक्योर रहता है। आईफोन, एचटीसी वन एक्स, गैलेक्सी नोट 2, ब्लैकबेरी यूजर्स के मुताबिक, फोन में ब्लूटूथ न होने से डाटा की सिक्योरिटी ज्यादा रहती है। वहीं सॉफ्टवेयर्स पर वर्क करना भी फ्रेंडली रहता है। हालांकि, कुछ स्टूडेंट्स इन हाई-फाई गैजेट्स को स्टेट्स सिंबल भी मानते हैं। फ्रेंडस से भी कनेक्ट रहना ईजी
व्हॉट्स एप के जरिए कैंपस में ही फ्रेंडस से कनेक्ट रहना बहुत ईजी होता है। इससे फ ोटा भी कैंपस फ्रेंडस से शेयर कर सकते हैं। पूरे दिन फ्रेंडस से कनेक्ट रह सकते हैं। क्लास के खाली समय में भी एंटरटेंमेंट किया जा सकता है। मोबाइल में उम्दा इंटरनेट फैसिलिटी पर सोशल साइट्स से भी खुद को कनेक्ट रखा जा सकता है।मुझे अपना टैबलेट स्टडीज में काफी हेल्पफुल लगता है। जब भी मुझे कोई टॉपिक बुक्स से क्लियर नहीं हो पाता है, मैं उसे नेट पर ही सर्च करती हूं। वहीं मैं इससे क ाफी अपडेट भी रहती हूं।- श्रुति ढाका, इंजीनियरिंग स्टूडेंट, आरयू मैं आईफोन-4 एस यूज करती हूं। मुझे इसका सॉफ्टवेयर काफी पसंद है। यह वर्किंग के साथ-साथ एंटरटेनमेंट के लिए भी काफी यूजफुल है। मैं इसके जरिए अपने फैमिली मेंबर्स से भी आसानी से कनेक्ट रहती हूं।- डॉ। कृति, स्टूडेंट, रुहेलखंड मेडिकल स्टूडेंटमेरे पास सैमसंग ग्रांड और टैब-2 है, मैं ऐसे गैजेट्स के लिए काफी क्रेजी रहता हूं। यह मुझे मेरे प्रोफेशन के लिए भी काफी हेल्प करते हैं। मेडिसिन वल्र्ड की अपडेटेड इन्फार्मेशन मुझे इनके जरिए ही मिलती है।- डॉ। अजय तिवारी, मेडिकल स्टूडेंटमेरे पास इंटेल जोलो ए 700 मोबाइल फोन है। मुझे इसका काफी शौक भी है और यह तो मेरे लिए मस्ट हैं। जब ये मेरा फोन मेरे साथ नहीं होता है तो मुझे काफी लोनली फील होता है।- डॉ। पंकज खंडेलवाल, मेडिकल स्टूडेंट
टेबलेट या पॉमटॉप रखना स्टूडेंट्स को सिलेबस की पढ़ाई करने, नोट्स बनाने में हेल्प करता है। इतना ही नहीं मुझे लगता है कि प्रोजेक्ट वर्क कंप्लीट करने के लिए तो स्टूडेंट्स के 24 अॅावर्स के लिए इंटरनेट फै सिलिटी होनी ही चाहिए।- आदित्य प्रकाश, शिक्षक, आरयूबीटेक के सिलेबस में हर बार ही कोई न कोई न्यू टॉपिक इंट्रोड्यूस कर दिया जाता है। इतनी जल्दी उनकी बुक्स अबेलेवल हो पाना आसान नहीं है। इसके लिए तो इंटरनेट ही बेस्ट ऑप्शन होता है।- अर्चना यादव, शिक्षक, आरयूnidhi.gupta@inext.co.in