चुनाव आयोग ने धंधा किया मंदा
-- बैनर, होर्डिग्स, विनाएल, पोस्टर और फ्लेक्स के बिजनेस पर ग्रहण
-- स्टीकर, हैंडबिल्स, विजिटिंग कार्ड्स, झंडे व टोपी की मांग बढ़ी BAREILLY: सिटी में इन दिनों चुनावी लहर अपने पूरे उफान पर है। वहीं नॉमिनेशन के बाद इसमें और रफ्तार में आ जाएगी। इसके साथ तालमेल बनाते हुए सिटी के प्रिंटिंग प्रेस पर जमी धूल भी साफ होने लगी थी, लेकिन आचार संहिता के डंडे ने इन्हें फिर से कवर कर दिया। मार्केट के जानकारों के मुताबिक पिछले चुनाव में अरबों रुपए का बिजनेस हुआ था, लेकिन इस बार धंधे पर चुनाव आयोग का ग्रहण लग गया है। वहीं दूसरी ओर आचार संहिता के दायरे में ना आने वाली प्रचार सामग्रियों का तेजी से निर्माण किया जा रहा है। ऑनलाइन भी बुकिंग ऑर्डर किया जा रहा है। सिटी के प्रिंटिंग प्रेस के पास सौ ज्यादा बुकिंग्स अभी तक आ चुकी हैं।ताले लटकने से बुझे चेहरे
मुखौटे - सिटी में पहली बार मुखौटों का नया ट्रेंड आया है। सिटी में छा रहे मुखौटों का कांसेप्ट सिटी के पार्टी कैंडीडेट को खासा अट्रैक्ट कर रहा है। कैंडीडेट अपने मुखौटों के लिए जमकर ऑर्डर भी दे रहे हैं। सिटी में इस बार सभी पार्टी कैंडीडेट्स को मिलाकर करीब ब् लाख मुखौटे तैयार किए जा रहे हैं। वहीं मुखौटों को कारोबार करीब ख्0 लाख रुपए तक होने की उम्मीद की जा रही है। कैंडिडेट के अलावा देश के कई अन्य स्टेट्स से भी ऑनलाइन बुकिंग हो रही है। प्रिंटिंग प्रेस ओनर्स ने इसके लिए वेबसाइट्स बनवा रखी है। इसके जरिए उन्हें ऑर्डर भी मिल रहे हैं। इलेक्शन के माहौल को देखते हुए लोन से फ्लेक्स और बैनर प्रिंटिंग की लेटेस्ट मशीन परचेज की है। लेकिन जिस दिन ऑर्डर मिला उसी दिन आचार संहिता लागू हो गई और अभी तक वह बाक्स से बाहर नहीं निकल पाई। जितेंद्र कुमार जीत, प्रिंटिंग प्रेस ओनर कैंडीडेट अपने प्रचार के लिए हर संभव प्रयास जरुर करते हैं। आचार संहिता लगने से ट्रेडिशनल प्रचार की डिमांड हो रही है। सभी को मिलाकर सिटी में करोड़ों का बिजनेस होने की उम्मीद है। आदर्श अग्रवाल, सिटी में ट्रेडिशनल प्रचार सामग्रियों की जमकर डिमांड हो रही है। इस बार मार्केट में पहली बार मुखौटों का कांसेप्ट लाया गया है। जिसकी खूब डिमांड भी हो रही है। अभिषेक, इलेक्शन के टाइम में ही पूरे पांच सालों को खर्चा निकाल लिया जाता था। अब प्रशासन की ओर से गेरु का लेप करवाया जा रहा है। उसके भी पैसे नहीं मिल रहे हैं। नंद किशोर, पेंटर पहले इलेक्शन के टाइम पर सिटी में करोड़ों का बिजनेस होता था। आचार संहिता ने इस पर ग्रहण लगा दिया है, लेकिन कमाई कम जरूर हो गई है, लेकिन बेहतर सरकार बने तो यह ज्यादा बेहतर होगा। विपिन अरोड़ा, आचार संहिता जब नहीं थी। तो सुबह और शाम का पता ही नहीं चलता था। लोग लाइन लगाकर अपनी बारी का वेट किया करते थे। लेकिन अब प्रिंटिंग प्रेस का बिजनेस काफी बुरे दौर से गुजर रहा है। सुल्तान, डिजाइनरसिटी के चौपुला, राजेंद्रनगर, रामजानकी मंदिर, हनुमान मंदिर, स्टेडियम रोड और बड़ा बाजार में प्रिटिंग के करीब फ्भ् प्रेस हैं। इस बार लोकसभा चुनाव की धमक के बाद भी उनके चेहरे बुझे हैं। चौपुला रोड स्थित प्रिंटिंग प्रेस ओनर ने बताया कि पिछले लोकसभा चुनाव के माहौल को देखते हुए उन्होंने दस लाख रुपए लोन लेकर फ्लेक्स मशीन खरीदी है, लेकिन अभी तक यह पैकेट से बाहर नहीं निकल पाई है। इसमें वाल पेंटर्स, डिजाइनर्स, वर्कर्स, ऑपरेटर्स व अन्य आचार संहिता की चपेट में आ रहे हैं। लोग इस बार पॉलिटिकल पार्टीज के बैनर, होर्डिग्स, विनाएल, पोस्टर और फ्लेक्स की प्रिंटिंग से दूर हो रहे हैं।
पहले ही लग जाते थे होर्डिग्स चुनाव में कैंडिडेट वोटर्स को लुभाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाते हैं। विधानसभा चुनावों में आचार संहिता का कड़क रुख देखते हुए इस बार प्रचार सामग्री पहले ही सिटी के चौराहों पर लगा दी गई थी। कैंडिडेट ने पहले से ही होर्डिंग्स छपवा ली थी। कई जगहों पर लगा दी गई थी। लेकिन आचार संहिता लगने के साथ ही बिना किसी नोटिस के रातोंरात होर्डिंग्स को उतार दिया गया। इससे प्रेस ओनर्स को जोर झटका धीरे से लगा। क्योंकि होर्डिग्स, विनाएल, फ्लेक्स का वर्क उधार पर भी किया जाता है। लोग घंटों करते थे इंतजारप्रिंटिंग प्रेस से जुड़े लोगों ने बताया कि इलेक्शन की आहट के साथ ही शटर खुलते थे, जो इलेक्शन खत्म होने के बाद ही बंद किए जाते थे। लाखों की संख्या में सभी प्रचार सामग्रियां प्रिंट होती थीं। पल भर तक की फुर्सत नहीं मिलती थी। शॉप पर सुबह से ऑर्डर देने के लिए लोगों की लाइन लग जाती थी। सिटी में उन दिनों अरबों को बिजनेस होता था। मुनाफा तो होता ही था। इसके साथ ही हजारों परिवारों को चार महीने का रोजगार मिल जाता था। हर एक प्रिंटिंग प्रेस ओनर करीब ख्0 लाख रुपए की बिक्री करता था।
इनकी डिमांड बढ़ी आचार संहिता लागू होने के बाद प्रिंटिंग प्रेस ओनर्स ने बताया कि सिटी में ट्रेडिशनल प्रचार सामग्रियों की काफी डिमांड है। इसमें टोपियां, स्टीकर, हैंडबिल, विजिटिंग कार्ड्स, मुखौटे, झंडे और कलर कोट गमछे शामिल हैं। हजारों की संख्या में इनकी पहली खेप मार्केट में पहुंच चुकी है। इनकी डिमांड देवरिया, गोरखपुर, बहराइच, रामपुर, बदायूं, पीलीभीत और आंवला से आ रही है। स्टीकर - पार्टीज अपने कैंडीडेट कलरफुल स्टीकर बनवाकर डोर टू डोर पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं। पोल्स और हेवी क्राउड वाली प्लेसेज पर भी इसे पेस्ट किए जा रहे हैं। शॉपओनर्स करीब एक लाख स्टीकर्स की सेल होने की उम्मीद जता रहे हैं। ख्भ् हजार स्टीकर्स की सेल हो चुकी है। इस बार क्भ् लाख स्टीकर्स सेल होने का अनुमान है।हैंडबिल्स - वादे और वोट की अपील के लिए बेहतर माध्यम हैंडबिल्स बन रहा है। इस बार सिटी में करीब ख्भ् लाख हैंडबिल्स छपने की उम्मीद जताई जा रही है। इसबार क्भ् लाख रुपए तक कारोबार होने की संभावना है।
विजिटिंग कार्ड्स - लोग कैंडीडेट से डायरेक्ट अपनी समस्याओं को शेयर कर सकें। इसके लिए विजिटिंग कार्ड्स बेहतर ऑप्शन है। सभी पार्टिज को मिलाकर सिटी में करीब क्0 लाख विजिटिंग कार्ड छपने की उम्मीद है। इसका टोटल करोबार भ् लाख रुपए तक पहुंच जाएगा। झंडे - झंडे किसी पार्टी की पहचान कराने का सबसे बेहतर माध्यम होते हैं। सिटी में छोटे साइज के झंडों की खूब डिमांड हो रही है। इस बार कॉटन और शॉटन मिलाकर करीब फ् लाख सेल और ख्0 लाख रुपए का कारोबार होने की संभावना है। टोपियां - इस बार कैंडीडेट की फोटो, टैग लाइन को रिप्रेजेंट करती पी कैप, हैट और गांधी स्टाइल टोपी की जबरदस्त डिमांड हो रही है। इनको ऑर्डर मिलने पर ही बनाया जा रहा है। ख् लाख टोपी सेल और करीब क्भ् लाख रुपए का बिजनेस होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ कलर कोर्डिंग गमझे की बुकिंग भी ऑर्डर पर अवलेबल कराए जा रहे हैं।