सीएनजी डलवाते वक्त बस में शॉर्ट से लगी आग 11 घंटे सीएनजी सप्लाई बाधित सोमवार तडक़े हुआ हादसा

बरेली (ब्यूरो). सैटेलाइट सीएनजी पंप पर सोमवार तडक़े करीब चार बजे एक प्राइवेट बस में आग लग गई। आग इतनी भयंकर थी कि लपटों से सीएनजी पंप की छत और कई मशीनें भी खराब हो गई। आग लगते ही आस-पास में लगी दुकानें और ठेले वाले भी सब छोडक़र भाग खड़े हुए। समय रहते दमकल की गाडिय़ों ने आग पर काबू पा लिया। हादसे की वजह से करीब 11 घंटों तक पूरे जिले की सीएनजी सप्लाई बाधित रही। मशीनों और कंप्रेशर की जांच के बाद ही सीएनजी सप्लाई दोबारा शुरू हो सकी।
सीयूजीएल पूरे जिले में सीएनजी सप्लाई करता है। इसकी सप्लाई सैटेलाइट सीएनजी पंप से की जाती है। सीयूजीएल के मैनेजर मंसूर अली ने बताया कि उनके इस पंप से जिले में 15 पंपों पर सप्लाई भेजी जाती है। सोमवार तडक़े यूपी 13 एटी 2699 नंबर की एक बस पंप पर सीएनजी डलवाने आई। सीएनजी पडऩे के दौरान ही उसमें चालक की सीट के पास से शार्ट सर्किट हुआ और बस में आग लग गई। आग लगते ही चालक परिचालक बस छोडक़र भाग खड़े हुए। सीएनजी पंप पर कार्यरत कर्मचारियों ने धक्का मारकर बस को फील्ड की ओर किया। इतनी देर में लपटें इतनी तेज हो चुकी थी कि पंप की छत और कुछ मशीनें भी क्षतिग्रस्त हो गई। मंसूर अली ने बताया कि हादसे के बाद सभी पंपों और कंप्रेशर की पूरी तरह से जांच की गई। जिसकी वजह से करीब 11 घंटों तक सप्लाई बाधित रही। जिले में कई पंपों पर सीएनजी नहीं पहुंच पाई। एक भी ट्रक सैटेलाइट से दोपहर करीब दो बजे तक नहीं निकल सका। कुछ जगहों पर सिर्फ पाइप लाइन के माध्यम से ही सप्लाई जा सकी। इसकी वजह से शहर में सीएनजी डलवाने वालों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

किसी डिपो से अनुबंधित नहीं थी बस
सीयूजीएल के प्रबंधक मंसूर अली का कहना है कि यह बस बुलंदशहर नंबर की और यूपीएसआरटीसी में किसी डिपो में अनुबंधित है। जबकि रोडवेज के आरएम आरके त्रिपाठी का कहना है कि यह बस किसी भी डिपो में अनुबंधित नहीं है। रही बात बुलदंशहर की तो बरेली में बुलंदशहर डिपो की कोई भी बस किसी भी बस अड्डे पर नहीं आती है। उन्होंने इस बस को पूरी तरह से प्राइवेट होना बताया है।

10 लाख का नुकसान
सीयूजीएल के प्रबंधक मंसूर अली ने बताया कि बस में आग लगने से पंप पर करीब आठ से दस लाख रुपए का नुकसान हो गया। कैनोपी खराब होने के साथ ही और भी चीजें आग की चपेट में आई जिससे वह भी पूरी तरह से जलकर राख हो गई है। अभी तक बस के चालक परिचालक का पता नहीं चल सका है।

सीएनजी सिलेंडर की तीन साल में होती है जांच
आरआइ मानवेंद्र प्रताप ङ्क्षसह बताते है कि किसी भी सीएनजी किट के सिलेंडर का हाइड्रोटेस्ट होता है। जो हर तीन साल में कराना अनिवार्य है। यदि सिलेंडर का हाइड्रोटेस्ट नहीं हुआ है तो कोई भी सीएनजी संचालक उसमें सीएनजी नहीं डाल सकता। इसी के साथ बिना हाइड्रोटेस्ट के यदि पकड़ा जाता है तो उस पर कार्रवाई भी हो सकती है। हाइड्रोटेस्ट के बाद गाड़ी पर एक कंप्लाइंस प्लेट लगाई जाती है। जिसे देखकर ही सीएनजी डाली जाती है।

Posted By: Inextlive