Bareilly:शासन ने बरेलियंस की सेफ्टी के लिए शहर के हॉस्पिटल्स और नर्सिंग होम्स पर सख्त रवैया अख्तियार करते हुए फायर डिपार्टमेंट को टाइट किया है. डिपार्टमेंट से स्टैंडड्र्स के एकॉर्डिंग फायर फाइटिंग सिस्टम न लगाने वाले अस्पतालों की लिस्ट मांगी गई है. साथ ही नियम फॉलो करवाने और कार्रवाई करने के भी कड़े निर्देश हैं. शासन ने फायर डिपार्टमेंट को इसके लिए महज एक महीने का समय दिया है. अस्पताल ही नहीं बल्कि शहर की अदर बिल्डिंग्स में भी फायर फाइटिंग का बुरा हाल है. बरेलियंस की जान से खिलवाड़ करने वाली इन बिल्डिंग्स के फायर फाइटिंग सिस्टम्स पर अनिल कुमार की रिपोर्ट.


शहर में हॉस्पिटल्स पर एक नजर-आईएमए की लिस्ट के अनुसार, शहर में प्राइवेट हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स की संख्या    124-हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार, शहर में प्राइवेट हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स की संख्या    59डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल (पुरुष व महिला) में -बेड की संख्या                          428-डेली ओपीडी पेशेंट्स की संख्या     लगभग 4,000प्राइवेट हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स में -बेड की संख्या लगभग    3,000-डेली ओपीडी पेशेंट्स की संख्या     लगभग 15,000 अब आग से 'खेल' पड़ेगा महंगा


सिटी के अधिकांश हॉस्पिटल्स और नर्सिंग होम्स पेशेंट्स, अटेंडेंट व अपने स्टाफ की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ये हॉस्पिटल्स और नर्सिंग होम्स आग की लपटों में कब स्वाहा हो जाए, ये खुद हॉस्पिटल मैनेजमेंट को भी पता नहीं। ताजा जानकारी के अनुसार यहां के कई हॉस्पिटल्स और नर्सिंग होम्स फायर नॉम्र्स को फॉलो नहीं कर रहे हैं। पर यह खिलवाड़ अब ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकेगा। शासन ने गंभीरता दिखाते हुए उन सभी हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स की लिस्ट मंगवाई है, जो फायर नॉम्र्स को लेकर लापरवाह बने हुए हैं। साथ ही फायर डिपार्टमेंट को यह निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द यहां फायर नॉम्र्स पूरे करवाए जाएं। अगर इसके बावजूद भी हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स फायर मानकों को पूरा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ लीगल एक्शन लेकर उन्हें सीज किया जाए। सिस्टम चालू कराने के निर्देशहेल्थ डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार बरेली में कुल 59 हॉस्पिटल व नर्सिंग होम हैं। इनकी लिस्ट फायर डिपार्टमेंट को प्रोवाइड करा दी गई है। इस संबंध में कुछ दिनों पहले ही लखनऊ में एक मीटिंग हुई, जिसमें फायर डिपार्टमेंट को सख्त निर्देश दिए गए हैं। निर्देश में बताया गया कि जो हॉस्पिटल्स फायर एनओसी के अंतर्गत आते हैं, उन्हें एनओसी लेने के लिए नोटिस भेजा जाए। इसके अलावा जो एनओसी के दायरे में नहीं आते हैं, वहां भी फायर नाम्र्स फॉलो करवाया जाए। साथ ही वहां लगे फायर फाइटिंग सिस्टम्स को भी चालू करवाया जाए।ग्राउंड व हेड वाटर टैंक होना आवश्यक

एनबीसी 2005 के तहत बड़े हॉस्पिटल्स जिनका एरिया 500 स्क्वायर मीटर से अधिक है तथा बिल्डिंग 15 मीटर से अधिक है, ऐसे हॉस्पिटल्स में ग्रांउड व हेड वाटर टैंक होना बेहद जरूरी है। साथ ही फायर एक्सीटिंग्यूसर भी होना जरूरी है। पानी के पाइप लाइन की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इन हॉस्पिटल्स का फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेना आवश्यक है। छोटे हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स में 100 स्क्वॉयर मीटर पर एक फायर एक्सीटिंग्यूसर होना चाहिए तथा जरूरत के हिसाब से पानी की भी व्यवस्था होनी चाहिए। फायर टीम करेगी हॉस्पिटल्स का दौराफायर डिपार्टमेंट की मानें तो बरेली में करीब आधा दर्जन बड़े हॉस्पिटल ऐसे हैं, जिन्हें एनओसी की आवश्यकता है। बरेली में किसी भी हॉस्पिटल ने फायर डिपार्टमेंट से एनओसी नहीं ले रखी है। इसके अलावा हेल्थ डिपार्टमेंट से भी हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स की लिस्ट मिल गई है। इससे फायर डिपार्टमेंट को हॉस्पिटल की जांच करने में काफी सुविधा होगी। शासन द्वारा डिपार्टमेंट को एक माह का टाइम दिया गया है। शासन के आदेश को फॉलो करने के लिए फायर डिपार्टमेंट द्वारा टीम बना ली गई है। जो रोजाना हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम में जाकर उनके ऑनर्स को फायर नॉम्र्स को फॉलो कराने के  लिए निर्देश देगी। साथ ही वहां के फायर फाइटिंग इक्विमेंट की भी जांच करेगी और रिपोर्ट तैयार करेगी। टीम को ये भी रिपोर्ट जुटानी होगी कि हॉस्पिटल में फायर सुरक्षा के प्रबंध ठीक है या नहीं। रिपोर्ट शासन के साथ-साथ सीएमओ तथा डीएम को भी भेजी जानी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर हॉस्पिटल्स और नर्सिंग होम्स पर कार्रवाई की जाएगी।बिल्डिंग्स में भी बरेलियंस की जान से खिलवाड़

शहर के कई बिल्डिंग ओनर्स बरेलियंस की लाइफ से खिलवाड़ कर रहे हैं। वे बिल्डिंग में सब स्टैंडर्ड फायर फाइटिंग सिस्टम जो यूज कर रहे हैं। इसके लिए केवल वे ही नहीं बल्कि फायर फाइटिंग सिस्टम प्रोवाइड कराने वाले वेंडर भी रेस्पॉन्सिबल हैं। ऐसे ही बिल्डिंग ओनर्स व वेंडर्स पर फायर डिपार्टमेंट ने एक्शन लेने की पूरी तैयारी कर ली है। सभी को फायर डिपार्टमेंट से एप्रूवल लेना होगा। डिपार्टमेंट उन्हें सर्टिफिकेट देगा। डिपार्टमेंट का कहना है कि पहले सभी वेंडर्स और बिल्डिंग ओनर्स से अपील है कि एनबीसी (नेशनल बिल्डिंग कोड ) एक्ट 2005 के स्टैंडड्र्स को फॉलो करें। इसके तहत ही फायर फाइटिंग सिस्टम का यूज करें। अगर इसके बावजूद ये नहीं माने तो लीगल एक्शन लिया जाएगा। वेंडरों के खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। फस्र्ट फेज में हाई राइज बिल्डिंग पर कार्रवाई होगी। उसके बाद शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल व बाद में छोटी बिल्डिंग्स का नंबर आएगा।खर्चे का है खेल
फायर डिपार्टमेंट की मानें तो बरेली में ज्यादातर बिल्डिंग्स एनबीसी एक्ट के स्टैंडड्र्स को फॉलो नहीं कर रही हैं। सभी बिल्डिंग ओनर सब स्टैंडर्ड फायर फाइटिंग सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं, जो फायर सेफ्टी के मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं। बिल्डिंग ओनर्स जेब खर्च बचाने के लिए ऐसा करते हैं। वेंडर अपनी जेब भरने के लिए बिल्डिंग ओनर्स को सस्ते दाम में फायर फाइटिंग सिस्टम प्रोवाइड करा रहे हैं। इसके लिए उनके पास फायर डिपार्टमेंट की परमीशन तक नहीं है। ऐसा करके वे बिल्डिंग ओनर्स के साथ चीटिंग कर रहे हैं। वेंडर्स अपनी मर्जी के मुताबिक, फायर एक्सटिंग्विशर में रिफिलिंग कर देते हैं।क्या-क्या हैं कमियां-बिल्डिंग ओनर्स ने बिल्डिंग में फायर फाइटिंग के नाम पर एक्सटिंग्विशर तो लगा दिए हैं लेकिन वो बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) से एप्रूव्ड नहीं हैं। सिर्फ उन पर स्टिकर लगा दिए गए हैं। -सिटी में करीब 50 वेंडर हैं जो फायर फाइटिंग सिस्टम की सप्लाई करते हैं। वेंडर इक्विपमेंट तो सप्लाई कर रहे हैं लेकिन बिल्डिंग ओनर को कोई सर्टिफिकेट नहीं देते हैं।-बिल्डिंग ओनर्स रिस्क के अनुसार एक्सटिंग्विशर का इंस्टॉलेशन नहीं कर रहे हैं। जबकि उन्हें बीआईएस 2190 के हिसाब से इंस्टॉलेशन करना चाहिए। -वेंडर व बिल्डिंग ओनर्स अपनी मर्जी चलाकर एक ही तरह के एक्सटिंग्विशर इस्तेमाल कर रहे हैं।-कोई भी फायर डिपार्टमेंट से एप्रूवल नहीं ले रहा है।-ओनर्स बिल्डिंग में पानी की पाइप लाइन भी सब स्टैंडर्ड वाली लगा रहे हैं। उनमें लीकेज हो जाता है। पानी का प्रेशर ठीक से नहीं बन पाता है। पाइप की क्वालिटी ठीक न होने से पाइप फट जाता है।-पाइप लाइन का स्टैंडर्ड मिनिमम माइल स्टील बी क्लास शेड्यूल 40 का होना चाहिए।-बहुत जगह देखने में आया है कि सेनेट्री पाइप लाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है जो काफी गलत है। इससे फायर डिपार्टमेंट को आग बुझाने में काफी प्रॉब्लम होती है।-बेसमेंट में लगने वाले स्प्रिंकुलर सिस्टम तो वेंडर लगा देते हैं लेकिन उन्हें इसकी नॉलेज ही नहीं है कि उनको किस तरह से लगाना चाहिए। -इसमें में भी खेल करके सब स्टैंडर्ड स्प्रिंकुलर सिस्टम लगा दिया जा रहा है। इसी के चलते पानी का जितना प्रेशर चाहिए होता है वो नहीं मिल पाता है।-पाइप गन मेटल का होना चाहिए लेकिन प्लास्टिक के पाइप यूज किए जा रहे हैं।-इसके अलावा फायर अलार्म सिस्टम भी मानकों के अनुरूप नहीं लगाए जा रहे हैं। बिल्डिंग ओनर्स को एड्रेसल सिस्टम का यूज करना चाहिए। महंगा होने के चलते कोई भी ऐसा नहीं कर रहा है।शासन की ओर से सभी हॉस्पिटल्स व नर्सिंग होम्स में फायर नॉम्र्स को फॉलो कराने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही टीम यहां का दौरा करेगी। एक माह के अंदर शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।- विवेक शर्मा, चीफ फायर ऑफिसर, बरेली

Posted By: Inextlive