जिला अस्पताल में रिश्वत, कमीशन व अभद्रता हावी
बरेली (ब्यूरो)। योगी सरकार के सख्त निर्देश के बाद भी विभागों में काम के बदले वसूली का खेल बदस्तूर जारी है। बरेली के जिला अस्पताल अक्सर किसी न किसी मामले को लेकर चर्चा में रहता है। बीते एक माह में जिला अस्पताल में कमीशन, अभद्रता और रिश्वत का खेल सामने आने के बाद भी जिम्मेदार कार्रवाई से कतरा रहे हैं। मई माह में ईएमओ ने इमरजेंसी में तैनात सीनियर नर्स से जमकर अभद्रता की। यही नहीं उन्होंने आवेश में आकर मरीज की फाइल भी तक फाड़ डाली। सोशल मीडिया पर ऑडियो वायरल होने के बाद भी सीएमएस ने मामले में कार्रवाई नहीं की। इस संबंध में जब उनसे बात की गई तो कहा कि ऐसे मामले तो जिला अस्पताल में होते रहते हैं। उन्होंने मामले को दबा दिया है। वहीं 7 जून को प्लास्टर करने के नाम पर वार्ड ब्वॉय का दो मरीजों से रिश्वत लेने का वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो वायरल होने के बाद सीएमएस ने रिश्वत लेने वाले वार्ड ब्वॉय को निलंबित भी नहीं कर सके। सिर्फ विभाग बदल कर कार्रवाई की खानापूर्ति कर दी।
केस-1 : रिश्वत लेने पर सिर्फ बदला विभाग
जिला अस्पताल के हड्डी विभाग के प्लास्टर वार्ड में तैनात वार्ड ब्वॉय रामलखन डॉक्टरों के निर्देश पर मरीजों को प्लास्टर बांधता था। 7 जून को एक वीडियो वायरल हुआ तो जिला अस्पताल में हडक़ंप मच गया। वायरल वीडियो में वार्ड ब्वॉय रामलखन दो मरीजों से प्लास्टर करने के बदले पैसे लेते नजर आ रहा है। साथ ही बोल रहा है यदि पैसे नहीं दोगे तो काम नहीं होगा। आनन-फानन में जिम्मेदारों ने वार्ड ब्वॉय का विभाग बदल कर मामले को दबा दिया। इससे साबित होता है कि जिला अस्पताल में रिश्वत लेने का खेल पहले से चल रहा है। जिसकी जिम्मेदारों को भी जानकारी है।
मई माह में ईएमओ शैलेष रंजन ने इमरजेंसी में तैनात सीनियर नर्स के साथ मामूली बात पर जमकर अभद्रता की थी। उन्होंने गुस्से में आकर मरीज की फाइल तक फाड़ डाली थी। किसी ने इस घटना का ऑडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। ऑडियो वायरल होने के बाद भी जिम्मेदारों ने ईएमओ पर कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि सीनियर नर्स पर दबाव बनाकर मामला को निपटा दिया। सीएमएस ने तो यहां तक बोल दिया था कि जिला अस्पताल में ऐसे मामले तो होते रहते हैं। जिससे जिला अस्पताल की साख दाव पर लगी है।
केस-3 : रेफर करने पर कमीशन का खेल
बीते माह तीन चार ऐसे केस सामने आए थे, जिन्हें गंभीर हालत में रेफर किया गया था। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में तैनात कुछ चिकित्सक व वार्ड ब्वॉय ने उन पर निजी अस्पताल जाने का दबाव बनाया था। जिसमें से दो मरीजों को उनके परिजन स्वयं निजी अस्पताल ले गए। जबकि एक पेसेंट को वार्ड ब्वॉय ने अपनी पसंद के हॉस्पिटल में प्राइवेट एंबुलेंस से भर्ती कराया था। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद भी जिला अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच तक नहीं की है।
डॉ। मेघ सिंह, सीएमएस