झूठे एफिडेविट से फ्यूचर संवारने की कोशिश
बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए निगम से बर्थ सर्टिफिकेट बनवा रहे पेरेंट्स
सिटी मजिस्ट्रेट को झूठा एफिडेविट देकर बच्चों की डेट ऑफ बर्थ बदलवाने का खेल निगम में 400 से ज्यादा फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए मिली अप्लीकेशंस BAREILLY: वैसे तो बच्चों की डेट ऑफ बर्थ एक ही होती है। लेकिन यदि आप जियाउल व उत्कर्ष से पूछेंगे तो वह कंफ्यूज हो जाएंगे। क्योंकि उनकी एक नहीं बल्कि दो डेट ऑफ बर्थ है। चौंकिए नहीं। यह यकदम सच है। खास बात यह है कि इनकी डेट ऑफ बर्थ में दो चार दिन का नहीं बल्कि एक से तीन-तीन साल तक का फर्क है। दरअसल, डेट ऑफ बर्थ का यह खेल इनके पेरेंटस ने किया है। फिलहाल, बच्चों की डेट ऑफ बर्थ में पेरेंटस के फर्जीवाड़ा के इस खेल को नगर निगम ने पकड़ लिया और जांच शुरू कर दी है।एडमिशन के लिए झूठ का सहारा
दरअसल, मामला यह है कि डेट ऑफ बर्थ में फर्जीवाड़े का यह पूरा खेल स्कूलों में एडमिशन के लिए किया जा रहा है। शहर के ज्यादातर स्कूलों ने एडमिशन के लिए उम्र फिक्स कर रखी है। ऐसे में इन स्कूलों में एडमिशन कराने की चाह में पेरेंटस फेक एफिडेविट देकर झूठी डेट ऑफ बर्थ का सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं।
दे रहे हैं झूठा एफिडेविट इतना ही नहीं सिटी मजिस्ट्रेट को अपने बच्चों की पैदाइश का झूठा एफिडेविट तक देने से नहीं हिचक रहे हैं। फिलहाल, निगम ऐसे फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए किए गए आवेदनों की जांच करा रहा है। ऐसे करीब ब्00 अप्लीकेशन नगर निगम ने जांच में पकड़े हैं। डेट ऑफ बर्थ में हेरफेर बच्चे की रियल एज की जगह पेरेंट्स डेट ऑफ बर्थ से जुड़े दस्तावेजों में हेरफेर कर रहे हैं। यही झूठा एफिडेविट पेरेंट्स सिटी मजिस्ट्रेट को दे रहे हैं। सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग को एफिडेविट के आधार पर जांच कर सर्टिफिकेट बनाने के निर्देश दिए जाते हैं। पहले बन चुके हैं बर्थ सिर्टफिकेटझूठे एफिडेविट पर बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने की कोशिश कर रहे ऐसे पेरेंट्स निगम की क्रॉस चेकिंग में पकड़े जा रहे हैं। दरअसल, निगम के रिकॉर्ड्स में ऐसे ज्यादातर पेरेंट्स के बच्चों के जन्म से जुड़ी जानकारियां व उनके बने बर्थ सर्टिफिकेट पहले से ही मौजूद हैं। इस सच्चाई से अंजान पेरेंट्स बर्थ सर्टिफिकेट के लिए नए आवेदन कर रहे हैं, जो ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट डाटा से मिलान में पकड़ा जाता है। अब तक तमाम बच्चों के जन्म की तारीख व आवेदन में भरी गई डेट ऑफ बर्थ में एक से तीन साल तक का अंतर पाया गया है।
घर में दिखा रहे बच्चे की पैदाइश बच्चे का गलत बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के फेर में पेरेंट्स बच्चे की पैदाइश घर में ही बता रहे हैं। साथ ही, एक साल के अंदर निगम से बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने की जानकारी न होने की दलील दे रहे। मजदूर से लेकर शिक्षक तक शामिल बच्चों के एडमिशन के मोह में गलत तरीके से बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के रास्ते पर चल पड़े पेरेंट्स में गैर जिम्मेदार व अनअवेयर लोग ही नहीं है। बल्कि दूसरों को शिक्षा की सीख देने वाले शिक्षक भी हैं, जो एजुकेशन की डगर पर अपने बच्चे के पहले कदम को झूठ का सहारे आगे बढ़ा रहे। हालांकि झूठ पकड़े जाने पर निगम की ओर से ऐसे पेरेंट्स को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। इन पर फिलहाल किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती। न ही विभाग की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस को ऐसे आवेदनों की सच्चाई के बारे में कोई रिपोर्ट दी जाती है। -------------------कई पेरेंट्स की ओर से फर्जी एफिडेविट पर बदली हुई डेट ऑफ बर्थ वाले सर्टिफिकेट वाले आवेदन आते हैं। इस फर्जीवाड़े से बचने के लिए आवेदन की रिकार्ड्स से क्रॉस चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे आवेदनों को खारिज कर दिया जाता है। सिटी मजिस्ट्रेट को पूरे मामले की रिपोर्ट देंगे। - डॉ। एसपीएस सिंधु, नगर स्वास्थ्य अधिकारी