- बुजुर्गो के जोश के आगे बौनी पड़ी 10 किलोमीटर की ट्रैक

- साइकलिंग में युवाओं से नहीं रहे पीछे

BAREILLY: आई नेक्स्ट ने बाइकॉथन सीजन-म् के जरिए हर एज ग्रुप को एक कॉमन टै्रक दिया। इस ट्रैक पर सबने जमकर साइकलिंग की। बाइकॉथन ने एक फिर यह साबित कर दिया कि जब दिल में जज्बा और जुनून हो तो कोई टास्क टफ नहीं होता। बाइकॉथन के दौरान बुजुर्गो का उत्साह देखते ही बन रहा था। बाइकॉथन के इस महाकुंभ में युवाओं के साथ बुजुर्गो ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। जो लोग किसी कारण वश बाइकॉथन में खुद पार्टिसिपेट नहीं कर सके, वे अपने बच्चों को पार्टिसिपेट कराकर अपनी ख्वाहिश को पूरी की।

उम्र के आगे बौनी पड़ी दूरी

बाइकॉथन के दौरान क्0 किलोमीटर की साइकलिंग भी बुजुर्गो के सामने बौनी पड़ गई। रैली पूरी करने के बाद भी इनके अंदर वही एनर्जी और जोश दिख रहा था जो रैली शुरू होने से पहले था। क्0 किमी का लंबा सफर तय करने के बाद भी ये थके नहीं थे।

हैंडीकैप्ड होने के बाद भी िलया हिस्सा

बाइकॉथन में बहुत से ऐसे लोगों ने भी साइकलिंग की जो हाथ पैर से हैंडीकैप्ड थे। बावजूद इसके इन्होंने बाइकॉथन में हिस्सा लेकर एक नई मिसाल कायम की। रेस पूरी करने के बाद भी इनके चेहरे पर थोड़ी भी सिकन देखने को नहीं मिली।

युवाओं से कम नहीं

युवाओं के साथ साइकलिंग कर बुजुर्गो को अपना बचपन याद आ गया। भले ही बाइकॉथन उद्ेश्य एक साइकिल रेस न होकर सौहार्द और इंवॉयरमेंट के प्रति लोगों को अवेयर करना रहा, लेकिन साइकलिंग के माध्यम ये बुजुर्ग और जवां एक दूसरे को टक्कर देते दिखे।

काफी पहले से थी तैयारी

बाइकॉथन में हिस्सा लेने वाले बुजुर्गो की मानें तो साइकलिंग के लिए उन्होंने बहुत पहले से ही तैयारी कर रखी थी, ताकि क्0 किलोमीटर के लंबे ट्रैक पूरा करने में किसी प्रकार की प्रॉब्लम्स न फेस करनी पड़े। इसके लिए वे मॉर्निग वॉक के साथ घर पर साइकिल की प्रैक्टिस फ्-ब् दिन पहले ही शुरू कर दी थी।

साइकलिंग करके बचपन की यादें ताजा हो गई। आज भी हर रोज म् किलोमीटर की दौड़ लगाता हूं। इस तरह के इवेंट में पार्टिसिपेट करने से चूकता नहीं हूं। इस एज में भी मैं कही आने-जाने के लिए साइकिल को ही प्रिफर करता हूं। हेल्दी के लिए यह बेस्ट ऑप्शन है।

शोभा राम - म्म् साल

बाइकॉथन में भाग लेने के लिए पड़ोस के पांच बच्चों को साथ लेकर आया था। इस तरह के इवेंट में पहली बार भाग लिया है। साइकलिंग के दौरान पूरा शरीर पसीने से तर बतर हो गया।

मुकेश कुमार दीक्षित - भ्क् साल

मैंने अपने बेटे को बाइकॉथन में भाग लेने के लिए कहा था। उसको साइकलिंग करते देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। आई नेक्स्ट के इस तरह के कार्यक्रम को प्रमोट करना काफी सराहनीय है।

जयप्रकाश देवनानी, पेरेंट्स

बेटी को इस इस इवेंट में पार्टिसिपेट कराने के लिए रात भर बेचैनी रही। साइकलिंग को मेरी बेटी विधि इतनी क्रेजी है कि वह मुझसे पहले ही उठ गई थी। ठंड होने के बाद भी बच्चों का इतने बड़े इवेंट में भाग लेना काफी अच्छा रहा।

बरखा अग्रवाल, पेरेंट्स

बाइकॉथन के जरिए समाज के सभी वर्ग को एक प्लेटफार्म पर लाने की सोच बहुत ही अच्छी है। फ‌र्स्ट, सेकेंड आने के डर से दूर बच्चों का उत्साह देखते ही बना। अपने बेटे को पार्टिसिपेट करते देख मेरी पुरानी यादें ताजा हो गई।

सुनील टंडन, पेरेंट्स

Posted By: Inextlive