सट्टे के डॉक्टर का दिल कमजोर पर दिमाग है तेज
बारादरी एरिया के सट्टा किंग को पुलिस ने पकड़ा
कोड वर्ड में चलता है पूरा खेल BAREILLY : सट्टे के डॉक्टर का दिल थोड़ा कमजोर है पर उसका दिमाग बेहद तेज चलता है। इस फील्ड का वह नम्बर वन खिलाड़ी है और ये बात वह खुद स्वीकार भी करता है। थर्सडे को पुलिस की गिरफ्त में आए बारादरी एरिया के सट्टा किंग ने खुद इन बातों का खुलासा किया। उसका मानना है कि इसके असली मास्टरमाइंड्स तक पहुंचना पुलिस के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। वहीं पुलिस की जांच में ये भी सामने आया है कि सिटी में हर बात पर सट्टा लगता है। हाथ आते हैं बस छोटे सटोरीसिटी में सट्टे का बाजार काफी वक्त से लगता आ रहा है। हाईकमान से भी सट्टे को पूरी तरह से रोकने के लिए कई बार निर्देश आ चुके हैं। सिटी में भी पुलिस के द्वारा इसे बंद करने के लिए कई तरह की प्लानिंग भी की गई। कई बार स्पेशल अभियान भी चलाए गए, लेकिन पुलिस छोटे-मोटे सटोरियों को बंद कर इतिश्री कर लेती है। इनके असली खिलाडि़यों तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाती, जिसका नतीजा है कि लगातार सट्टा जारी है।
तीन सटोरिये पकड़े गएथर्सडे रात को भी चौकी इंचार्ज जोगी नवादा गजेंद्र त्यागी ने एरिया में सट्टे का खुलासा किया। पुलिस ने यहां से सट्टेबाज डॉक्टर अफजाल व दो अन्य सटोरी मुन्नालाल और बाबूराम को गिरफ्तार कर लिया। अफजाल जोगीनवादा का ही रहने वाला है। वहीं बाकी दोनों संजयनगर के रहने वाले हैं। अफजाल ईद से एक दिन पहले ही हल्द्वानी से बरेली वापस लौटा था और फिर से अपना धंधा शुरू कर दिया था। वह पुलिस से बचने के लिए ही सिटी से बाहर चला गया था।
ऐसे बना सट्टे का डॉक्टर पुलिस गिरफ्त में आया अफजाल असल में डॉक्टर नहीं है। उसे लोग डॉक्टर कहकर बुलाते हैं। उसके डॉक्टर बनने और सट्टे के खेल का खिलाड़ी बनने के पीछे काफी लंबी कहानी है। अफजाल ने पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान बताया कि वह ख्ख् साल तक कंपाउंडर रहा। करीब क्भ् साल पहले वह सट्टे के खिलाडि़यों के संपर्क में आया। उसने सबसे पहले सटोरियों के यहां म्-7 साल तक नौकरी की। जब वह यहां के खेल और इसकी मोटी कमाई के बारे में समझ गया तो उसने बारादरी एरिया में सट्टा शुरू कर दिया और धीरे-धीरे सट्टा किंग बन गया। हालांकि डॉक्टर हार्ट पेशेंट है, उसे दो बार अटैक भी पड़ चुका है।कोड वर्ड से होता है सट्टा
पुलिस को अफजाल के पास से कई कागज मिले हैं। पुलिस को शक न हो इसलिए सट्टे का हिसाब-किताब कोड वर्ड में लिखा जाता है। अफजाल के पास मिले कागजों में 'पापा-लेना-देना और हिसाब' लिखा हुआ था। कुछ इसी तरह से फैमिली मेंबर्स के नाम पर व अन्य तरह के कोड का इस्तेमाल सट्टे में किया जाता है। अफजाल के पास अन्य पर्चियां भी मिली हैं, जिसमें किस नंबर पर कितने मिलेंगे और उस डेट में कौन सा नंबर आया, इस बारे में भी लिखा है। जैसे थर्सडे को सट्टा पकड़ा गया तो उसमें लिखा है कि 7-8-भ्ब् यानि आज का नंबर भ्ब् है। एक-दूसरे से जुड़ी है चेनअफजाल ने बताया कि वह जगतपुर के शाहिद के अंडर में सट्टा लगाता है। शहिद कोहाड़ापीर के मुन्ना इरफान के अंडर में सट्टा लगाता है। मुन्ना इरफान चाहबाई के लाला बृजेश के लिए काम करता है। उसने बताया कि वह 7-8 एजेंटों के संपर्क में रहता है, जिनसे वह सट्टे का नंबर पूछ लेता है। उसे इस काम के लिए क्भ् परसेंट कमीशन मिलता है, जो उसे पहले ही पहुंच जाता है। पांच रुपए सट्टा लगाने वाले को सीधे ब्00 रुपए मिलते हैं। इसमें कोई भी बेइमानी नहीं करता। वह खुलकर कहता है कि सट्टे के असली खिलाडि़यों को पुलिस नहीं पकड़ सकती क्योंकि वो लोग अंडर ग्राउंड रहते हैं और उनका नेटवर्क सीधे दिल्ली से रहता है।
हर चीज पर लगता है सट्टा वहीं पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि सिटी में शायद ही ऐसी कोई चीज हो जिस पर सट्टा ना लगता है। त्यौहारों के दौरान जमकर सट्टा लगता है। खासकर सावन व रमजान के दिनों में क्योंकि इस दौरान शहर के हालात संवेदनशील होते हैं। सटोरिये शहर में बवाल होगा या नहीं होगा, कफ्र्यू लगेगा या नहीं लगेगा, कफ्र्यू में ढील मिलेगी या नहीं मिलेगी, मार्केट में कैसी भीड़ रहेगी आदि पर सट्टा लगाते हैं। इस साल भी सावन व रमजान में सट्टा लगाया गया था।