फैसिलिटी कम, टैलेंट में दम
BAREILLY: हाईस्कूल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले कुछ ऐसे गुदड़ी के लाल भी हैं, जो सुविधाओं से वंचित हैं। फिर भी सीमित संसाधनों को उन्होंने अपनी ढाल बनाई और मजबूती से परिस्थितियों का सामना किया। कोई आर्थिक रूप से काफी कमजोर है तो कोई शारीरिक रूप से अक्षम, लेकिन इन सभी में एक बात कॉमन है। वह है बुलंद हौसला, जिसके बल पर उन्होंने मेधा का डंका बजाया है।
अपने पिता की मजबूरियों को समझते हैंअर्जुन पाल सिंह तोमर के पिता अजय पाल सिंह तोमर न्यूज पेपर को ढोने वाली गाड़ी के ड्राइवर हैं। अपने पिता की मजबूरियों को वे भलीभांति समझते हैं। मदर कुसुम लता तोमर साए की तरह उनकी देखभाल करती हैं। ताकि लाडले को किसी भी प्रकार की कमी महसूस ना हो। यह अर्जुन के परिश्रम और उनके पेरेंट्स के आशीर्वाद का तप ही है, जिससे उन्होंने 9क् परसेंट मार्क्स हासिल कर कॉलेज के टॉप टेन में जगह बनाई। बिहारीपुर में रहने वाले अर्जुन इंजीनियर बन अपने परिवार की स्थिति में सुधारना चाहते हैं। वे बताते हैं कि रूटीन स्टडी और स्कूल नोट्स के बदौलत इतने मार्क्स हासिल किए।
-अर्जुन पाल सिंह, 9क् परसेंट, जयनारायण अपने पिता का नाम कॉलेज में किया रौशनएक पिता के लिए इससे बड़ी खुशी क्या होगी कि जिस स्कूली में वे ड्राइवर हैं। उनके बेटे ने अपने टैलेंट के बल पर हाईस्कूल के रिजल्ट में उसी कॉलेज में फोर्थ पोजिशन हासिल की हो। मनीष गिरी गोस्वामी ने 9क्.भ् पर्सेट मार्क्स हासिल कर अपने पिता भूपेंद्र गिरी गोस्वामी को गर्व करने का यह मुकाम दिया। मनीष ने मैथ्स में क्00 मार्क्स हासिल किया है। जबकि हिंदी में 9क् और इंग्लिश में 9ख् मार्क्स। साइंस फिक्शन की बुक्स पढ़ने का शौक रखने वाले अर्जुन के दो छोटे भाई और बहन भी हैं। वे एनडीए में अपना करियर बनाना चाहते हैं और इसके लिए अभी से जी जान से जुट गए हैं।
- मनीष गिरी गोस्वामी, 9क्.भ् पर्सेट, जयनारायण मदर की तपस्या जाया नहीं होने देंगेविशाल के पिता घासी पाल इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी मदर माला पाल ही उनके लिए सबकुछ है। परिवार का खर्च खेती पर निर्भर है। मदर अपने बच्चों के साथ रहकर उनका पालन करती हैं। इसलिए खेती बटाई पर दे दी जाती है। उससे जो कमाई होती है उसीसे बच्चों का भविष्य संवारने का काम कर रही हैं। विशाल ने 90.भ् पर्सेट मार्क्स हासिल कर अपनी मदर की तपस्या को जाया नहीं किया। विशाल ने मैथ्स में 9ख्, इंग्लिश में 9म् और हिंदी में 90 मार्क्स हासिल किया है। विशाल इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं। उनकी तरह ही उनके बड़े भाई भी इंजीनियरिंग पूरा कर चुके हैं। विशाल बताते हैं कि रेगुलर पढ़ाई के साथ सभी सब्जेक्ट पर बराबर फोकस करने से एग्जाम में बर्डन नहीं होता।
- विशाल पाल, 90.भ् पर्सेट, जयनारायण