Bareilly: करीब 7 दिन पहले एक महिला दिन में 1:30 बजे वन विभाग में ब्लैक बक के साथ आई. उसने मौके पर मौजूद अधिकारियों को बताया कि ये हिरन भटक कर आ गया है और घायल है. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स ने तत्काल आईवीआरआई से संपर्क साधा. बाद में ट्रीटमेंट के दौरान खुलासा हुआ कि उसके गले में 2 गोलियां लगी थी. बाद में ब्लैक बक की मौत हो गई. अप्रैल में संजयनगर की सैनिक कॉलोनी में रेजिडेंंट्स को मंदिर के पास संरक्षित प्रजाति का एक उल्लू मिला. उल्लू घायल था. लोगों ने उल्लू की देखभाल करने के साथ चिकित्सा के लिए संपर्क करना शुरू किया. आईवीआरआई से संपर्क किया गया. इसके बाद भी मौके पर कोई चिकित्सक नहीं पहुंचा. शाम तक उल्लू ने दम तोड़ दिया.


यह घटनाएं साफ बता रहीं हैं कि वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर पूरे बरेली डिस्ट्रिक्ट में कोई भी कवायद नहीं की जा रही है। ये दो मामले तो ऐसे हैं जो प्रकाश में आ गए वरना कई वन्य जीवों के शिकार के बारे में जानकारी भी नहीं हो पाती है। दरअसल पीलीभीत से आए दिन काफी सारे वन्य जीव इस ओर आ जाते हैं। वाइल्ड लाइफ एक्ट में साफ प्रावधान है कि वन्य जीव जैसे नीलगाय, ब्लैक बक, सांभर,  उल्लू, सारस आदि घायल मिलते हैं तो फॉरेस्ट ऑफिस में उनकी प्राथमिक चिकित्सा और उन्हें रखने का प्रबंध होना चाहिए। जबकिफॉरेस्ट ऑफिस के पास ऐसी कोई नर्सरी ही नहीं है। गिरफ्तारी का है प्रावधान


वन्य जीव जन्तु अधिनियम 1972 की धारा 9/ 51 में वन्य जीव की हत्या, घायल, प्रहार करने पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को किसी भी व्यक्ति की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का अधिकार है। दुर्लभ वन्य जीव के मारे जाने पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में एच 2 धारा के अंतर्गत मुकदमा लिखवाया जा सकता है। इस मामले में गैजेटेड ऑफिसर इंवेस्टीगेशन करता है और साक्ष्य जुटाने के बाद दोषी को गिरफ्तारी करने का प्रावधान है। किसी को नहीं मिली सजा

वन्य जीव जन्तु अधिनियम 1972 के तहत मामले भले दर्ज हुए हो। पर पिछले पांच साल में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से एक भी दोषी को सजा नहीं दिलवाई जा सकी है। जबकि कुछ मंथ पहले ही सरौली में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने 1 आदमी को ब्लैक बक के शिकार और 3 लोगोंं को नील गाय के शिकार के केस में पकड़ा था। मगर किसी भी दोषी को सजा नहीं मिल सकी। ब्लैक बक 356 और 104 है सारस फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की गणना के मुताबिक बरेली डिस्ट्रिक्ट में सिर्फ 356 ब्लैक बक और 104 सारस है। सोशल एक्टिविस्ट मानते हैं कि वन्य जीवों को अगर समय रहते संरक्षण नहीं दिया गया तो जल्द ही ये खूबसूरत वन्य जीव सिर्फ किताबों में ही नजर आएंगे। रामगंगा नदी के पास शिकार होना अमूमन एक आम बात है। मगर जिम्मेदारों की तरफ से इनके सरंक्षण के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है। वह खुद को केवल वन्य जीवों की काउंटिंग करने तक ही सीमित मान रहे हैं। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट 3 अक्टूबर को पूरे यूपी में एक साथ सारस गणना करने वाला है। संरक्षण के लिए संशोधन जरूरी

पीपुल्स फॉर एनीमल के सचिव सतीश यादव के अकॉर्डिंग वन्य जीवों के संरक्षण में कमी की एक वजह तो पुलिस और फॉरेस्ट ऑफिस के बीच कॉर्डिंनेशन का न होना भी है। अगर कोई लोकल पुलिस को शिकार की इंफॉर्मेशन दे भी तो वह कार्रवाई की जिम्मेदारी फॉरेस्ट ऑफिस पर डाल देते हैं। सतीश सुझाव देते हैं कि अधिनियम की धाराओं में संशोधन होना काफी जरूरी है। एक नजर में वन्य जीवों की संख्या एरिया    नीलगाय        बंदर    चीतल    काला हिरन    लंगूर    सुअर  बरेली            180    2281    -                 -       3    - नवाबगंज        316   1624    67            345       9    -बहेड़ी            170    461    35               -         -    -मीरगंज         119    438    120             11        -    -आंवला          816    1449    -                -         -    -    फरीदपुर         104    212      -                -        4    16आंकड़े फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा 7 जुलाई 2011 तक की गई काउंटिंग के आधार पर.फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ब्लैक बक और संरक्षित जीवों की संख्या को बढ़ाने के लिए नए सिरे से प्लानिंग कर रहा है। जल्द ही हम इसपर जमीनी स्तर पर काम शुरू कर देंगे। इसके अलावा हम 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में एक साथ सारस गणना कर रहे हैं। दो साल बाद ये प्रयास किया जा रहा है।  
-धर्म सिह यादव, फॉरेस्ट ऑफिसर
विलुप्त प्राय दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों की रक्षा के लिए सभी को आगे आना चाहिए। हमें सरकारी डिपार्टमेंट  को छोड़ अपने प्रयासों पर ध्यान देना होगा। डिस्ट्रिक्ट में वन संपदा और वन्य जीवों के सरंक्षण के लिए कानून ज्यादा सशक्त होने चाहिए। -सतीश यादव, सचिव, पीपुल्स फॉर एनीमल

Posted By: Inextlive