बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में परीक्षा बच्चों का खेल
यहां एग्जाम के नाम पर हो रहा मजाक
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में चल रही परीक्षाओं को खेल या खानापूरी कहें तो गलत नहीं होगा। कहीं भी एग्जाम जैसा माहौल ही नहीं बल्कि मजाक चल रहा है। वहीं इसके पीछे के तर्क भी कम हास्यास्पद नहीं हैं। मसलन आरटीई लागू होने के बाद किसी बच्चे को फेल तो करना नहीं है तो एग्जाम्स का क्या फायदा? निशुल्क शिक्षा में परीक्षा का तो कोई मद ही नहीं है तो पेपर कहां से लाएं? बीएसए का कहना है कि उन्होंने परीक्षा से पहले एक बैठक में स्कूलों से टीचर्स से परीक्षा विकास अविधान से ही परीक्षा के लिए पैसा निकालने का निर्देश दिया है। आई नेक्स्ट टीम ने मंडे को शहर के कुछ बेसिक स्कूलों में हकीकत जानने की कोशिश की। जो काफी शॉकिंग है। आप भी जानिए।क्वेश्चन पेपर ब्लैक बोर्ड पर
बेसिक स्कूलों में क्लास 5 और 8 के एग्जाम्स में चल रहे हैं। इन एग्जाम्स के लिए प्रश्न पत्र को बोर्ड पर लिख दिया जाता है। वहीं स्टूडेंट्स भी अपनी कॉपी में से ही पेज निकाल कर उस पर आंसर्स लिख देते हैं। एग्जाम्स के लिए न तो क्वेश्चन पेपर छपवाए गए हैं और न ही आंसर शीट्स। यही नहीं इन स्कूलों में बच्चे बिना बिजली और पंखे के ही एग्जाम्स देते हैं। बीएसए के मुताबिक, उन्होंने विद्यालय विकास अविधान के लिए आने वाले बजट में से ही परीक्षा का खर्च निकालने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, विकास अविधान में आने वाले बजट में परीक्षा की मद के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाता है।पैसा तो बचा ही नहींप्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री हरीश बाबू शर्मा ने बताया कि विद्यालय विकास अविधान में स्कूलों की रंगाई-पुताई, मरम्मत आदि वार्षिक खर्च के लिए बजट दिया जाता है। पूरे साल में स्कूलों में होने वाले तमाम खर्च में यह पैसा अधिकांश स्कूलों में तो खत्म ही हो चुका है। ऐसा आरटीई लागू होने के बाद से हुआ है कि परीक्षा की मद के लिए कोई पैसा ही नहीं आता है। इससे पहले बच्चों से ही परीक्षा शुल्क लिया जाता था। कुछ स्कूलों में टीचर्स ने ही धन इकट्ठा करके पेपर बना कर उसकी फोटो स्टेट कराई है। एक घंटे भी नहीं रुक ते स्टूडेंट्समंडे को दूसरी पाली में क्लास 5 का शारीरिक शिक्षा का प्रश्न पत्र होना था। दूसरी पाली का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक है। क्या हो रहा था इस दौरान-सुबह 10:45 बजे प्राथमिक विद्यालय खुर्रम गौटिया
बोर्ड पर क्वेश्चंस लिखे हुए थे पर यहां कोई स्टूडेंट मौजूद नहीं था। टीचर्स ने बताया कि बच्चे पेपर देकर जा चुके हैं। सुबह 11:00 बजे प्राथमिक विद्यालय सूफीटोला प्रथम यहां भी कंडीशन बिल्कुल पहले विद्यालय जैसी ही थी। बच्चे नहीं थे। क्वेश्चंस ब्लैक बोर्ड पर लिखे थे। टीचर्स ने जवाब दिया कि स्टूडेंट्स पेपर देकर चले गए।सुबह 11:20 बजे प्राथमिक विद्यालय रेलवे जंक्शनयहां भी सिचुएशन यही थी। बोर्ड पर पूरा क्वेश्चन पेपर लिखा था पर स्टूडेंट नहीं मिले। टीचर्स का फिर वही जवाब था कि बच्चे जा चुके हैं। सुबह 11:35 बजे प्राथमिक विद्यालय वीर भट्टी यहां स्टूडेंट पेपर देते हुए मिले। दरअसल यहां जूनियर हाईस्कूल के क्लास 8 के स्टूडेंट्स अपठित हिंदी क ा पेपर दे रहे थे। हालांकि बच्चे जमीन में एकदम पास-पास सटकर बैठे हुए थे और एग्जाम दे रहे थे।
कैसा पेपर बनाया टीचर्स ने जो एक घंटे से भी पहले ही पूरा हो गया। अगर कुछ स्टूडेंट्स का पेपर हो भी गया तो भी उन्हें पेपर टाइमिंग पूरी होने से पहले घर नहीं जाने दिया जा सकता। ये तो टीचर्स के विवेक पर ही निर्भर करता है। हर काम के लिए निर्देश नहीं दिए जा सकते हैं। ऐसे टीचर्स क ो चिह्नित करके कार्रवाई की जाएगी। परीक्षा के लिए टीचर्स से बात करके उन्हें विद्यालय विकास अविधान से पैसे लेने के निर्देश दिए गए हैं। जिन स्कूलों के टीचर्स सक्रिय हैं उन्होंने क्वेश्चन पेपर और नोट बुक्स की व्यवस्था भी की है। बैठने के लिए जब तक फर्नीचर के लिए पैसा नहीं आता तब तक तो बच्चों को टाट-पट्टी पर ही बैठना पड़ेगा। बिजली की फिटिंग भी कुछ स्कूलों में है। बाकी बजट आने पर ही हो सकती है। - योगराज सिंह, बीएसए