शहर में स्मार्ट सिटी के तहत बनाए गए प्रोजेक्ट पर खर्च की गई रकम की जांच होनी चाहिए. क्योंकि जो प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत तैयार किए गए हैं उनके लिए अभी तक कोई संचालन के लिए कंपनी ही आगे नहीं आ रही है.

बरेली (ब्यूरो)। शहर में स्मार्ट सिटी के तहत बनाए गए प्रोजेक्ट पर खर्च की गई रकम की जांच होनी चाहिए। क्योंकि जो प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत तैयार किए गए हैं उनके लिए अभी तक कोई संचालन के लिए कंपनी ही आगे नहीं आ रही है। इसीलिए ये प्रोजेक्ट बन तो गए हैं लेकिन सफेद हाथी बने ही खड़े हैं। इसमें कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो संचालन नहीं होने से मरम्मत की कगार पर पहुंच चुके हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर अलग अलग दिन &हाल-ए-स्मार्ट सिटी&य कैंपेन चलाया। जिसमें प्रोजेक्ट की हकीकत से बरेलियंस को अवगत कराया। बताया कि प्रोजेक्ट की कितनी लागत थी कब बना था और अब बगैर संचालन के लिए किस हालत में पहुंच गया है। इसके बाद इस पर बरेलियंस की राय जानने के लिए सोशल मीडिया एक्स पर सर्वे भी कराया। इस सर्वे में लोगों ने खुलकर अपनी राय रखी बताया कि स्मार्ट सिटी का जो सपना था वह अभी अधूरा है क्योंकि रुपए तो खर्च हुआ लेकिन इसका लाभ नहीं मिल सका। पढि़ए पूरी रिपोर्ट

इस तरह दिए आंसर
स्मार्ट सिटी के करोड़ों के प्रोजेक्ट्स क्या धरातल पर खरे उतर पाए इस पर बरेलियंस ने 20 परसेंट ने ही हां में आंसर दिया। 60 परसेंट ने नहीं और 30 परसेंट ने पता नहीं पर आंसर दिया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स कागजों में तो पूरा हो गया है। पर क्या जमीनी हकीकत यही है। इस पर 50 परसेंट का हां, 40 परसेंट नहीं और 10 परसेंट का आंसर पता नहीं पर आया। स्मार्ट सिटी के जो प्रोजेक्ट्स अब भी बदहाल पड़े हैं इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं। इस पर 30 परसेंट ने नगर निगम और 60 परसेंट ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड और 10 परसेंट ने पता नहीं पर आसंर दिया। स्मार्ट सिटी का 950 करोड़ से अधिक का बजट खर्च होने के बाद भी क्या शहर की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आ पाया है? इस पर 50 परसेंट ने हां, 40 परसेंट ने हनीं और 10 परसेंट ने पता नहीं पर आंसर दिया। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स में जो भी बजट खर्च किया गया है, क्या उन प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी और उन पर खर्च हुए रकम की जांच होनी चाहिए? इस पर 100 परसेंट ने हां में आंसर दिया। जबकि नहीं और पता नहीं पर जीरो परसेंट रहा। यानि किसी ने कोई आंसर नहीं दिया। सभी का कहना था कि जो प्रोजेक्ट बने हैं जो खर्च हुआ है उसकी जांच होनी चाहिए।

प्रोजेक्ट हो रहे खंडहर
स्मार्ट सिटी के तहत संजय कम्यूनिटी हाल, अक्षर विहार पार्क, लेजर फाउंटेन शो, स्मार्ट टॉयलेट और ई क्योस्क सहित कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो बनकर तैयार है। संचालन नहीं होने से अब वहां पर खुराफातियों ने तोड़-फोड़ शुरू कर दी है। जिस कारण ये बदहाल हो रहे हैं। इतना ही नहीं ये प्रोजेक्ट अब बदहाली की दंश झेल रहे हैं। क्योंकि इनके लिए कोई संचालन एजेंसी ही नहंी मिल रही है। संजय कम्यूनिटी हाल का तो हाल बुरा है वहां पर खुराफातियों ने शराब पीने का अड्डा बना लिया है। गेट और लगी लाइटें तक चोर तोड़ ले गए। वहीं फाउंटेन लेजर शो भी अब तोड़ दिया गया। इसका बरेलियंस को लाभ तो नहीं मिला लेकिन रुपए जरूरी पूरा बर्बाद हो गया है।


रोड का हाल बुरा
स्मार्ट सिटी के तहत शहर की जो रोड बनाई गई या तो वह अवैध कब्जे में हैं और रही बची बार बार खोदाई करने वाली संस्थाओं ने तोडक़र बर्बाद कर दी है। रोड साइड टाइल्स बिछाकर पक्का कर दिया गया लेकिन नाली बनाने की सुधि नहीं ली। इस कारण वहां पर बारिश का पानी का जमाव होता है और लोगों को समस्या भी होती है। ऐसा लगता है जैसे बगैर प्लानिंग के ही काम तो करा दिया लेकिन अब उसका लाभ इसीलिए बरेलियंस को नहीं मिल पा रहा है।

सर्वे के सवालों के आंसर परसेंट में


स्मार्ट सिटी के करोड़ों के प्रोजेक्ट्स क्या धरातल पर खरे उतर पाए है?
20-हां
60-नहीं
30-पता नहीं

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स कागजों में तो पूरा हो गया है, पर क्या जमीनी हकीकत यही है?
50-हां
40-नहीं
10-पता नहीं
स्मार्ट सिटी के जो प्रोजेक्ट्स अब भी बदहाल पड़े हैं, उसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
30-नगर निगम
60-बीएससीएल
10-जिला प्रशासन
स्मार्ट सिटी का 950 करोड़ से अधिक का बजट खर्च होने के बाद भी क्या शहर की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आ पाया है?
50-हां
40-नहीं
10-पता नहीं
स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स में जो भी बजट खर्च किया गया है, क्या उन प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी और उन पर खर्च हुए रकम की जांच होनी चाहिए?
100-हां
00-नहीं
00-पता नहीं

Posted By: Inextlive