BAREILLY : क्रिसमस के लिए तैयार हो रहे स्पेशल केक
बरेली (ब्यूरो)। क्रिसमस आने में बस चार दिन शेष हैं। इसको लेकर लोगों का उल्लास चरम पर है। क्रिश्चियन कम्यूनिटी में इस फेस्टिवल को लेकर पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। अपने सिटी के सभी गिरिजाघरों को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत में इस कम्यूनिटी के लोगों ने बताया कि यीशू के जन्मदिन पर केक का काफी महत्व रहता है। इसके लिए वे लोग काफी दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हंै।
केक का महत्वसिटी के ही रहने वाले अमित डेविस ने बताया कि क्रिसमस के अवसर पर केक एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है। इस प्र्रथा को दुनिया भर के इसाई परिवार मनाते आए हैं। उन्होंने बताया कि केक के साथ और भी पकवानों की प्रथा है, जैसे गुझिया बनाने की परंपरा एक जमाने से चली आ रही है।
ऐसे बनता है केक
केक कैसे बनाया जाता है, यह पूछने पर उन्होंने बताया कि हम लोग केक बनवाने के लिए 15 दिन पहले किशमिश, मुरब्बा और चैरी को रम में भिगो कर रख देते हैं। उसके बाद बेकरी पर समान को भेज देते हैं। इस अवसर पर वो लोग क्रिसमस केक को किशमिश और व्हिपिंग क्रीम आदि से बनाते हैं। यह केक कई अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है, लेकिन आमतौर पर लोग फ्रूट केक ही बनवाते हैं।
बेकरी वालों ने बताया कि केक बनाने में पांच किलोग्राम सामग्री जैसे मुरब्बा, किशमिश और चैरी तथा सजाने के लिए काजू का भी प्रयोग कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि जो लोग क्रिसमस केक बनवाते हैं, वो पहले से ही ऑर्डर देकर जाते है। इस दौरान पांच किलोग्राम के सामान में लगभग 70 केक बनते हैं।
मेथोडिस्ट चर्च का इतिहास
वर्ष 1856 में अमेरिका से मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च ने भारत में मिशन शुरू किया। चौकी चौराहा के पास स्थित मेथोडिस्ट चर्च के पादरी सुनील मसीह ने बताया कि जब विलियम बटलर अमेरिका से आए तो उन्होंने अवध और रुहेलखंड में बरेली को चर्च निर्माण के लिए चुना। हालांकि निर्माण कार्य प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत होने के चलते बाधित हो गया। इसके बाद 1870 में पुन: चर्च की स्थापना के लिए विलियम बटलर ने मेथोडिस्ट चर्च इन सदर्न एशिया नाम की संस्था बनाई। प्रोटेस्टेंट शैली में चर्च का निर्माण किया गया। चर्च में वेल टॉवर से मुख्य प्रवेश द्वार बनाया गया। उसी वर्ष निर्माण पूरा होने के बाद चर्च का नाम क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च रखा गया।
उन्होंने बताया कि इसकी नींव 164 वर्ष पूर्व डॉ। विलियम बटलर ने रखी थी। उसके बाद से यहां लगातार प्रभु यीशु की प्रार्थना सभाएं होती हैं। 1856 में बने चर्च की मूल इमारत में आज तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। सिर्फ कुछ वर्ष पहले इंटीरियर डेकोरेशन जैसे फर्श, दरवाजे और खिड़कियां आदि मोडिफाई करवाए गए। उन्होंने बताया कि क्रिसमस वाले दिन मुख्य प्रार्थना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। शहर के ज्यादातर मैथोडिस्ट परिवार क्रिसमस की प्रार्थना चर्च में आकर ही करते हैं। क्रिसमस से पहले चर्च को पेंट के साथ ही रंग बिरंगी लाइट्स से सजाया जा रहा है। क्रिसमस सेलिब्रेशन में मिठास घोलने के लिए केक बनवाया जाता है। इस अवसर पर केक का बहुत ही महत्व होता है। केक बनाने के लिए कम से कम 15 दिन पहले से ही तैयारियां होने लगती हैं। हमने केक बनवाने का ऑर्डर बेकरी पर दे दिया है और घर की भी डेकोरेशन कर दी है।
आरुषि डेविस
क्रिसमस के पर्व को लेकर मन में अलग ही प्रकार का उत्साह होता है। यीशू के जन्मदिन पर यह करेंगे, वह करेंगे इसको लेकर काफी दिन पहले से ही प्लान बनाने लगते हैं। बात केक की करें तो इसकी तैयारियां भी हमने शुरू कर दी हैं।
आराधना डेविस
शमीम अहमद, बेकरी ओनर