भीड़भाड़ वाले इलाकों में लगातार लोगों के मोबाइल फोन चोरी किए जा रहे है. बावजूद इसके थानों में मोबाइल चोरी की एफआईआर दर्ज नहीं होती है. थानों में आने वाले पीडि़तों की मोबाइल फोन चोरी की तहरीर बदलवा दी जाती है.

बरेली (ब्यूरो)। भीड़भाड़ वाले इलाकों में लगातार लोगों के मोबाइल फोन चोरी किए जा रहे है। बावजूद इसके थानों में मोबाइल चोरी की एफआईआर दर्ज नहीं होती है। थानों में आने वाले पीडि़तों की मोबाइल फोन चोरी की तहरीर बदलवा दी जाती है। पुलिस की इसी हरकत की वजह से मोबाइल फोन चोरी करने वाले गिरोह के हौंसले बुलंद है और वह लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहे है। शहर में रोजाना करीब एक दर्जन से ज्यादा मोबाइल फोन चोरी हो रहे है।

दर्ज करते हैं गुमशुदगी
मोबाइल फोन चोरी होने के बाद पीडि़त मोबाइल फोन चोरी होने की तहरीर लिखकर थाने पहुंचता है। पीडि़त पुलिस को घटना की जानकारी देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग करता है। इस पर पहले से पुलिस फोन की पूरी जानकारी लेते है, और फिर पीडि़त से फोन चोरी की जगह फोन गुम होने की तहरीर की मांगती है। अगर पीडि़त इसका विरोध करता है। तो उसे थाने से भगा दिया जाता है।

मजदूरी का उठाते हैं फायदा
पुलिस कर्मियों को अच्छे से पता होता है। कि पीडि़ता को जल्द से जल्द आपना मोबाइल नंबर का डूब्लीकेट सिम चाहिए होता है। क्योंकि आज के दौरान में फोन लोगों के काफी महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे पीडि़त बिना समय गंवाए पुलिस के कहने पर मोबाइल फोन चोरी की तहरीर को गुमशुदगी में बदल देता है। जिस पर पुलिस मोहर्र लगा कर दे देती है। या फिर फोन गुमशुदगी दर्जकर उसकी एक कॉपी पीडि़त को दे देती है। जिसे मोबाइल फोन के सर्विस सेेंटर पर दिखाने पर दूसरा सिम मिल जाता है।

भीड़भाड़ वाले एरिया में सक्रिय
शहर में कई जगह मोबाइल फोन सक्रिय है। जो मौका मिलते ही लोगों का मोबाइल फोन चोरी कर लेते है। मोबाइल फोन चोरी करने वाले गिरोह ज्यादातर, कुतुबखाना बाजार, डेलापीर मंडी, सैलानी बाजार, श्यामगंज बाजार, समेत अन्य जगह पर सक्रिय रहते है।

जेब भी काटते हैं
बाजार और भीड़भाड़ वाले एरिया में सक्रिय गिरोह मोबाइल फोन ही नहीं मौका मिलने पर वह लोगों की जेब भी साफ कर देते है। एसी ही एक महिला सिविल के एक निजी अस्पातल में रंगे हाथ पकड़ी गई थी।

अफसरों के काटते हैं चक्कर
फोन चोरी होने के बाद थाने में गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद फोन सर्विलांस पर लगाने के लिए लोगों को भटकना पड़ता है। पुलिसकर्मी कई बार फोन सर्विलांस पर लगाने का आश्वासन देते हैं। लेकिन पीडि़तों को उन पर भरोसा नहीं होता है। यहीं वजह है कि पीडि़त पुलिस अफसरों के दरबार में फोन सर्विलांस पर लगाने के लिए प्रर्थना पत्र देते है।

Posted By: Inextlive