बरेली : नगर निगम का टैक्स दे रहा टेंशन
बरेली (ब्यूरो)। नगर निगम का प्रॉपर्टी टैक्स बरेलियंस के लिए टेंशन दे रहा है। जी हां नगर निगम की तरफ से नए हाउस होल्ड के सर्वे के बाद टैक्स के लिए नया साफ्टवेयर लागू किया है। नया साफ्टवेयर की तकनीनी कमी अब तक ठीक नहीं हो पाई है, जिस कारण करदाताओं के गलत बिल निकल रहे हैं। आवासीय संपत्ति पर कॉमर्शियल बिल आ रहे हैं। 80 प्रतिशत तक अधिक टैक्स लग रहा है.मिश्रित संपत्ति पर कॉमर्शियल टैक्स लग रहा है। अधिकारियों का कहना है कि वेबसाइट पर समाधान के लिए विकल्प दिया है। समस्या आने पर निगम ने फिलहाल साफ्टवेयर बंद कर दिया है, जिससे उस पर आपत्तियां दर्ज नहीं हो रही हैं। गुरुवार को भी कुछ करदाता टैक्स का गलत बिल आने की शिकायत लेकर नगर निगम पहुंचे।
आवासीय भवन टैक्स कॉमर्शियलका
वार्ड 35 निवासी नागेश की 470 वर्ग फुट में एक दुकान बनी है, जिसका संचालन वह खुद करते हैं। इसके अलावा उसका बाकी का भाग आवासीय है। उनके भवन पर अधिनियम 174 के 3/2 के तहत 40 प्रतिशत के आवासीय भाग पर छूट नहीं दी गई है। उनका कहना है कि अधिकारी छूट का प्रावधान खत्म होना बता रहे हैं। जबकि नगर निगम, लखनऊ के आवासीय और अनावासीय भवनों के हाउस टैक्स की गणना में छूट के दिशा निर्देश दिए गए हैं। मामले को लेकर रूहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल ने मुख्य कर निर्धारण अधिकारी प्रदीप कुमार को ज्ञापन सौंपा हैं। प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार महरोत्रा ने बताया कि यह कृत्य व्यापारियों को बदनाम और उनका मानसिक शोषण करने के लिए किया जा रहा है। वेबसाइट पर भी आवासीय की जगह अनावासीय दिखा कर दूसरी बिङ्क्षल्डग का फोटो लगाया गया है, जो पूरी तरह से कॉमर्शियल है।
बाग ब्रिगटान में रहने वाले मंसूर हुसैन की रोडवेज पर 35 वर्ग फीट की दुकान है। उन्होंने बताया कि उनकी दुकान का हर साल नगर निगम 518 रुपये का बिल भेजता था। पिछले साल आया बिल वह किसी कारण जमा नहीं कर पाए। इस बार निगम ने उन्हें 27239 रुपये का बिल भेजा है। उन्होंने अपनी दुकान में कोई नया निर्माण नहीं कराया। बावजूद इसके 50 गुणा से अधिक बिल निगम ने जारी कर दिया है। आरोप लगाया कि मोबाइल नंबर भी पड़ोस की दुकान वाले का दर्शा दिया है।
खुद करें कंप्लेंट
नगर निगम के हाल ही में कराए गए जीआईएस सर्वे के बाद संपत्ति पर जो टैक्स वसूला जा रहा है। उसमें अगर कोई कमी है या फिर टैक्स अधिक है तो उसकी शिकायत कोई भी व्यक्ति घर बैठे ऑनलाइन कर सकता है। टैक्स की साइट पर जाकर कोई भी व्यक्ति वहां पर अपनी शिकायत कर सकता है। जीटीएमएस सॉफ्टवेयर पर नगर निगम ने एक फार्म अपलोड किया है। इस फार्म पर कोई भी व्य1ित अपने संपत्ति कर को अधिक लगाए जाने के बारे में या फिर बिल्डिंग गलत शो होने पर जो भी समस्या हो उसकी शिकायत की जा सकती है। उसके बाद नगर निगम के अफसर उसका समाधान भी करेंगे। इसके लिए भी कहीं दौड़ लगाने की जरूरत नहीं होगी।
नहीं मिल पा रहा लाभ
नगर निगम की तरफ से संपत्ति का जीआईएस सर्वे कराने के बाद जो टैक्स लोगों के पास जा रहा है वह अधिक है। कई लोगों ने इसकी कंप्लेंट की है। नगर निगम के पार्षदों ने भी इसकी शिकायत की है.हालांकि इस पर समाधान की बात कही जा रही है। लेकिन पीडि़तों का कहना है कि जो टैक्स समय से जमा हो जाए तो उन्हें नगर निगम के द्वारा दी जाने वाली छूट का लाभ मिल सकेगा। अन्यथा उनके लिए नगर निगम से मिलने वाली छूट का भी कोई लाभ नहीं मिलेगा।
बिल में गड़बड़ी के चलते फिलहाल वेबसाइट का संचालन बंद कर दिया है। उपभोक्ताओं की शिकायतें आ रही हैं। ऐसे में अब महापौर व नगर आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर इसके निस्तारण का विकल्प तलाश कर नई रणनीति के तहत इसकी दोबारा शुरूआत होगी।
प्रदीप कुमार, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी