बरेली : स्मार्ट सिटी की सडक़ों पर समंदर सी लहरें
बरेली (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी परियोजना के करोड़ों के बजट से बरेली शहर की तस्वीर और तकदीर बदलने का जो ख्वाब दिखाया गया, उसे साकार करने के लिए बजट तो पानी की तरह बहाया गया, पर थोड़ी देर की ही झमाझम बारिश में शहर की सडक़ों पर पानी ही पानी हो जाना अब भी बदस्तूर जारी है। बरसात में शहर की ऐसी स्थित हो जाने से स्मार्ट सिटी में रहने का अहसास भी पानी पानी हो जाता है। वेडनेसडे को सुबह करीब डेढ़ घंटे की बारिश में भी कुछ ऐसा ही हुआ। प्री मानसून की इस बारिश से शहर की शान समझे जाने वाले पॉश इलाके तक जलमग्न होने से नहीं बच सके। बारिश के बीच दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम के रियलिटी चेक में पॉश एरियाज के साथ दूसरी जगहों की कुछ ऐसी स्थिति आई सामने
डेलापीर की यह पीर नहीं हुई दूर
डेलापीर से डीडी पुरम की ओर जाने वाली सडक़ पर डलाव घर के पास थोड़ी देर की बारिश में ही पानी भर जाता है। यह समस्या यहां वर्षों पुरानी है। स्मार्ट सिटी के तह्रत इस सडक़ का चौड़ीकरण भी हुआ और फुटपाथ भी संवारा गया। इसमें करोड़ों रुपया खर्च तो किए गए, पर डे्रेनेज की व्यवस्था नहीं की गई। इसका नतीजा यहां वेडनेसडे को सुबह हुई बारिश में भी देखने को मिला। इस सडक़ पर पेट्रोलपंप से लेकर झूलेलाल द्वार तक भारी जलभराव हो गया। इससे आने-जाने वालों को खासी परेशानी हुई। यहां जलभराव की स्थिति घंटों तक बनी रही।
एकता नगर की सडक़ को बीडीए ने करोड़ों के बजट से फोरलेन तो किया, पर ड्रेनेज के लिए दोनों ओर नाले नहीं बने। इसका खामियाजा यहां बारिश में उठाना पड़ता है। यहां बारिश में पहले भी जलभराव होता था, पर पानी ज्यादा देर तक नहीं ठहरता था। जब से सडक़ का चौड़ीकरण हुआ तब से यहां बरसात में ज्यादा जलभराव होने लगा। वेडनेसडे को सुबह हुई बारिश से यहां इस कदर जलभराव हो गया कि लोगों का निकलना तक दुश्वार हो गया। वाहनों के गुजरने से सडक़ पर समंदर सी लहरें उठतीं दिखाई दीं। जलभराव से सबसे ज्यादा परेशानी यहां रहने वालों को हुई। उन्हें घंटों तक घर में ही कैद रहना पड़ा। ऐसी स्थिति पर लोगों ने नगर निगम की व्यवस्था को जमकर कोसा भी।
राजेन्द्र नगर भी जलमग्न
शहर के पॉश एरियाज मेें राजेन्द्र नगर अब सबसे खास है। यही वजह है कि बीते चुनाव में प्रधानमंत्री के रोड शो के लिए इसे ही चुना गया। बीडीए ने यहां की सडक़ का चौड़ीकरण किया और बीच में ऊंचा डिवाइडर बनाया। इससे राजेन्द्र नगर की तस्वीर तो बदली, पर जलभराव की स्थिति और भी विकराल हो गई। वेडनेसडे मॉर्निंग थोड़ी देर की बारिश में ही यहां की मुख्य सडक़ भी जलमग्न हो गई। इस रोड पर ज्यादा जलभराव बांके बिहारी मंदिर से लेकर स्वयंवर बारात घर तक हुआ। इस बीच सडक़ पर पानी भरने से यहां के घर और दुकान वालों को भारी मुसीबत उठानी पड़ी। इस जलभराव को लेकर लोगों ने नगर निगम के नाला सफाई पर भी सवाल उठाए।
मॉडल टाउन में बरसात के मौसम में जलभराव की समस्या वर्षों पुरानी है। ज्यादा बरसात होने पर यहां पूरे एरिया में पानी जमा हो जाता है। बीते कुछ सालों में यहां डवलपमेंट तो खूब हुआ, पर जलभराव से निजात दिलाने पर ध्यान नहीं दिया गया। वेडनेसडे को यहां की अधिकांश सडक़ों पर दो फीट से भी अधिक पानी जमा हो गया। यह जलभराव श्री हरिमंदिर रोड पर भी हुआ, जिससे सुबह मंदिर आने वाले भक्तों को भी परेशानी उठानी पड़ी। यहां भी जलभराव के लिए लोगों ने नगर निगम की व्यवस्था को ही दोषी ठहराया।
हजियापुर में नगर निगम भी डूबा
हजियापुर शहर का लो लैंड वाला एरिया है। यहां हल्की सी बारिश में ही जलभराव हो जाता है। यहां ड्रेनेजे सिस्टम प्रॉपर नहीं होने से नगर निगम ने पानी की निकासी के लिए संपवेल सिस्टम लगाया है। इसके जरिए यहां भरने वाले पानी को बाहर सप्लाई किया जाता है। यहां संपवेल कितना कारगर है, इसकी हकीकत वेडनेसडे को यहां जलभराव की स्थिति से भी साफ हुई। थोड़ी देर की बारिश इस एरिया में इतना जलभराव हो गया कि लोग घरों में कैद होकर रह गए। इस जलभराव में यहां नगर निगम का एक मिनी लोडर वाहन तक डूब गया। यहां भी लोगों ने नगर निगम के प्रति खासी नाराजगी व्यक्त की।
नाला सफाई हवा-हवाई
बरसात के सीजन में शहर को जलभराव से बचाने के लिए नगर निगम हर साल सीजन शुरू होने से पहले नालों की सफाई कराने का दिखावा करता है। यह दिखावा इस बार भी किया गया। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने अपने नाला एक मुसीबत कैंपेन में नाला सफाई की हकीकत को उजगार भी किया था। इसी कैंपेन में ऐसी नाला सफाई से शहर का डूबना तय हेड लाइन से न्यूज भी पब्लिश की गई थी। वेडनेसडे की बारिश यह सच भी साबित हो गया। नाला सफाई को लेकर लोगों का कहना है कि नगर निगम कभी भी नालों की सफाई ईमानदारी से नहीं करवाता है। हमेशा ही इसके लिए बरसात होने का इंतजार किया जाता है। किसी भी दिन बारिश अधिक होने से नालों में पानी का प्रेशर बढ़ता है तो इनमें जमा कूड़ा खुद बह जाता है। इससे नाले साफ दिखने लगते हैं और बजट भी सफाचट हो जाता है।