शहर में एक थाना ऐसा भी है जहां करीब कई सालों में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. इस बात पर भले ही किसी को यकीन न हो पर यह सौ आने सच है.

बरेली (ब्यूरो)। शहर में एक थाना ऐसा भी है जहां करीब कई सालों में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। इस बात पर भले ही किसी को यकीन न हो पर यह सौ आने सच है। ऐसी खूबी वाला यह थाना है भी एसएसपी ऑफिस परिसर में, जबकि इस थाने में इंस्पेक्टर, एसआई, हेड कांस्टेबल और सिपाही तैनात है। जिसमें महिला पुलिस कर्मी भी शामिल है। बावजूद इसके इस थाने में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं है।

नहीं है जीप और चीता मोबाइल

पुलिस ऑफिस में बना एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट थाने में आठ पुलिसकर्मी तैनात है। इसमें महिला पुलिस कर्मी भी शामिल है। इस थाने की पुलिस के पास न तो दबिश देने के लिए जीप है और नहीं चीता मोबाइल है। इसके साथ ही इस थाने में अन्य थानों की तरह हवालात भी नहीं है, जबकि बाकी थानों की तरह ही इस थाने में इंस्पेक्टर, दरोगा, हेड कांस्टेबल, हेड मुहर्रेर, सिपाही समेत अन्य पुलिसकर्मी तैनात है। वाहन के साथ ही चीता मोबाइल भी नहीं है।

नहीं है हवालात
बता दें कि एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट थाना सिर्फ एक कमरे में चलता है। इस थाने के कमरे के दूसरे हिस्से में सीओ ऑफिस का थाना बना हुआ है। एक कमरे में थाना और सीओ लाइन का ऑफिस होने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि थाना की हालत क्या होगी। एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट थाने की पुलिस सीधे एफआईआर तो कर सकती है, लेकिन मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार हुए आरोपितों के लिए हवालात नहीं है। आरोपितों के गिरफ्तार करने के बाद इस थाने की पुलिस को उन्हें दूसरे थाने की हवालात मेें बंद करवाना पड़ता है।

क्या है एएचटीयू थाना
एएचटीयू थाना &एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट&य है। यहां पर मानव तस्करी के मामले दर्ज होते हैं। इसके साथ ही एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट थाने की पुलिस मजदूरों के शोषण, अपनी इच्छा के खिलाफ किसी के दबाव में अपराध करने, दबाव में भिक्षावृत्ति कराने और अंगों को अवैध तरीके से तस्करी के मामले के साथ ही बालश्रम के मामले भी इस थाने की पुलिस एक्शन ले सकती है। बावजूद इसके इस थाने में कई सालों से एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

मुक्त कराए बच्चे
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के आदेश पर एक जून से लेकर तीस जून तक एएचटीयू थाने की पुलिस ने चाइल्ड हेल्प लाइन और श्रम विभाग की टीम के साथ मिलकर एक माह तक लगातार अभियान चलाया। इस दौरान टीम ने कुल 57 बच्चों को बाल मजदूरी करते हुए मुक्त कराया, जबकि एक जनवरी से लेकर तीस जून तक इस थाने की पुलिस ने कुल 107 बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को मुक्त कराया है।

प्रस्तावित निर्माण
बता दें कि एएचटीयू &एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट&य थाना सीबीगंज के परसाखेड़ा में बनना प्रस्तावित है। जिसके लिए अधिकारियों ने शासन को बजट भी भेज दिया है। काफी समय से बजट की फाइल शासन में ही अटकी हुई है। बजट पास होने के बाद परसाखेड़ा में थाने का निर्माण कराया जाएगा।

Posted By: Inextlive