BAREILLY NEWS : स्ट्रोक वार्निंग लक्षणों को हरगिज न करें नजरंदाज
बरेली (ब्यूरो)। स्ट्रोक जैसी समस्या आज के टाइम में लगातार बढ़ती चली जा रही है। विशेषकर यंग जनरेशन इसका शिकार बना रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह लोगों का बिगड़ती लाइफ स्टाइल है। लोग अपने काम काज में इतने बिजी हो गए हैं कि उन्हें यह ही नहीं पता होता है कि जाने-अनजाने वे किस बीमारी को दावत दे रहे हैैं। विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक तब ही होता है जब ब्रेन में खून का प्रवाह कम होने लगता है। स्ट्रोक के टाइम कुछ इंपॉर्टेंट चीजों को जरूर फॉलो करना चाहिए।
क्या होता है स्ट्रोक
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉस्ट्रोक आज के टाइम में दूसरे नंबर पर होने वाली सबसे कॉमन डिजीज है। इसमें ब्रेन में अचानक ब्लड फ्लो कम हो जाता है। ब्रेन में नस फट जाती है या फिर नर्व में ब्लॉकेज हो जाता है। ब्लॉकेज की वजह से ब्रेन में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। इसकी वजह से ब्रेन की नर्व डैमेज हो जाती है।
टाइप ऑफ स्ट्रोक
स्ट्रोक वैसे तो कई वजह से हो सकता है। जो ब्रेन में होने वाली वर्किंग को स्लो कर देता है। ऑक्सीजन की कमी ब्रेन को डैमेज करने में सबसे बड़ा जिम्मेदार होता है।
वैसे तो स्ट्रोक दो ही तरह का होता है। इस्केमिक स्ट्रोक और होमोरेजिक स्ट्रोक, जो की फर्दर डिवाइड हो जाता है।
1: ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए): इस तरह के स्ट्रोक की सबसे बड़ी वजह ब्लड क्लॉट हो जाना होता है। आमतौर पर यह क्लॉट अपने आप ही सही हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह सीरीयस हो जाता है। 10 से 15 प्रतिशत स्ट्रोक ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक होता है।
3: हेमोरेजिक स्ट्रोक: इस तरह के स्ट्रोक में ब्रेन की नर्व फट जाती है या फिर नर्व में होल हो जाता है। जिसकी वजह से ब्लड रिसना शुरू हो जाता है। जिससे हेमोरेजिक स्ट्रोक हो सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार 13 फीसदी स्ट्रोक हेमोरेजिक की वजह से होता है।
क्या हैं लक्षण
ब्रेन हमारे शरीर के अलग-अलग पार्ट को कंट्रोल करता है। इसमें होने वाली थोड़ी सी भी हलचल स्ट्रोक की सबसे बड़ी वजह होती है। स्ट्रोक के लक्षण हमारी बॉडी में दिखने लगते हैैं।
पैरालिसिस
हाथ, पैर और चेहरा सुन्न पड़ जाना।
बॉडी का एक पार्ट कमजोर हो जाना या सुन्न हो जाना
बोलने में दिक्कत होना
किसी भी चीज को समझने में दिक्कत होना
बोलने में जबान का लडख़ड़ा जाना
ब्रेन में इल्यूजन क्रिएट होना
चीजों को भूलना
दिखने में दिक्कत होना, जैसे कि धुंधला या काला सा दिखनेे लगना
चलने में दिक्कत होना
डिजी सा फील होना
मिर्गी का दौरा पडऩा
ब्रेन डेमेज होना
लॉन्ग टर्म डिसएवीलिटी होना
न्यूट्रीशनिस्ट डॉ। रोजी जैदी ने बताया कि कई बार लोग अपनी डेली लाइफ में इतना विजी हो जाते है। जिसकी वजह से नहीं वे अपनी हेल्थ पर फोकस कर पाते हैैं और न ही लाइफ स्टाल पर। इसकी वजह से स्ट्रोक का खतरा लगातार बढ़ता चला जा रहा है। क्या लाए चेंजिस
फैटी चीजे कम खाए
ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियों का सेवन करें
स्मोकिंग कम करें और हो सके तो अवाइड करें
नमक का इस्तेमाल ज्यादा करें
बैलेंस डाइट ले
एक्सरसाइज न करने या फिर कम करने से भी हो सकता है इसका खतरा
कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाना
एक्टिव न रहना
ओवर वेट हो जाना
डाइट
ठंड में होता है ज्यादा खतरा
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ। आरके महाजन ने बताया कि ठंड में इसका खतरा बढ़ जाता है क्योकि ठंड में ब्लड वैसल सिकुडने लगती हैैं इसके साथ-साथ ब्लड गाढ़ा भी होने लगता है। वहीं कई बार ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने लगाता है।
स्ट्रोक से लक्षण दिखते ही डॉक्टर के पास तुरंत ही संपर्क करना चाहिए। पेशेंट को 4 से 6 घंटे में इलाज कराना जरूरी होता है। इस बीच में स्ट्रोक को रिवर्ट किया जा सकता है। फास्ट को समझे
स्ट्रोक के चार चरण होते हैैं। जिसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि स्ट्रोक कितना प्रभावी है। वहीं स्ट्रोक का पता कैसे लगा सकते है।
फ- फेस: परसन से हसने के लिए कहना चाहिए
आ- आर्म: परसन से दोनो हाथ उठाने के लिए बोलना चाहिए
स- स्पीच: परसन से एक सिपल फैज बोलने के लिए कहना चाहिए
ट- टाइम: यह सभी लक्षण स्ट्रोक के हैैं इसमें टाइम की बहुत ही क्रयूशियल होता है। इसमें सही टाइम पर ट्रीटमेंट जरूरी है। स्ट्रोक के लिए गोल्डन टाइम जरूरी होता है। कई बार लोग इसको हलके में ले लेते हैैं और टाइम से ट्रीटमेंट नहीं कराते है। फास्ट को समझते हुए काम करें।
डॉ। आरके महाजन, सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट
खान-पान हमारी लाइफ स्टाइल में बहुत ही जरूरी रोल प्ले करता है। लोग अपनी बिजी लाइफ के चलते खाने पर ध्यान नहीं देते हैैं।
डॉ। रोजी जैदी, न्यूट्रीशनिस्ट