bareilly News: रिंगटोन नहीं मेंटल पीस चाहिए
बरेली (ब्यूरो)। एक समय था जब मोबाइल फोन में तेज रिंगटोन लोगों की पहली पसंद थी। तब कई मोबाइल यूजर अपने मनपसंद के गाने और म्यूजिक को रिंगटोन में इस्तेमाल करते थे। अब म्यूजिकल रिंगटोन मोबाइल से दूर हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि रिंगटोन से यूथ ही दूर हुए हों, सभी ऐज ग्रुप के मोबाइल यूजर का रिंगटोन से मोह भंग हो गया है। अब लोग मोबाइल की रिंगटोन से न तो खुद डिस्टर्ब होना चाहते हैं और न ही दूसरों को डिस्टर्ब करना चाहते हैं। रिंगटोन पैटर्न भी तेजी से बदल रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने इसको लेकर लोगों से बात की तो उन्होंने भी स्वीकारा कि अब पुरानी रिंगटोन्स का जमाना चला गया है।
रिंगटोन का असर साइकोलॉजी पर
मनोविज्ञानी रविंद्र कुमार का कहना है कि सुबह जब हम उठते हैं तो हमें पीसफुल वातावरण चाहिए होता है। ऐसे में अचानक तेज आवाज में रिंगटोन बज उठती है तो शांति भंग हो जाती है। रिंगटोन हमारी साइकोलॉजी पर असर डालती है। अब लोग दूसरों को भी पॉजिटिव और गुड फील कराना चाहते हंै। इसलिए मोबाइल के कलर्स, वॉलपेपर और रिंगटोन बहुत सोच समझकर चयन करते हैं।
लोग बनाते हैं दूरी
लोगों का कहना है कि तेज आवाज कानों को चुभती है। इससे लोग अब दूरी बनाने लगे हैं। तेज म्यूजिक भी लोगों को पसंद नहीं आता है। मोबाइल फोन में कई यूजर तो कॉल पर आने वाली आवाज को भी कम करके रखते है। ईयर प्रॉब्लम और मेंटल पीस के लिए यह जरूरी भी है।
लोगों का कहना है कि पहले वह विजी कम रहते थे, पर अब हर किसी के पास टाइम की शॉर्टेज है। डॉ। सुधांशु मिश्रा का कहना है कि अगर कोई मीटिंग में बैठा हो और ऐसे में मोबाइल पर कॉल आ जाए और रिंगटोन तेज हो तो सभी डिस्टर्ब हो जाते हैं। पहले के समय में लोग फोन का यूज कम करते थे, पर आज के दौर में मोबाइल सभी की जरूरत बन गया है।
पढ़ाई को भी करता है डिस्टर्ब
स्टूडेंट रेखा वर्मा ने जेईई की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कई बार अचानक कॉल आ जाने से पढ़ाई से मन भटकने लगता है। इस दौरान फोन से बात करने लगते है। फिर दूसरों से भी बात ही करने का मन करने लगता है और लंबी बात हो जाती है। अगर रात को कॉल आ जाती है और रिंगटोन तेज है तो नींद को भी डिस्टर्ब कर देती है। इस लिए मैं भी अपने फोन को वाइब्रेशन मोड में ही रखती हूं।
वाइब्रेशन मोड पर ही रखता हूं मोबाइल
एक निजी कंपनी में काम करने वाले सुरेश सिंह ने बताया कि ऑफिस में माहौल साइलेंट रहता है। ऐसे में कई बार सामान्य मोड में मोबाइल रख दिया जाता है। इससे कई बार आसपास के साथियों का ध्यान विचलित होता है। उन्होंने बताया कि अब पूरी तरह वाइब्रेशन मोड यूज कर रहा हूं। इसका कोई नुकसान भी नहीं है। कार या टू व्हीलर पर भी होते हैं तो पता लग जाता है कि फोन कॉल आया है।
आजकल लोगों की बहुत ही ज्यादा विजी लाइफ हो गई है। ऐसे में मोबाइल पर आने वाले ज्यादा कॉल भी परेशान करने लगते हैं। कहीं मीटिंग में है और कॉल आ जाए तो रिंगटोन दूसरों को ज्यादा डिस्टर्ब कर देती है। पहले लोग अपने मोबाइल में रिंगटोन भजन गाने आदि लगाकर रखते थे, क्योंकि पहले मोबाइल एक एंज्वाय का माध्यम था। अब फोन एक जरूरत बन गया है। इसलिए अधिकतर लोग वाइब्रेशन में फोन रखना पसंद करते है।
सुधा सक्सेना, पार्षद
पहले फोन का अधिक क्रेज था। लोगों के पास नया-नया फोन आता था तो वह अपनी पसंद का रिंगटोन लगाते थे। आज के दौर में हर किसी के पास मोबाइल है। आज के टाइम लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर एक दूसरों को कॉल कर देते हैं। इस दौरान कोई मीटिंग हो या कहीं व्यस्त हो तो रिंगटोन बहुत डिस्टर्ब करती है।
डॉ। हेमा खन्ना मनोवैज्ञानिक