BAREILLY NEWS : कम पडेंगे बीमार तो सेविंग रहेगी बरकरार
बरेली (ब्यूरो)। हेल्थ और वेल्थ का आपस में गहरा नाता है। तभी तो कहा भी गया है कि हेल्थ इज वेल्थ। वेल्दी होने के लिए हेल्दी होना भी जरूरी है। कोई भी पर्सन अगर फिजिकली फिट है तो वह अनहेल्दी पर्सन की अपेक्षा अच्छी सेविंग कर सकता है। यह ही सेविंग उसके लिए विपरीत समय में बड़ी मददगार साबित होती है। आज के दौर में यंग जनरेशन सेविंग के लिए बहुत अधिक अवेयर नहीं है।
लाइफ में स्टेबिलिटी
बहुत छोटी-छोटी जरूरतों की पूर्ति के लिए भी यह जनरेशन लोन लेना बेहतर विकल्प मानती है। इसके बाद विद इंटरेस्ट लोन पे करना इनकी मजबूरी हो जाती है। यही मजबूरी विपरीत समय में लाइफ को मुश्किल बना देती है। वल्र्ड सेविंग डे के मौके पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने यूथ से उनकी सेविंग हैबिट के बारे में जाना तो उनका फोकस सिर्फ प्रजेंट लाइफ को बेहतर तरीके से जीने पर ही नजर आया। फ्यूचर की प्लानिंग उनके लिए सेकेंड्री मैटर है। जानकारों का कहना है कि सेविंग से लाइफ में स्टेबिलिटी आती है।
1: खर्च करने के बाद जो बचे वह सेविंग नहीं होती है, बल्कि सेविंग करने के बाद जो बचे उसे स्पेंड करना चाहिए। वहीं असली सेविंग है।
वॉरेन एडवर्ड बफेट, सीइओ, बर्कशायर हैथवे
डेव रैमसे, अमेरिकन रेडियो पर्सनैलिटी, 3: दुनिया में बहुत से लोग उस पैंसे को खर्च करते हैं, जो उन्होंने कमाया ही नहीं होता है। मतलब अपने पैंसों से वह कोई भी ऐसी चीज खरीद लेते हैं, जिसे वह खरीदना ही नहीं चाहते हैं। यह इंवेस्टमेंट वह सिर्फ दूसरों को इंप्रेस करने के लिए करते हैं, जिन्हें वे पसंद ही नहीं करते।
विल स्मिथ, अमेरिकी अभिनेता
नीड टू फिक्स हेल्थ
एक्सपट्र्स कहते हैं कि सेविंग हमें हर डिफिकल्टी से बचाता है। इसलिए हमें टाइम टू टाइम सेविंग करते रहना चाहिए। लोग आज कल इतना बिजी हो गए है कि अपनी हेल्थ पर ध्यान ही नहीं दे रहे है। उनकी पूरी लाइफस्टाइल डिसबैलेंस है। प्राइज ग्रुप के एक सर्वे में पाया गया कि भारत में सिर्फ 69 परसेंट फैमलीज ही बैैंक में पैंसे सेव करती हैैं।
हिस्ट्री ऑफ वल्र्ड सेविंग डे
सेविंग डे की शुरुआत सेकंड वल्र्ड वार के बाद से हुई। जब पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई थी। तब लोगों ने सेविंग की इंपॉर्टेंस को समझा और सेविंग पर गौर किया। सेविंग का प्रोजेक्शन इटली में फस्र्ट इंटरनेशनल थ्रिफ्ट कांग्रेस की मीटिंग में रखा गया था। इतालवी प्रो। फिलिपो रविजा ने इसे ऑफीशयल तौर पर लॉन्च किया था। इसके बाद बैंकों को लोगों के लिए बचत स्कीम खोलने और उन्हें इसके लिए जागरूक करने के लिए प्रेरित किया गया।
सीए फैसल ने बताया कि आज हम उस एरा में जी रहे हैं, जहां पर सेविंग एक नेसेसरी नीड है। इसके अलावा ऐसी सेविंग करनी चाहिए जिससे हमें रिटर्न भी मिले। घर में रखे पैसे का कोई बेनेफिट नहीं होता है। सेविंग लॉन्ग टर्म में बेनेफिट देता है।
नेशन बिल्डिंग में है हेल्पफूल
एमजेपीआरयू के प्रोफेसर डॉ। आशुतोष प्रिय ने बताया कि सेविंग हमारे नेशन बिल्डिंग में बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती है। एग्जाम्पल के लिए मानें तो अगर एक घर में 10 लोग रहते हैं और वे हर दिन 10 रुपए सेव कर रहे हैं तो एक महिने में वे 3000 की सेविंग हो जाी है। अगर यहीं तीन हजार रुपए को वह बैंक में डिपॉजिट कर देते हैं तो यह नेशन बिल्डिंग में मददगार होगी। इसी तरह अगर हर फैमिली ऐसे ही बैंक में डिपॉजिट करे तो एक बड़ा अमाउंट हो जाता है और इस अमाउंट को सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेन करने में खर्च कर सकती है।
डॉ। अशुतोष प्रिय बताते हैं कि घर में पैसा सेव करने से कुछ हासिल नहीं होता है। कुछ लोगों की घर में ही पैंसे सेव करने की आदत होती है। इसका उन्हेें कोई लाभ नहीं मिलता है। यह एक प्रकार से नेशन लॉस है। मनी वैल्यू पर भी इसका असर पड़ता है।
स्कूलों में थी संचायिका
माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से इंटर कालेजों में छात्र-छात्राओं के लिए संचायिका की व्यवस्था बनाई गई थी। संचायिका का काम स्टूडेंट्स के पैरेंट्स से कुछ अमाउंट जमा कराना होता था। फीस जमा करते समय जो पैसा बच जाता था, उसे हर महीने सेव कर लिया जाता था। यह अमाउंट बीस रुपये प्रति छात्र होता था। बैैंक में प्रिंसिपल के नाम जो अकाउंट होता था, उसमें यह पैंसा जमा होता था। पैसा जमा करने के बाद स्टूडेंट रजिस्टर में इसकी एंट्री भी कराई जाती थी। वहीं स्कूल छोडऩे पर स्टूडेंट को यह रकम ब्याज सहित वापस मिल जाती थी। संचायिका की इस रकम को लेकर जब भ्रष्टाचार होने लगा तो इस व्यवस्था को ही बंद कर दिया गया। वर्ष 2006 से यह योजना बंद हो गई।
सेविंग तो बहुत ही जरूरी होती है। मैैंने सेविंग करने के कई तरीके बनाए हैैं। जैसे कि घर में दो-तीन गुल्लक में पैंसे कलेक्ट करना। मैने अपनी बेटी का सुकन्या खाता भी खोल रखा है। इसके अलावा हम लोगों ने स्कूल में किटी खोल रखी है, जिसमें सभी टीचर्स 2000 हजार रुपए कंट्रीब्यूट करते हैैैं। हर महीने जो अमाउंट कलेक्ट होता है, उसे एक मेंबर को दे दिया जाता है।
पूजा मिश्रा, टीचर एक हाउस वाइफ के पास सेविंग के कई ऑप्शन होते हैं। वह घर में ही बचत कर लेती हैं। इसके अलावा अपनी बचत से ज्वैलरी खरीद लेती हैं। इससे लाइफ में आगे हेल्फ मिलती है। इसके अलावा वह बैंक और पोस्ट ऑफिस में भी डिपॉजिट करती हैं ओर एफडी भी करा लेती हैं।
नेहा गुप्ता, हाउस वाइफ हमें हमेशा ही सेविंग करते ही रहना चाहिए और सेविंग के लिए मैंं अलग-अलग जगह इंवेस्ट करती हुं। इसके अलावा मैैं गोल्ड में इंवेस्ट करती रहती हूं। मैंने कई एफडी कराई हैं, इनसे कुछ रिटर्न भी मिलता है। हमें हमेशा ऐसी जगह इंवेस्ट करना चाहिए जहां से कुछ रिटर्न मिले।
पूजा विग, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, होटल पंचम कॉन्टिनेंटल