बरेली : घर के आंगन से निकल कर पार्क और होटल्स तक जा पहुंचा लोहडी सेलिब्रेशन
बरेली (ब्यूरो)। लोहड़ी सिख समुदाय में एक बड़ा पर्व माना जाता है। सिख और पंजाबी समुदाय के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। हर साल 13 जनवरी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन ये लोग अग्नि के ईर्द-गिर्द परिक्रमा करते हैं। इस बीच अग्नि में गुड़, मूगफली, रेवड़ी, गजक, पॉपकॉर्न आदि अर्पित किए जाते है। इसके बाद परिवार के लोग मिल कर ढोल नगाड़ों पर भांगड़ा करते हैं और एक दूसरे को बधाइयां देते हैं। लंबे समय से यह परंपरा चली आ रही है, लेकिन बदलते दौर के साथ अब इस पर्व को मनाने का अंदाज भी बदलने लगा है। अब घर के आंगन में नहीं, बल्कि समूह के अंदर पर्व मनाया जाने लगा है। इसके साथ ही इस पर्व को आधुनिकता का जामा भी पहनाया जाने लगा है।
नए जोड़े के लिए महत्वपूर्ण
लोहड़ी का त्योहार न्यूली मैरिड कपल्स के लिए सब से महत्वपूर्ण होता है। वो लोग काफी दिन पहले से ही पर्व को लेकर तैयारियां करने लगते हैं। इस दौरान नव वधुयें विशेष रूप से श्रंगार आदि कर तैयार होती हैं। अन्य महिलायें भी काफी सज-धज कर लोहड़ी का पर्व मनाती है। उसी तरह लडक़े भी पारंपरिक परिधानों को पहन कर पूजा करते हैं। अग्नि के चारों ओर इकट्ठे होते हैं और पूजा करते हैं।
सिटी के रहने वाले मनजीत सिंह ने बताया कि पहले हम लोग परिवार के साथ मनाते थे, लेकिन आज के दौर मेंं किसी लॉन या पार्क में सब लोग एक समूह के रूप में इक_ा होते हैं, उसके बाद साथ मिल कर इसे सेलिब्रेट करते हैं। इस दौरान सब लोग मिल कर एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई भी देते हैं। सब के साथ मिल कर पर्व मनाने का अपना अलग ही आनंद रहता है।
समय के साथ बदला फॉरमेट
मॉडल टाउन निवासी रतनदीप सिंह बताते हैं कि लोहड़ी के अवसर पर म्यूजिक एंड डांस इवेंट्स का आयोजन करते हैं। इसके साथ ही बोनफायर का आयोजन भी किया जाता है। पहले यह सब कम होता था। समय के साथ पर्व का फारमेट भी बदल गया है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, वहां इस पर्व पर विशेष उल्लास का माहौल होता है।
रेजिडेंसी गार्डन निवासी रवनीत सिंह के अनुसार लोहड़ी के लिए काफी दिन पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। कॉलोनी के लोग इकट्ठा होकर आग के चारों तरफ घूमते हैं। जिस घर में पहली बेटी या बेटा होता है, उस की पहली लोहड़ी के लिए विश्ेाष तैयारियां की जाती हैं। पहले ढोल की थापों पर भंगड़ा, गिद्दा आदि करते थे, आज के जमाने में म्यूजिक का स्वरूप भी बदल गया है।
कीर्ति नगर के रहने वाले मनवीर सेठी ने बताया कि बचपन से हम अलाव, लोक नृत्य और पांरपरिक मिठाइयों जैसे रेवड़ी और गजक के स्वाद के साथ लोहड़ी मनाते आ रहे हंै। यह त्योहार एकजुटता और उल्लास का होता है। पहले जहां यह पर्व घर के आंगन में परिवार के लोगों के साथ मनाया जाता था, वहीं अब कॉलोनी के लोग इकट्ठा होकर इसे सेलिब्रेट करने लगे हैं। बहुत आनंद आता है।