कितना भारी मेरा बस्ता?
स्कूल बैग की हकीकत
पंकज क्लास थ्री का स्टूडेंट है। मंडे मॉर्निंग स्कूल गेट से कुछ दूर पहले वह बच्चों से पूरी तरह पैक्ड ऑटो से उतरता है। ऑटो ड्राइवर उसे करीब 10 किलो का स्कूल बैग थमा देता है। इस बैग के हाथ में आते ही एक झटके में इतना झुक जाता है कि बैग जमीन पर आ गिरता है। दरअसल बैग का वेट इतना है कि उसकी छोटी उम्र उसे संभालने में सक्षम नहीं है। किसी तरह से वह झुक कर बैग के एक छोर को कंधे पर टिका कर उसे उठाने की भरसक कोशिश करता है। बैग में वजन इतना है कि बिना लड़खड़ाए दो कदम भी नहीं चल सकता, क्योंकि उसका खुद का वजन ही 16 किलो है। एक तरफ वह स्कूल के अंदर प्रवेश करता है तो दूसरी तरफ दोनों हाथ से बैग को संभालता है। लड़खड़ाते और हांफते हुए वह बस इतना ही दुआ कर रहा होता है कि किसी तरह जल्दी से क्लास के अंदर पहुंच जाए।
कई हैं पंकज
पंकज कोई अकेला बच्चा नहीं है जो स्कूल बैग के भार तले दबा रहता है। सेंट्रल गवर्नमेंट से लेकर तमाम बोड्र्स ने स्कूल बैग और उसके वजन के संबंध में कई दिशा निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके बच्चों की बस्ते से जंग जारी है। स्कूल एडमिनिस्ट्रेशंस के अपने तर्क हैं, पेरेंट्स की अपनी बाते हैं लेकिन सवाल बस इतना है कि क्या आपको पता है आपके बच्चे के ऊपर लदने वाले बैग का भार उसे भविष्य में किस हेल्थ प्रॉब्लम की ओर ले जा रहा है। स्कूल बैग के वेट को लेकर कई बार बहस हो चुकी है। आई नेक्स्ट आज आपको हकीकत से रूबरू करवाने जा रहा है। आप भी इस हकीकत को नजदीक से देखें और अपने बच्चे के भविष्य के बारे में गौर करें।
10 स्कूल, 225 बच्चे
स्कूल बैग की हकीकत से रूबरू कराने के लिए आई नेक्स्ट की टीम ने मंडे को 10 स्कूलों के करीब 225 बच्चों के बैग का वजन तौला। अमूमन सभी बैग का वजन 5 से 8 किलो के बीच रहा। एक स्कूल के क्लास फिफ्थ के स्टूडेंट का स्कूल बैग का वजन 10 किलो भी निकला, जबकि सबसे अधिक वजन का बैग क्लास थर्ड के स्डूडेंट का निकला। इस बच्चे के ऊपर करीब 12 किलो का वजन लदा था। इस अभियान के बाद स्कूल बैग का एवरेज वजन निकाला गया। जो एवरेज वजन निकला वह आपके सामने है।
And prize goes to
अभियान में हमें एक ऐसा बच्चा मिला जिसे देख कर एक बारगी तो लगा कि जैसे सारी दुनिया का बोझ उसी के कंधों पर है। उसके पास ट्रॉली स्कूल बैग था, जिसका वजन करीब 12 किलो था। ट्रॉली होने के बाद भी वह उसे कंधे पर उठाने की जुगत भिड़ा रहा था। मुश्किल से वह एक ही कंधे पर बैग को लटका कर किसी तरह से क्लास के अंदर ले जा सका। पेरेंट्स ने तो यही सोच कर उसे ट्रॉली बैग दिलाया होगा कि उसके लाडले के कंधों पर से किताबों का वजन भार कुछ कम हो जाए। लेकिन न तो स्कूल मैनेजमेंट और पेरेंट्स ने इस भार को कम करने के लिए जमीनी तौर पर कोई कदम उठाए।
क्या था i next का अभियान
आई-नेक्स्ट का उद्देश्य किसी स्कूल की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाना नहीं है। आई-नेक्स्ट सिर्फ अपना सामाजिक दायित्व पूरा करते हुए बच्चों के लिए आने वाले एक ऐसे खतरे से आपको रूबरू करवाना चाहता है जिस पर काफी बहस हो चुकी है, नियम और कानून बन चुके हैं। स्कूल का काम सिर्फ पढ़ाना ही नहीं, बल्कि बच्चों के बेहतर कल पर विचार करना भी है। स्कूल बैग अभियान इसी विचार को आइना दिखाने के लिए है।
आई-नेक्स्ट का उद्देश्य किसी स्कूल की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाना नहीं है। आई-नेक्स्ट सिर्फ अपना सामाजिक दायित्व पूरा करते हुए बच्चों के लिए आने वाले एक ऐसे खतरे से आपको रूबरू करवाना चाहता है जिस पर काफी बहस हो चुकी है, नियम और कानून बन चुके हैं। स्कूल का काम सिर्फ पढ़ाना ही नहीं, बल्कि बच्चों के बेहतर कल पर विचार करना भी है। स्कूल बैग अभियान इसी विचार को आइना दिखाने के लिए है।
Report and Pics: Abhishek Mishra, Abhishek Singh, Amber Chaturvedi, Anil Kumar, Deepti Chauhan, Gupteshwar Kumar, Nidhi Gupta, Hardeep Singh Tony & Jagvendra Patel