मानसून की बारिश शुरू होने से बरेलियंस को गर्मी से राहत तो मिली लेकिन जलभराव ने टेंशन जरूर बढ़ा है. करोड़ों की रकम खर्च कर नाला सफाई का दावा करने वाले नगर निगम की बारिश ने पोल खोलकर रख दी है.

बरेली (ब्यूरो)। मानसून की बारिश शुरू होने से बरेलियंस को गर्मी से राहत तो मिली, लेकिन जलभराव ने टेंशन जरूर बढ़ा है। करोड़ों की रकम खर्च कर नाला सफाई का दावा करने वाले नगर निगम की बारिश ने पोल खोलकर रख दी है। बारिश से पुराना शहर से लेकर पॉश कॉलोनियों में भी जलभराव हो गया। लोगों ने इसके लिए नगर निगम के इस तरह लचर नाला सफाई व्यवस्था से बरेलियंस में भी रोष है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक सर्वे करा बरेलियंस से नाला सफाई पर उनकी राय जानी। सर्वे में बरेलियंस ने खुलकर और राय रखते हुए नगर निगम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। इतना ही नहीं उनका कहना है कि नाला सफाई के लिए नगर निगम के साथ आम लोग भी जिम्मेदार हैं जो नाली में कचरा गिराते हैं।

इन एरिया में अधिक समस्या
-सुभाषनगर
-गणेश नगर
-शांति विहार
-किला
-दरगाह वाली रोड
-विहारीपुर खत्रियान, मेमरान
-रामपुर गार्डन
-श्यामगंज
-रोडवेज स्टेशन
-खूशबू इन्कलेब
-सतीपुर चौराहा
-फइक इन्कलेब
-संजय नगर

ये है मेन कारण
- नगर निगम की तरफ से आचार संहिता में देरी से जरूर लेकिन नाला सफाई काम शुरू कराने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया था। सफाई भी शुरू की गई इसमें बताया गया कि नाला सफाई तलीझाड़ होना है, लेकिन जहां एरिया में ठेकेदार ने नाला सफाई का काम शुरू किया। वहां पर नाला सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर ऊपर से पॉलीथिन जरूर हटा दी गई, जबकि कई एरिया तो ऐसे हैं जहां पर नाला सफाई के नाम पर तलीझाड़ तो दूर की बात है। ऊपर भी आधी अधूरी सफाई की गई। इसी कारण लोगों को समस्या बनी हुई है। मेन नाला की सफाई ठीक से नहीं होने से छोटी नालियां अपने आप ही ओवर फ्लो हो रही हैं। इस कारण कॉलोनियों और मोहल्लों में भराव की समस्या है।

अतिक्रमण बड़ा कारण
नाला सफाई के काम में नालों पर अतिक्रमण भी बड़ा कारण है। अधिकतर नालों के ऊपर अतिक्रमण कर लोगों ने वहां पर कब्जा करके या तो घर बना लिया या फिर बिजनेस शुरू कर दिया। इससे कुछ लोगों को तो आराम हो रहा है लेकिन पूरे कॉलोनी और आसपास के मोहल्लों में जलभराव की समस्या हो रही है। इसके पीछे कारण है कि जहां पर अतिक्रमण लोगों ने कर लिया वहां पर निगम की मशीन सफाई करने ही नहीं पहुंचती है।


शहर में जो कॉलोनी पहले बनाई गई हैं वह बीडीए अप्रूब्ड नहीं होने के कारण अनप्लांड कंट्रक्शन करके बना तो दी गई। लेकिन अब वहां पर पानी निकास और सीवर लाइन बिछाने के लिए भी बड़ी समस्याएं हैं। कई कॉलोनी और मोहल्लों में तो नालियां भी नहीं है। इससे साफ है कि अनप्लांड कांट्रैक्शन भी इसके लिए बड़ा कारण है।

इस तरह दी राय
शहर में जलभराव के पीछे 65 परसेंट लोगों का मानना है कि नाला सफाई है। 25 परसेंट ने अनप्लांड कंट्रक्शन माना और 10 परसेंट का कहना है कि पता नहीं। इसी तरह 85 परसेंट लोगों ने माना है कि नाला सफाई के नाम पर नगर निगम ने खानापूर्ति करा दी है, जबकि दस परसेंट का मानना है कि नाला सफाई ठीक हुई है। पांच परसेंट का कहना है पता नहीं। 90 परसेंट लोगों का मानना है कि जलभराव के लिए नगर निगम पूरी तरह जिम्मेदार है। वहीं स्मार्ट सिटी पर करोड़ों रुपए खर्च हुए इसमें 70 परसेंट का मानना है कि इससे बरेली की सूरत बदली है। जबकि सिर्फ 25 परसेंट का मानना है कि सूरत नहीं बदली है। सर्वे में लोगों का यह भी कहना है कि जलभराव के लिए 60 परसेंट तो वह खुद जिम्मेदार हैं क्योंकि नाला में कचरा भी आसपास के लोग ही गिराते हैं। जबकि 35 परसेंट का कहना है कि वह जिम्मेदार नहीं है। जलभराव से निजात दिलाने के लिए नगर निगम की टीम एक्टिव रहती हैं इस बात पर 75 परसेंट ने हां कहा है। 15 परसेंट ने नहीं, जबकि 10 परसेंट का कहना था उन्हें पता ही नहीं है।

Posted By: Inextlive