बरेली : खेलेगा नहीं तो कैसे बढ़ेगा इंडिया, स्टेडियम में अब तक अपॉइंट नहीं किए गए कोच
बरेली (ब्यूरो)। स्पोट्र्स स्टेडियम में 1 अप्रैल से सारे खेलों के सेशन शुरू हो गए हैं, पर अभी तक कई सारे खेल बंद पड़े हुए हैं। प्लेयर्स सेल्फ प्रेक्टिस के सहारे ही अपने गेम्स चला रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है उन गेम्स में कोच की नियुक्ति न होना। स्टेडियम में जितने भी प्लेयर्स एडमिशन के लिए आ रहे हैं, उन्हें यह बोल कर वापस कर दिया जाता है कि अभी कोच नहीं है तो एडमिशन नहीं ले सकते। कोच कब तक उपलब्ध हो सकेंगे, इसको लेकर भी कोई जानकारी प्लेयर्स को उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। ऐसे में उन्हें काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है।
पहली अप्रैल से शुरू सेशन
1 अप्रैल से नया सेशन शुरू हो जाता है, जिसके अनुसार प्लेयर्स एडमिशन ले सकते हैं। कोच की नियुक्ति जेम पोर्टल से की जाती है, लेकिन अभी तक वे सक्रिय ही नहीं हुए हैं, जिससे यह पता चल सके कि कोच कब तक आएंगे। वर्तमान में सिचुएशन यह है कि वॉलीबॉल, हैंडबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट, जिमनास्टिक आदि कोच ही नहीं है, जिसकी वजह से प्लेयर्स को खुद ही कोच बनना पड़ रहा है। उन्हें किसी भी खेल में प्रॉपर ट्रेनिंग देने के लिए कोच की अवेलेबिलिटी नहीं मिल पा रही है।
प्लेयर्स लौट रहे वापस
कोच की मौजूदगी न होने की वजह से न्यू एडमिशन कराने आ रहे प्लेयर्स को वापस लौटा दिया जा रहा है। हर रोज कम से कम 8 से 10 न्यू एडमिशन आते हैं, जिन्हें सिर्फ निराशा हाथ लगती है। स्टाफ ने बताया कि कोचेस का आना अभी तक तय नहीं हुआ है। वे कब तक आएंगे, इस बारे में उन्हें भी नहीं पता है, इसलिए सभी प्लेयर्स को 10 तारीख के बाद बुलाया जा रहा है, जिससे उन्हें कुछ न कुछ आइडिया मिल जाएगा। कई बार प्लेयर्स को यह भी कह दिया जाता है कि हर दो से चार दिन में स्टेडियम आकर एडमिशन का पता कर लें। अगर कोच आ गए तो एडमिशन भी हो जाएगा।
स्टेडियम में कई तरीके के खेल शामिल हैं। इनमें वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग, बास्केटबॉल, फुटबॉल, हॉकी, हैंडबॉल, क्रिकेट, जिमनास्टिक, स्विमिंग, बैडमिंटन, लॉन टेनिस, वॉलीबॉल, एथलेटिक्स आदि शामिल है। इनमें करीब 400 बच्चे रजिस्टर्ड हैं।
क्या है नियम
बास्केटबॉल कोच सोनू ने बताया कि किसी भी खेल सेशन में कोच की नियुक्ति के लिए कई सारे नियम होते हैं। सबसे इंपॉर्टेन्ट होता है टोटल सीट्स के अनुसार प्लेयर्स का एडमिशन। अगर रिक्वायर्ड सीट के अनुसार प्लेयर्स नहीं होंगे तो कोच ज्वाइन नहीं कर सकेंगे। वहीं अगर कोच ने ज्वाइन कर लिया है तो जॉइनिंग करने के 1 महीने के अंदर आधे प्लेयर्स और नेक्स्ट मंथ में टोटल सीट्स फाइल होना जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो कोच को सैलरी नहीं दी जाती है।
स्टेडियम में प्लेयर्स को ट्रेनिंग देने वाले कोचेज को ही सैलरी के लाले पड़े हुए हैं। लास्ट ईयर दिसंबर और जनवरी की सैलरी न मिलने से सभी परेशान हैं। जनवरी के बाद सेशन कंप्लीट होने के बाद फरवरी और मार्च में कोचेस को कोई सैलरी नहीं दी जाती है। कई कोच का यह तक मानना है कि इसके लिए कई बार कहा भी जा चुका है, लेकिन कभी कुछ हुआ ही नहीं और हर साल इस तरह की परेशानी होती है।
यह भी बड़ी परेशानी
स्टेडियम में परमानेंट कोच न होना भी एक बड़ी परेशानी है। हर साल नई नियुक्ति के साथ कई बार कोच बदल जाते हैं। हर कोच की प्लेयर्स को सिखाने की अपनी अलग ट्रिक होती है, जिसे सीखकर प्लेयर अपना गेम प्लान करते हैं। कई बार कोच न आने की वजह से प्लेयर्स को पूरे साल सेल्फ प्रेक्टिस ही करनी पड़ती है। प्लेयर्स का रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया जाता है। ऐसा ही कुछ हाल 2023 में हैंडबॉल और बैडमिंटन का भी हुआ था, जहां प्लेयर्स तो थे, लेकिन कोच नहीं।
संविदा पर रखे हुए दो कोच, बॉक्सिंग के मुकेश यादव और वेटलिफ्टिंग के हरिशंकर की नियुक्ति 2024 सेशन के लिए हो गई है। दोनों ही खेल एक अप्रैल से शुरू हो गए हैं। स्विमिंग के लिए कोच सुमित का भी बैच शुरू हो गया है, जहां प्लेयर्स आकर प्रेक्टिस कर रहे हैं। नियुक्ति खेल विभाग की ओर से होती है। ऐसे में जिला स्तर से कुछ नहीं किया जा सकता है। जैसे-जैसे कोचेज की नियुक्ति तय होगी, वैसे-वैसे गेम स्टार्ट हो जाएंगे।
-जितेंद्र यादव, आरएसओ